चिड़याघर के मांसाहारी जानवर भी हफ्ते में एक दिन रखते हैं व्रत, जानें क्यों होता है ऐसा
मांसाहारी जानवर प्रतिदिन भोजन नहीं करते हैं। भूख लगने पर शिकार ढूंढते हैं। बाघ शेर तेंदुआ सहित सभी मांसाहारी वन्य जीव भी प्रकृति की चाल से कदमताल मिलाकर चलते हैं। ऐसा उन्हें फिट रखने के लिए किया जाता है।
मृत्युंजय मानी, पटना। जंगलों में रहने वाले मांसाहारी जानवर प्रतिदिन भोजन नहीं करते हैं। केंद्रीय चिड़याघर प्राधिकरण ने मांशाहारी जानवरों के लिए गाइडलाइन बनाई है। उसमें देशभर के चिड़याघरों में मांसाहारी जानवरों को एक दिन उपवास रखवाया जाता है। वहीं शाकाहारी जानवरों की खुराक में भी सप्ताह में एक दिन कमी लाई जाती है।
वाइल्ड में जानवर फिजिकल रूप से रहते हैं दुरुस्त
संजय गांधी जैविक उद्यान में बाघ, शेर, तेंदुआ सहित अन्य मांशाहारी जानवराें को साेमवार को उपवास पर रखा जाता है। उद्यान निदेशक अमित कुमार का कहना है कि जंगल में ये जानवर फिजिकल रूप से दुरुस्त रहते हैं। वहीं चिड़याघरों में छोटे से क्षेत्र में रहना पड़ता है। शाकाहारी जानवरों की खुराक में भी सप्ताह में एक दिन कमी ला दी जाती है।
पाचनतंत्र मजबूत करने के लिए उपवास जरूरी
उद्यान के चिकित्सक आरके पांडेय का कहना है कि पाचनतंत्र को मजबूत रखने के लिए उपवास रखना जरूरी है। ठंड आते ही बाघ-शेर के भोजन में वृद्धि हो गई है। गर्मी के मौसम में आठ किलो मांस प्रति दिन भोजन के रूप में लेते थे। वर्तमन में औसतन 12 किलो ले रहे हैं। इन्हें उपवास के दिन क से दो किलो तक मुर्गा का मांस दिया जाता है।
प्रकृति में मांसाहारी जानवर प्रतिदिन नहीं लेते हैं भोजन
वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के उप निदेशक डॉ. समीर कुमार सिन्हा का कहना है कि प्रकृति में मांसाहारी जानवर प्रतिदिन भोजन नहीं करते हैं। भूख लगने पर शिकार पर निकलते हैं। कई बार शिकार के लिए कोशिश करेंगे तो भोजन मिल पाता है। हमेशा जंगलों में भ्रमण करते रहते हैं। शिकार करने के बाद उस मांस को तीन-चार दिनों तक खाते हैं। उसके बाद तीन-चार दिनों तक उपवास पर रहते हैं। वहीं चिड़ियाघरों में प्रतिदिन बिना प्रयास के उन्हें भोजन उपलब्ध हो जाता है। चिड़ियाघरों में मानव को वन्य प्राणियों के बारे में अवगत कराने तथा उनके महत्व की जानकारी के लि रखा जाता है।
काफी शोध के बाद रखा जाता है उपवास
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यू ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक सह बिहार राज्य वन्य प्राणी पर्षद के सदस्य पीआर सिन्हा का कहना है कि जंगल में बाघ बड़ा जानवर शिकार करता है तो दो-तीन दिनों तक भोजन के रूप में लेता है। पांच-छह दिनों तक भोजन नहीं लेता है। चिड़याघर में रहने वाले मांसाहारी जानवरों पर काफी शोध के बाद उनके पाचन तंत्र मजबूत बनाने के लिए सप्ताह में एक दिन उपवास रखा जाता है।