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पटना के इंजीनियरिंग छात्रों ने बनाया अनोखा उपकरण, नमी बताएगी और पानी की बर्बादी भी रोकेगी डिवाइस

कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान पटना के नवीन पॉलीटेक्निक के छात्रों ने बनाया सेंसर आधारित उपकरण। किसानों को खेतों की नमी को व्यवस्थित करने में मिलेगी मदद। नमी खत्म होने पर खुद चलने लगेगा मोटर। जानिए इसमें और क्‍या है खास।

By Edited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 01:58 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 01:57 PM (IST)
पटना के इंजीनियरिंग छात्रों ने बनाया अनोखा उपकरण, नमी बताएगी और पानी की बर्बादी भी रोकेगी डिवाइस
नमी बतो व पानी की बर्बादी रोकने वाली डिवाइस बनाने वाले छात्र।

नलिनी रंजन, पटना। लॉकडाउन के दौरान घर में ही समय का सदुपयोग करते हुए राजकीय नवीन पॉलीटेक्निक, पटना के छात्रों ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की, जिससे खेतों में नमी की सही जानकारी मिल जाएगी। सिंचाई के लिए जितना पानी चाहिए होगा, उतना ही उपयोग हो सकेगा। यह डिवाइस सर्दी, गर्मी और बरसात तीनों ही मौसम में इसी अनुरूप नमी की सूचना देगी। विभिन्न फसलों के लिए अलग-अलग नमी की जरूरत होती है। यदि नमी अनुकूल नहीं है तो इसका फसल के उत्पादन पर असर पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए पॉलीटेक्निक के इलेक्ट्रॉनिक्स के छठे सेमेस्टर के छात्र चंदन कुमार, सौरव प्रकाश, जय कुमार व प्रिंस कुमार ने प्राध्यापक अनुष्का प्रधान के निर्देशन में स्मार्ट ड्रिप इरिगेशन सिस्टम तैयार किया। इसमें एक विशेष सेंसर का प्रयोग किया गया है। डिवाइस को खेतों में आठ से 10 इंच नीचे तक नीचे डाल दिया जाता है। अगर खेतों में नमी की मात्रा कम है तो डिवाइस में लगा मोटर चालू हो जाएगा और नमी मानक के अनुरूप है तो स्वत: बंद भी हो जाएगा। छात्रों ने स्ट्रॉबेरी, मशरूम, बैंगन, भिंडी, खीरा आदि की खेती पर इसका प्रयोग भी किया है।

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने भी की सराहना

सेंसर युक्त इस डिवाइस की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने भी सराहना की है। प्राचार्य चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि छात्रों द्वारा लॉकडाउन के दौरान तैयार इस डिवाइस को न सिर्फ सराहा गया, बल्कि विभाग ने इस पर हुए खर्च को भी स्वीकृत किया है।

ड्रिप सिंचाई में प्रति एकड़ 20 हजार लीटर पानी की बचत

छात्रों ने बताया कि प्रोजेक्ट तैयार करने से पहले पूरी टीम ने इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आइसीआरए) के मिट्टी अभियंत्रण विभाग के विशेषज्ञों से बात की। वहां डॉ. अकरम ने बताया कि खेतों में सामान्य सिंचाई के दौरान लगभग 20 हजार लीटर अधिक पानी बर्बाद होता है। इसी कारण हमलोगों ने ड्रिप सिंचाई सिस्टम को ईजाद किया। ड्रिप सिंचाई विधि से सेंसर तय मात्रा के बाद स्वत: मोटर को बंद कर देता है। इससे पानी की काफी बचत होती है।


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