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खाली हो गया बिहार विधान परिषद के सभापति-उप सभापति का पद, कोरोना काल में फंस गया मामला

बिहार सरकार ने कार्यकारी व्यवस्था के तहत किसी के नाम की नहीं की सिफारिश। फिलहाल राज्यपाल में निहित रहेंगी सभापति की शक्तियां।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 07 May 2020 07:36 PM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 09:48 AM (IST)
खाली हो गया बिहार विधान परिषद के सभापति-उप सभापति का पद, कोरोना काल में फंस गया मामला
खाली हो गया बिहार विधान परिषद के सभापति-उप सभापति का पद, कोरोना काल में फंस गया मामला

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार विधान परिषद के सभापति का पद आखिरकार खाली हो गया। उप सभापति का पद पहले से ही खाली था। कार्यकारी सभापति हारूण रशीद की विधान परिषद की सदस्यता का मौजूदा कार्यकाल 6 मई को समाप्त हो गया। वे 2015 में उप सभापति और 2017 में कार्यकारी सभापति बने थे। इस बीच बिहार सरकार ने कार्यकारी व्यवस्था के तहत किसी के नाम की सिफारिश नहीं की। फिलहाल, सभापति की शक्तियां राज्यपाल में निहित रहेंगी। 

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इधर, पद के कई दावेदार इस उम्मीद में थे कि बुधवार को हो रही राज्य कैबिनेट की बैठक में कार्यकारी सभापति या उप सभापति के लिए उनके नाम की सिफारिश होगी, लेकिन कैबिनेट में इस विषय पर चर्चा ही नहीं हुई। गठबंधन सरकार में 2009 से 2017 में सभापति का पद भाजपा कोटे में था। इस दौर में भाजपा के ताराकांत झा और अवधेश नारायण सिंह सभापति बने थे। सिंह के सभापति बनने की चर्चा इस बार भी थी। 

सूत्रों ने बताया कि सदस्यों की रिक्तियां भरने के बाद ही पूर्णकालिक सभापति का चयन होगा। इसके अलावा बुधवार को परिषद की 17 सीटें खाली हुईं। 23 मई को और 12 सीटें खाली होंगी। कोरोना संकट के चलते विधानसभा एवं शिक्षक-स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों का चुनाव स्थगित किया गया है। 

गौरतलब है कि छह मई को विधानसभा कोटे की नौ और शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से भरी जाने वाली आठ सीटें खाली हो गईं। कोरोना के चलते इन्हें भरने के लिए होने वाला चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टल गया है। कार्यकारी सभापति हारुण रशीद विधानसभा कोटा से चुने गए थे। वहीं, 23 मई को राज्यपाल कोटे की 12 सीटें खाली हो रही हैं। हालत यही रही तो मई के तीसरे सप्ताह तक 75 सदस्यीय विधान परिषद की 29 सीटें खाली हो जाएंगी। हालांकि, हालत सामान्य हो तो 25 दिनों के भीतर विधानसभा कोटा और शिक्षक-स्नातक क्षेत्र के चुनाव कराए जा सकते हैं। राज्यपाल के मनोनयन की सीटें कैबिनेट की सिफारिश से भरी जाती हैं।


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