बिहारः तबादले की सूची में दो दर्जन नाम ऐसे थे, जिन्होंने स्थानांतरण का आवेदन तक नहीं दिया था
समाज कल्याण विभाग में तबादले की फाइल का मसला यूं तो अब मुख्य सचिव के स्तर पर सुलझाया जाना है पर फाइल से जुड़ी बातें विभाग में पहले से तैरनी शुरू हो गई हैं। जानें किस बात की लेकर है चर्चा।
राज्य ब्यूरो, पटना : समाज कल्याण विभाग में तबादले की फाइल का मसला यूं तो अब मुख्य सचिव के स्तर पर सुलझाया जाना है पर फाइल से जुड़ी बातें विभाग में पहले से तैरनी शुरू हो गई हैं। बताया जा रहा कि तबादले की जो सूची थी उसमें दो दर्जन नाम ऐसे थे, जिन्होंने अपने स्थानांतरण के लिए न तो आवेदन दिया था और न ही स्थानांतरण की अवधि के मानक में फिट थे।
स्थानांतरण के लिए आनलाइन लिए जाते हैं आवेदन
समाज कल्याण विभाग में सीडीपीओ के स्थानांतरण को लेकर प्रविधान है कि उन्हें इसके लिए आनलाइन आवेदन करना होता है। उन्हें बताना होता है कि वे कहां पदस्थापन चाह रहीं। अगर उनके विकल्प के आधार पर स्थानांतरण नहीं होता है तो वे यह भी लिख सकती हैैं कि उन्हें वहीं रहने दिया जाए, पर 135 नाम में दो दर्जन नाम ऐसे थे, जिन्होंने कोई आवेदन भी नहीं किया था और उनके नाम स्थानांतरण के लिए बनी सूची में आ गए थे। इस पर अपर मुख्य सचिव को आपत्ति थी।
कोरोना काल की वजह से इस बार स्थानांतरण नहीं करने का परामर्श था
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि अपर मुख्य सचिव ने समाज कल्याण मंत्री को यह परामर्श दिया था कि कोरोना काल की वजह से इस बार पारंपरिक रूप से जो स्थानांतरण होता है उसे नहीं किया जाए। तबादला अगले वर्ष किया जाए। अगर तबादला जरूरी है तो इस बारे में मुख्यमंत्री से परामर्श ले लिया जाए।
क्षेत्रीय असंतुलन इस तरह की सीमांचल खाली था और शेष इलाके सौ फीसद फुल
समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, 135 लोगों की सूची पर विवाद इस वजह से भी बढ़ गया कि तबादले की उक्त सूची में जितने नाम थे उनमें अधिसंख्य का पदस्थापन दक्षिण बिहार व उत्तर बिहार में कर दिया गया था। सीमांचल व अन्य हिस्से को खाली कर दिया गया था।
बात छप्पन की थी पर अचानक 135 पर पहुंच गई
समाज कल्याण विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जिस समय अपर मुख्य सचिव छुट्टी पर जा रहे थे उस समय मंत्री और अपर मुख्य सचिव के स्तर पर तबादले को लेकर एक सूची पर सहमति थी। वह 56 की थी। इनमें 40 नाम दोनों की सूची के थे। कई नाम इसमें भी गड़बड़ थे, पर जब अपर मुख्य सचिव छुट्टïी से लौटे तो उन्हें 135 लोगों की फाइल मिल गई। यहीं से मामला फंस गया।