बिहार में अबतक चमकी बुखार ने ले ली है 175 बच्चों की जान, लीची बेवजह हो रही बदनाम
बिहार में चमकी बुखार से अबतक करीब 175 बच्चों की मौत हो चुकी है। मुजफ्फरपुर में ही 175 बच्चों की मौत हो चुकी है लेकिन इस बीमारी का लीची से कोई संबंध नहीं है। पढ़ें पूरी खबर..
पटना, जेएनएन। बिहार में चमकी बुखार का असर तो कम हो चुका है लेकिन इस बीमारी के कारण बच्चों की मौत अभी जारी है। सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से मरने वाले बच्चों की संख्या 132 जा पहुंची है। इसमें से 111 बच्चों की मौत श्री कृष्ण मेमोरियल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) में और 21 बच्चों की मौत केजरीवाल हॉस्पिटल में हुई है।
अबतक करीब 175 बच्चों की हो चुकी है मौत
बता दें कि एईएस से अब तक बिहार के अलग-अलग हिस्सों में अबतक करीब 175 बच्चों की मौत हुई है। मुजफ्फरपुर के साथ ही हाजीपुर, समस्तीपुर, शिवहर, भागलपुर, बेगूसराय, भोजपुर और मोतिहारी में भी इस बीमारी से कई बच्चों की जान गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगा है जवाब
इससे पहले सोमवार को चमकी बुखार से लगातार हो रही बच्चों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे तो नहीं चल सकता, हमें जवाब चाहिए। कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र और बिहार सरकार को 7 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने का नोटिस जारी किया है।
The death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) rises to 132 in Muzaffarpur. 111 deaths in SKMCH and 21 in Kejriwal Hospital. #Bihar pic.twitter.com/xYWla9fYqa— ANI (@ANI) June 26, 2019
एईएस की वजह पता नहीं, लीची से कोई नाता नहीं
मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएल) के निदेशक विशाल नाथ का कहना है, "अगर एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का संबंध लीची खाने से होता तो जनवरी, फरवरी में भी यह बीमारी नहीं होती। वास्तविकता यह है कि इस बीमारी का लीची से कोई संबंध नहीं है और अभी तक कोई भी ऐसा शोध नहीं हुआ है, जो इस तर्क को साबित कर पाया हो। यह खबर पूरी तरह झूठी और भ्रामक है।"
लीची वजह है या नहीं...
विशाल नाथ ने लीची और एईएस के संबधों को लेकर पैदा हुए विवाद पर आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, "लीची पूरे देश और दुनिया में सैकड़ों सालों से खाई जा रही है, लेकिन यह बीमारी कुछ सालों से मुजफ्फरपुर में बच्चों में हो रही है। इस बीमारी को लीची से जोड़ना झूठा और भ्रामक है। ऐसा कोई तथ्य, कोई शोध सामने नहीं आया है, जिससे यह साबित हुआ हो कि लीची इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है।"
नहीं पता चल रही बीमारी की असल वजह-
बीमारी के पीछे की वजहों के बारे में विशाल नाथ ने कहा, "इस बीमारी की सही वजह ही अभी सामने नहीं आ पाई है। जो भी हैं, सब कयास और अनुमान हैं. फिर लीची को इसके लिए जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "मुजफ्फरपुर में कुछ परिस्थितियां हैं। गरीबी, कुपोषण और साथ में यहां गर्मी ज्यादा पड़ती है।साफ-सफाई की भी व्यवस्था ठीक नहीं है।
हो सकता है ये सारी परिस्थितियां मिलकर खास वर्ग के बच्चों में इस बीमारी के वायरस को पनपने और पैदा होने का वातावरण पैदा कर रहे हों। लेकिन यह भी अभी सत्यापित नहीं है।" हालांकि, इस बीच बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री प्रेम कुमार ने एईएस का लीची से संबंध होने की संभावना की जांच करने के शुक्रवार को आदेश दे दिए हैं।
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