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तो टॉस से घोषित होगा छात्र संघ चुनाव का परिणाम, कदाचार करने पर नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

राजभवन ने राज्य के विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव के लिए बनाए गए परिनियम में संशोधन किया है। अब कदाचार करने पर छात्र चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएंगे। जानें-

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 08:01 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 08:01 AM (IST)
तो टॉस से घोषित होगा छात्र संघ चुनाव का परिणाम, कदाचार करने पर नहीं लड़ सकेंगे चुनाव
तो टॉस से घोषित होगा छात्र संघ चुनाव का परिणाम, कदाचार करने पर नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

पटना, जेएनएन। अब मैट्रिक और इंटरमीडिएट सहित किसी भी स्तर की परीक्षा में कदाचार के आरोप में पकड़े जाने पर विद्यार्थी छात्रसंघ चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इसके साथ ही किसी अनुशासन समिति द्वारा दोषी ठहराए जाने पर भी उम्मीदवारी रद कर दी जाएगी। वहीं एक समान वोट पाने पर विजेता की घोषणा टॉस से की जाएगी। राजभवन ने राज्य के विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव के लिए बनाए गए परिनियम में संशोधन किया है। पटना विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू प्रो. एनके झा ने बताया कि स्टैच्यूट फॉर स्टूडेंट्स यूनियन 2018 की कई धाराओं को पिछले चुनाव के आधार पर और स्पष्ट करने की गुहार विश्वविद्यालयों ने राजभवन से लगाई थी।

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छह हो जाएगी सदस्यों की संख्या

संशोधित परिनियम के अनुसार ही गुरुवार को कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव संपन्न कराया गया। पहले छात्रसंघ कार्यसमिति में सेंट्रल पैनल के पांच पदाधिकारियों के अतिरिक्त पांच सदस्य निर्वाचित होते थे। अब पांच के बजाए छह सदस्य निर्वाचित होंगे। इनमें दो छात्र का होना अनिवार्य है। नए परिनियम के आधार पर चुनाव संपन्न कराने वाला पीयू पहला विश्वविद्यालय बना।

टॉस से होगी विजेता की घोषणा

स्टैच्यूट की धारा 13 ‘सी’ में प्रावधान किया गया है कि रिजल्ट डिक्लेरेशन के समय यदि दो उम्मीदवार समान वोट प्राप्त करते हैं तो विजेता की घोषणा चीफ इलेक्शन ऑफिसर टॉस से करेंगे। टॉस के समय दोनों उम्मीदवार अनिवार्य रूप से रहेंगे। पटना विश्वविद्यालय में पिछले साल छात्रसंघ चुनाव में दो पदों पर काउंसलर प्रत्याशी को समान मत मिले थे।

एक जुलाई से होगी गणना

नए परिनियम में अब एक जुलाई से होगी एकेडमिक एरियर की गणना संशोधित परिनियम के अनुसार अब एकेडमिक एरियर की गणना एक जुलाई से होगी। किसी विश्वविद्यालय और कॉलेज में सात साल से अधिक पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी उम्मीदवार नहीं बन सकेंगे। पटना विश्वविद्यालय में अब तक एकेडमिक एरियर की गणना यूजी और पीजी के लिए अलग-अलग होती थी। दोनों के लिए पांच-पांच साल निर्धारित था। अब यूजी और पीजी मिलाकर सात साल का होगा। वहीं, एलएलएम और एमएड के छात्रों की अधिकतम आयु सीमा 27 वर्ष कर दी गई है।


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