बॉलीवुड में इन बिहारियाें ने गाड़ा हिंदी का झंडा, इन फिल्मों व गानों में भी दिखा दम
बॉलीवुड की कुछ फिल्मों ने हिंदी को सशक्त तरीके से दिखाया है। बिहार सहित हिंदी पट्टी के कई कलाकार भी बॉलीवुड में हिंदी का झंडा बुलंद किए हुए हैं।
पटना [अमित आलोक]। बॉलीवुड में हिंदी फिल्में खूब बनती हैं, पर वहां अंग्रेजी का बोलबाला है। यहां के कई कलाकार ठीक से हिंदी नहीं बोल पाते हैं। लेकिन, यहां बनी कई फिल्मों व उनके गानों ने हिंदी पर गर्व की अनुभूति भी कराई है। साथ ही बिहार सहित हिंदी पट्टी के कई ऐसे कलाकार भी रहे हैं, जिन्होंने अपनी हिंदी का लोहा मनवाया है।
चुपके-चुपके
आज की इंटरनेट पीढ़ी मुख्यत: अंग्रेजी का इस्तेमाल कर रही है। उसकी हिंदी भी 'हिंदी' की 'हिंग्लिश' अधिक है। इस परिस्थिति में भी बॉलीवुड की कुछ फिल्मों ने हिंदी पर गर्व की अनुभूति कराई है। आज की अधिकांश युवा पीढ़ी को साल 1975 की फिल्म 'चुपके-चुपके' की शायद जानकारी नहीं हो। यह कॉमेडी फिल्म हिंदी के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, आम प्रकाश, शर्मिला टैगोर व जया भादुड़ी नजर आए थे।
गोलमाल
साल 1979 में एक फिल्म आई- 'गोलमाल', जिसमें हिंदी की दशा और महत्ता को रेखांकित किया गया। फिल्म में अमोल पालेकर, उत्पल दत्त, दीना पाठक, ओम प्रकाश, युनूस परवेज और बिन्दिया गोस्वामी ने भूमिकाएं निभाईं।
नमस्ते लंदन
21वीं सदी की बात करें तो साल 2007 की फिल्म 'नमस्ते लंदन' तो याद ही होगी। इस फिल्म में हिंदी सभ्यता और हिंदी समाज की कहानी है। फिल्म में अक्षय कुमार ने हिंदी भाषा और सभ्यता को लेकर जो भाषण दिया है, वह अविस्मरणीय है।
इंग्लिश विंग्लिश
आगे साल 2015 में आई फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' में एक ऐसी महिला की कहानी है, जो विदेश में ठीक से अंग्रेजी नहीं बोल पाती है। उसे स्कूल में होने वाली अभिभावकों की बैठक में लेने जाने में बच्चे शर्म महसूस करते हैं। फिल्म में हिंदी के सबल पक्ष को दिखाया गया है। फिल्म में ने की पूरजोर कोशिश की गई है। फिल्म में बच्चों की भूमिका में श्रीदेवी ने कमाल किया है।
हिंदी मीडियम
बीते साल आई फिल्म 'हिंदी मीडियम' में कम पढ़े-लिखे इरफान खान अपने बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाने में परेशान होते हैं। इसका कारण इरफान की अंग्रेजी पर कमजोर पकड़ होती है। इसके बावजूद वे हार नहीं मानते और अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवा कर ही मानते हैं। फिल्म में इरफान के साथ पाकिस्तानी अभिनेत्री सबा कमर ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं हैं। यह फिल्म भी हिंदी के सबल पक्ष को दिखाती है।
इन गानों में भी दिखा हिंदी का दम
स्वतंत्रता के कुछ समय बाद 1955 में एक फिल्म आई थी- 'श्री 420', जिसकी गाना -मेरा जूता है जापानी' देश की सीमओं के पार चीन-जापान तक लोकप्रिय हुआ था। हाल की बात करें तो पिछले दिनों चीन यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत हिंदी फिल्म 'ये वादा रहा' के एक गाने की धुन बजाकर किया गया था। इसी तरह जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद चेक रिपब्लिक के दौरे पर गए थे तो उनके स्वागत में बॉलीवुड गाना 'पल पल दिल के पास तुम रहती हो' पेश किश गया।
इन बिहारी कलाकारों ने बॉलीवुड में स्थापित की हिंदी
बात फिल्मों तक ही सीमित नहीं, इसके कलाकारों के गैर फिल्मी जीवन से भी संबंधित रही है। सही है कि कई बॉलीवुड कलाकार गैर हिंदी पृष्ठभूमि से आने के कारण निजी जीवन में हिंदी ठीक से नहीं बोल पाते, लेकिन कइयों की हिंदी पृष्ठभूमि गर्व की अनुभूति कराती है।
मनोज वाजपेयी
बॉलीवुड के बिहारी मनोज वाजपेयी की हिंदी पर अच्छी पकड़ है। मूलत: बिहार के पश्चिम चंपारण के निवासी मनोज वाजपेयी हिंदी भाषी हैं। हिंदी में उनकी संवाद अदायगी के सभी कायल रहे हैं।
प्रकाश झा
फिल्म 'दामुल' से लेकर 'गंगाजल' व 'अपहरण' तक कई यादगार फिल्में बनाने वाले बॉलीवुड के निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा भी बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले हैं। हिंदी पट्टी में जीवन का बड़ा भाग गुजारने वाले प्रकाश झा की हिंदी अच्छी है।
शत्रुघ्न सिन्हा-सोनाक्षी सिन्हा
बात हिंदी की हो और चर्चा अपने बिहारी बाबू की न हो, ऐसा कैसे हो सकता है। अपने हिंदी डायलॉग 'खामोश' के लिए चर्चित पटना के शत्रुघ्न सिन्हा के हिंदी डॉयलॉग्स कभी पुरानी पीढ़ी की जुबान पर रहती थी तो नई पीढ़ी उनकी बेटी व बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा के हिंदी डॉयलॉग्स की दीवानी है।
पंकज मिश्रा
नए कलाकारों में फिल्म 'न्यूटन' फेम पंकज मिश्रा की चर्चा भी जरूरी है। मूलत: गोपालगंज के निवसी पंकज बॉलीवुड में हिंदी का झंडा बुलंद करने वाले कलाकारों में शामिल हैं।
शेखर सुमन, नेहा शर्मा, नीतू चंद्रा अादि कई और कलाकारों ने भी बॉलीवुड में हिंदी को स्थापित करने में बड़ी भूमिकाएं निभाई हैं। लिस्ट काफी लंबी है।