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Pulwama Terror Attack के बाद चर्चा में आतंकवाद, बिहार से भी गहरे जुड़े रहे तार

बिहार में आतंकवाद की जड़ें गहरा गईं हैं। जम्‍मू-कश्‍मीर में सीआरपीएफ की टुकड़ी पर आतंकी हमले के बाद चर्चा में आए आतंकवाद के बहाने पढ़ें इसके बिहार कनेक्‍शन की पड़ताल करती खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 10:43 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 06:50 PM (IST)
Pulwama Terror Attack के बाद चर्चा में आतंकवाद, बिहार से भी गहरे जुड़े रहे तार
Pulwama Terror Attack के बाद चर्चा में आतंकवाद, बिहार से भी गहरे जुड़े रहे तार

पटना [अमित आलोक]। जम्‍मू-कश्‍मीर में सीआरपीएफ की टुकड़ी पर आतंकी संगठन 'जैश-ए-मोहम्‍मद' के हमले में 44 जवान शहीद हो गए हैं। इस हमले के साथ एक बार फिर आतंकवाद चर्चा में है। बिहार में हुए आतंकी हमलों में भी जैश' व 'इंडियन मुजाहिदीन' (आइएम) सहित विभिन्‍न आतंकी संगठनों की संलिप्‍तता रही है। इनके तार बिहार से भी जुड़े रहे हैं। अहमदाबाद ब्‍लास्‍ट का मास्‍टरमाइंड तथा 'जैश' सरगना मसूद अजहर का दाहिना हाथ रहा तौसीफ तथा 'आइएम' सरगना यासीन भटकल बिहार में ही पकड़े गए थे।
पहली बार 2000 में पकड़े गए थे दो आतंकी
वर्ष 2000 में बिहार के सीतामढ़ी जिले में पहली बार दो आतंकियों 'हिजबुल मुजाहिदीन' के मकबूल और जहीर की गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद जांच एजेंसियों के कान खड़े हो गए थे। फिर, 2006 से सीमांचल और मिथिलांचल सहित पूरे बिहार से लगातार आतंकियों के तार जुड़ते रहे। कई गिरफ्तारियां भी हुईं।
2006 में आतंकवाद से जुड़ा मधुबनी का नाम
2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन में ब्लास्ट के बाद पहली बार मधुबनी जिले का नाम आतंकवाद से जुड़ा। तब बासोपट्टी के मो. कमाल को आतंकवाद निरोधी दस्‍ता (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था। इसी दौर में सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) पर प्रतिबंध लगाया गया।

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अागे पहली जनवरी, 2008 को रामपुर (यूपी) के सीआरपीएफ कैंप में विस्फोट के तार भी मधुबनी से जुड़े। पुलिस ने लखनऊ से 2 जनवरी, 2008 को जिस सबाऊद्दीन को गिरफ्तार किया, वह मधुबनी जिले के सकरी थाने के गंधवारी गांव का निकला। 2009-10 में दिल्ली ब्लास्ट मामले में मधुबनी के बासोपट्टी के बलकटवा से मदनी की गिरफ्तारी हुई। 26 नवम्बर, 2011 को दिल्ली पुलिस ने मधुबनी के सिंघानिया चौक व सकरी के दरबार टोला से क्रमश: अफजल व गुएल अहमद जमाली को पकड़ा।
आतंकवाद की नई नर्सरी के रूप में उभरा दरभंगा
एनआइए कई बार कह चुका है कि मिथिलांचल में 'आइएम' चुपके-चुपके संगठन का विस्तार कर रहा है। यहां से असादुल्लाह रहमान उर्फ दिलकश, कफील अहमद, नकी अहमद जैसे सरगना पकड़े जा चुके हैं। देश में विभिन्न जगहों पर हुए आतंकी विस्फोटों में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार 'आइएम' के 13 सदस्‍याें में 12 दरभंगा के ही निकले, जबकि एक एक मो. आदिल करांची (पाकिस्तान) का है।  इस लिस्‍ट में दरभंगा से असादुल्लाह रहमान उर्फ दिलकश, कफील अहमद, तलहा अब्दाली उर्फ इसरार, मो. तारिक अंजुमन, हारुण राशिद नाइक, नकी अहमद, वसी अहमद शेख, नदीम अख्तर, अशफाक शेख, मोहम्मद इरशाद, गयूर अहमद जमाली और आफताब आलम उर्फ फारुक शामिल हैं।
जांच में यह बात सामने आयी कि 'आइएम' के सरगना अहमद सिद्दी बप्पा उर्फ यासीन भटकल ने बेरोजगार युवाओं को गुमराह कर आतंकवाद का प्रशिक्षण देने के लिए दरभंगा जिले को ही चुना था। खुफिया सूत्रों की मानें तो 'आइएम' अल्‍पसंख्‍यक घनी आबादी वाले इलाकों को ही ठिकाना बनाते रहा है। दरभंगा को बेस बना आतंक की साजिश रचने वाले यासीन भटकल व अब्दुल असगर उर्फ हड्डी को पूर्वी चंपारण की नेपाल सीमा पर पकड़ा गया था।


दिल्ली ब्‍लास्‍ट के सिलसिले में 12 जनवरी, 2012 को दरभंगा जिले के जाले थाना क्षेत्र स्थित देवड़ा बंधौली गांव निवासी नदीम और नक्की को गिरफ्तार किया गया था। दोनों की निशानदेही पर विस्फोट में प्रयुक्त मोटरसाइकिल मिली थी। आगे 21 फरवरी 2012 को एटीएस की टीम ने शिवधारा से साइकिल मिस्त्री कफील अहमद को पकड़ा था। उसे आइएम का मेंटर बताया गया। दरभंगा के केवटी थाने के समैला गांव से कर्नाटक पुलिस ने बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम विस्फोट में संलिप्तता के आरोप में संदिग्ध आतंकी मो. कफील अख्तर को गिरफ्तार किया था।
सऊदी अरब में केवटी के बाढ़ समैला गांव के फसीह महमूद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से पकड़ा था। 'आइएम' चीफ रियाज भटकल और इकबाल भटकल से जुड़ा फसीह 2008 में बटला हाउस मुठभेड़ के बाद सऊदी अरब भाग गया था। वहां से वह आइएम को धन देता रहा था। आगे जनवरी 2013 में लहेरियासराय थाने के चकजोहरा मोहल्ला से मो. दानिश अंसारी को आतंकी साजिश में गिरफ्तार किया गया।  विभिन्‍न आतंकी हमलों में वांछित कुख्‍यात दाउद इब्राहिम इन दिनों पाकिस्‍तान में छिपा है। दाऊद का सहयोगी फजलुर्रहमान भी दरभंगा के जाले थाने के देवड़ा बंधौली गांव का है। अभी वह तिहाड़ जेल में बंद है।
बोधगया धमाके से भी जुड़े आतंकियों के तार
07 जुलाई 2013 को बिहार में दूसरी बड़ी आतंकी वारदात हुई थी। गया स्थित प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर परिसर के चारों ओर कुल आठ बम विस्‍फोट हुए थे। इस घटना में छह की मौत हुई, जबकि पांच घायल हुए थे।

नरेंद्र मोदी की रैली के ठीक पहले सीरियल विस्‍फोट
बोधगया की आतंकी वारदात के बाद पटना के गांधी मैदान में आयोजित भाजपा की 'हुंकार रैली' के ठीक पहले अक्‍टूबर 2013 में पटना में सात सीरियल विस्‍फोट हुए। इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक घायल हो गए। इस वारदात को बोधगया की तर्ज पर ही अंजाम दिया गया था।

ऐसे खुली रेल दुर्घटनाओं में आतंकी साजिश की पोल
ज्‍यादा दिन नहीं हुए, जब उत्तर प्रदेश के कानपुर में कुछ रेल हादसे हुए थे। बाद में इनके पीछे आतंकी सरजिश का खुलासा हुआ। मोतिहारी पुलिस के हत्थे चढ़े तीन शातिर अपराधियों ने यह बात स्वीकर की कि पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन में 01 अक्टूबर 2016 को रेलवे ट्रैक को बम से उड़ाने की कोशिश की गई थी। इसके बाद कानपुर में हुए रेल हादसों के पीछे आंतकी साजिश का भी खुलासा हुआ। इन घटनाओं के पहले 10 सितम्बर 2002 को रफीगंज में हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटना के पीदे भी आतंकी साजिश का खुलासा हुआ। इस दुर्घटना में 150 यात्रियों की मौत हो गई थी।
अहमदाबाद ब्लास्ट का आरोपी गया से गिरफ्तार
बिहार में गया स्थित सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के राजेन्द्र आश्रम मोहल्ले के एक साइबर कैफे से बीते सितंबर 2017 में दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। उनमें एक 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों का मास्‍टरमाइंड मो. तौसीफ निकला। वह आतंकी संगठन जैश ए मोहम्‍मद सरगना मसूद अजहर का दायां हाथ था। उसका संपर्क आतंकी संगठन 'अल-कायदा' से भी था। एनआइए को उसकी तलाश लंबे समय से थी। मसूद अजहर वही आतंकवादी है, जिसकी भारत की जेल से रिहाई के लिए 1999 में कंधार विमान अपहरण कांड को अंजाम दिया गया था। यात्रियों की जान की कीमत के बदले जिन तीन आतंकियों की रिहाई हुई थी, उनमें मसूद अजहर भी शामिल था।
तौसीफ गया में स्लीपर सेल बनाने में जुटा था। उसने गिरफ्तारी तक 50 से अधिक जेहादियों के तैयार कर लिया था। गया में रहते हुए भी उसने अपना नेटवर्क देश के अन्य राज्यों में भी संचालित कर रखा था।
भटकाव की राह पर युवा, रोक लगाना जरूरी
देश में विभिन्‍न आतंकी हमलों में बिहार के लोगों की संलिप्तता सामने आने के बाद लोग हैरान हैं। समाजशास्त्री प्रो. विनय कुमार वर्मा का मानना है कि आइएम व जैश जैसे संगठन समाज विशेष के युवाओं को दिग्भ्रमित कर गलत रास्ते पर ले जा रहा है। इस पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है। समाजशास्त्री डॉ. मुश्ताक अहमद ने कहा कि सामाजिक सरोकारों से विमुख होने के कारण युवा मन भटक रहा है। आज की शिक्षा का एकमात्र ध्येय केवल रोजगारपरक होकर रह गया है। ऐसी शिक्षा भौतिकवाद की ओर उन्मुख करती है। उच्च जीवनशैली और एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में युवा भटक रहे हैं।


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