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पटना जू में है अद्भुत दर्पण, जानें कैसे शीशे में छोटा आदमी लंबा और पतले लोग दिखने लगते हैं मोटे

संजय गांधी जैविक उद्यान में दर्शकों को सिर्फ पशु-पक्षियों का दीदार ही नहीं बल्कि विज्ञान का चमत्कार भी दिखाया जा रहा है। कुछ महीने पहले ही पटना जू के थ्री डी हॉल के बाहरी परिसर में थ्री डी से संबंधित विज्ञान की प्रदर्शनी के लिए हॉल बनाया गया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 12:48 PM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 12:48 PM (IST)
पटना जू में है अद्भुत दर्पण, जानें कैसे शीशे में छोटा आदमी लंबा और पतले लोग दिखने लगते हैं मोटे
पटना जू के मनोरंजक दर्पण में अपनी आकृति देखते पर्यटक।

पटना, जेएनएन। राजधानी के संजय गांधी जैविक उद्यान में दर्शकों को सिर्फ पशु-पक्षियों का दीदार ही नहीं, बल्कि विज्ञान का चमत्कार भी दिखाया जा रहा है। कुछ महीने पहले ही पटना जू के थ्री डी हॉल के बाहरी परिसर में थ्री डी से संबंधित विज्ञान की प्रदर्शनी के लिए हॉल बनाया गया है। जहां पर थ्री डी विज्ञान से संबंधित वस्तु के अलावे और भी कई विज्ञान के चमत्कार दर्शकों को देखने के लिए मिल रहे हैं। 

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जानें मनोरंजक दर्पण की विशेषता

संजय गांधी जैविक उद्यान में तीन तरह के दर्पण लगाए गए हैं। अलग-अलग दर्पण के सामने खड़े होने पर एक ही आदमी छोटा, लंबा और पतला दिखाई देता है। अपने को अलग-अलग स्वरूप में देखना लोगों के लिए कौतूहल से कम नहीं रहता। दरअसल मनोरंजक छवि का परिणाम दर्पणों के घुमाव और छवि के गुणों के बीच की परस्पर अभिक्रिया से आता है। अवतल दर्पण में आपकी छवि लंबी दिखाई पड़ती है जबकि उत्तल दर्पण आपकी छवि को छोटा बना देती है। 

जूईट्रोप में तेजी से दौड़ता दिखता है बाघ

जूईट्रोप में एक सिलेंडर के बीच में कई बाघ की तस्वीर लगाया गई है। सिलेंडर के बीच में दर्शक अपनी आंखों को रखते हुए पहिया को जल्दी से नीचे की ओर घुमाते हैं तो एक बाघ तेजी से दौड़ता दिखाई देता है। यह एक पुरानी एनीमेशन तकनीक है, जिसका उपयोग बाइस्कोप में किया गया है। सिलेंडर के आंतरिक सतह पर दौड़ते हुए बाघ की छवि का एक क्रमिक सेटर चिपकाया गया है। जब सिलेंडर घूमता है तो छिद्रों की गति चित्रों को एक साथ धुंधला होने से रोकती है, और हमारी आंखों में बाघ की निरंतर छवि का अनुभव होता है। यह मुख्य रूप से वस्तु के हटाने वस्तु के हटाने के बाद भी कुछ समय के लिए रेटिना पर उसकी छवि को बनाए रखने की मानव आंख की क्षमता पर आधारित है। जिसे दृष्टि की दृढ़ता के रूप में जाना जाता है। यदि छवियों की एक श्रृंखला समय की इस अवधि के भीतर दोबारा आती है, तो यह गति का भ्रम पैदा करती है।


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