15 तक संक्रामक रोग अस्पताल में खुलेगा नशा विमुक्ति केंद्र
पटना सिटी : एक अप्रैल से बिहार में शराब को प्रतिबंधित करने के अपने अटल फैसले को अमल में
पटना सिटी : एक अप्रैल से बिहार में शराब को प्रतिबंधित करने के अपने अटल फैसले को अमल में लाने के लिए राज्य सरकार ने प्रयास तेज कर दिया है। इसी के तहत अगमकुआं स्थित संक्रामक रोग अस्पताल के नये भवन में 15 मार्च से नशा विमुक्ति केन्द्र काम करने लगेगा। यह जानकारी सोमवार को अस्पताल पहुंचे सिविल सर्जन जी एस सिंह ने दी। केन्द्र में सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक आउटडोर चलेगा। मरीज को भर्ती करने के लिए दस बेड का वार्ड बनाया जा रहा है।
सीएस ने कहा कि मरीजों की संख्या बढ़ने के अनुसार ही बेड की संख्या भी बढ़ा कर 50 तक की जा सकती है। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस केन्द्र में आने वाले मरीजों के इलाज संबंधित कोई कमी नहीं होगी। दवा व भोजन दिया जाएगा। जीएस सिंह ने बताया कि इस केन्द्र पर दो प्रशिक्षित चिकित्सक, चार नर्स, फार्मासिस्ट एवं सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाएंगे। ऐसे कई केन्द्र राज्य में खोले जा रहे हैं।
एनएमसीएच के मनोचिकित्सा विभाग में कार्यरत डॉ. संतोष कुमार इस केन्द्र में सेवा देंगे। बैंगलुरु स्थित नीमहांस में प्रशिक्षण पा रहे डॉ. शाही, डॉ. पियुष कुमार एवं डॉ. विमल चौधरी में से किसी एक को इस केन्द्र में पदस्थापित किया जाएगा। सिविल सर्जन ने बताया कि 24 घंटे इस केन्द्र पर चिकित्सकीय सेवा एवं सुविधा मरीजों को मिलेगी। अस्पताल पहुंचे सीएस के साथ राज्य स्वास्थ्य समिति के अधिकारी सुधीर कुमार, एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. ए पी सिंह भी थे।
-दो सप्ताह बाद सब सामान्य, मरीज की गुप्त रहेगी पहचान
नशा विमुक्ति केन्द्र आने वाले मरीजों की पहचान गुप्त रखी जाएगी। डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि शराब के आदी समाज व परिवार की कोशिश तथा अपनी इच्छा शक्ति से जब शराब छोड़ेंगे तब उन्हें दो सप्ताह तक परेशानी हो सकती है। इस दौरान शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर मरीज में उत्पन्न होने वाली प्रतिक्रिया को जानने-समझने के लिए केन्द्र में एक काउंसिलर भी होंगे। मनोचिकित्सक तथा काउंसिलर की कोशिशों तथा मरीज की इच्छा शक्ति से व्यक्ति शराब पूरी तरह छोड़ कर सामान्य जीवन जीने लगेगा।
-परिजन व बंद वार्ड की होगी आवश्कता
चिकित्सकों ने बताया कि नशा विमुक्ति केन्द्र में भर्ती होने वाले मरीजों की हरकत पर नजर रखने के लिए परिवार के सदस्य की आवश्यकता होगी। परिजनों के ठहरने एवं खाने-पीने के लिए रसोई का भी इंतजाम करना होगा। जिनके परिजन उपलब्ध नहीं होंगे उनके लिए केन्द्र में बंद वार्ड की जरूरत पड़ेगी। यहां सुरक्षा का खास ध्यान रखना होगा ताकि बेचैनी में मरीज कोई गलत कदम न उठा ले।