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क्‍या पटना के फर्जी टेलीफोन एक्‍सचेंज के आतंकियों से जुड़े थे तार? पाकिस्‍तान व खाड़ी देशों में सबसे अधिक कॉल

बिहार की राजधानी पटना में हाल ही में पकड़े गए फर्जी टेलीफोन एक्‍सचेंज के तार आतंकियों से जुड़े होने की जांच एटीएस कर रही है। थे प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इसके माध्‍यम से सर्वाधिक कॉल पाकिस्‍तान व खाड़ी देशों में किए गए हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 01:14 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 01:18 PM (IST)
क्‍या पटना के फर्जी टेलीफोन एक्‍सचेंज के आतंकियों से जुड़े थे तार? पाकिस्‍तान व खाड़ी देशों में सबसे अधिक कॉल
पटना के फर्जी एक्‍सचेंज से काल की प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

पटना, स्‍टेट ब्‍यूरो। पटना के अनीसाबाद में पकड़े गए फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज (Patna Fake Telephone Exchange) मामले में आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) और पटना पुलिस (Patna Police) की टीम मौके से बरामद डाटा खंगालने में जुट गई है। आतंकी गतिविधियों में इंटेलीजेंस एजेंसियों (Intelligence Agencies) या सरकार के गेटवे में आए बिना बात करने के लिए अकसर ऐसे ही फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का उपयोग किया जाता रहा है। पुलिस ने मौके से बरामद कंप्यूटर, सीपीयू व 64 सिम कार्ड के डाटा को खंगालना शुरू कर दिया है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, सबसे अधिक कॉल पाकिस्तान (Pakistan) व खाड़ी देशों (ईरान, इराक, सऊदी अरब, ओमान आदि) में किए गए हैं। हाल के दिनों में इस इलाके में आने वाले इंटरनेशनल कॉल के लगातार ड्रॉप (International Call Drop) होने के बाद खुफिया एजेंसी को शक हुआ जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।

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फर्जी एक्‍सचेंज से कम पैसे में करा रहे थे बात 

गिरफ्तार आरोपितों अनिल चौधरी और सुशील चौधरी ने पूछताछ में बताया कि वे सस्ती दर पर विदेशों में बात कराते थे। बिहार के अधिसंख्य लोग खाड़ी देशों (Gulf Countries) में रोजगार के लिए रहते हैं, इसलिए वहां के कॉल ज्यादा हैं। यह कॉल बिहार में सिवान, छपरा, गोपालगंज जैसे जिलों में डायवर्ट किए जाते थे। फर्जी एक्सचेंज के माध्यम से विदेश से कॉल करने वाले लोगों की कम पैसे में बात हो जाती थी। ऐसे में आरोपितों को जितना भी पैसा मिलता था वह लाभ ही होता था।

संचालकों के सिलीगुड़ी से भी जुड़े थे तार

जांच टीम के अनुसार, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का पूरा सिंडिकेट काम करता है। इसके मुख्य संचालन दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में बैठते हैं और छोटे-छोटे शहरों में अपना नेटवर्क तैयार करते हैं। अनीसाबाद में पकड़े गए फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के तार सिलीगुड़ी से भी जुड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इसका मुख्य संचालक सबीउल्लाह सिलीगुड़ी में रहता है। इसके पहले पिछले साल गांधी मैदान में पकड़े गए फर्जी एक्सचेंज मामले में भी नेपाल और दिल्ली का लिंक सामने आया था मगर कोई बड़ा खुलासा नहीं हो सका।  

इंटरनेट कॉल को लोकल बना कराते बात

फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज इंटरनेशनल कॉल को लोकल कॉल में बदलकर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करते हैं। इसके लिए वीओआइपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल टेक्नोलॉजी) का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें विदेश में बैठा व्यक्ति इंटरनेट कॉल करता है और यह फर्जी एक्सचेंज उस कॉल को सरकार के गेटवे से बचाते हुए वॉयस कॉल कर लोकल में बदल देते हैं। इसमें विदेश की लोकेशन नहीं दिखती। आतंकी गतिविधियों में अकसर ऐसे ही फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के जरिए बातचीत की जाती है, ताकि खुफिया एजेंसी या सरकार के गेटवे में आए बिना बात की जा सके।

चार साल में पकड़े गए तीन फर्जी एक्सचेंज

बिहार में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का मामला नया नहीं है। इसके पहले भी राजधानी में पिछले चार सालों में तीन फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज पकड़े गए हैं। पिछले साल जनवरी में ही गांधी मैदान के सलिमपुर अहरा के गली नंबर दो से फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज पकड़ा गया था। इसमें भी इंटरनेशल कॉल को लोकल में बदलकर बातचीत कराने का खुलासा हुआ था। इसके तार दिल्ली और नेपाल से भी जुड़े थे। इसके पहले वर्ष 2017 में भी गांधी मैदान थाना क्षेत्र से ही फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का खुलासा हुआ था। आश्चर्य की बात यह है कि इसका संचालन भी अनिल और सुशील चौरसिया ही करते थे। इस मामले में उनकी गिरफ्तारी भी की गई थी। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अनीसाबाद में इसका संचालन शुरू कर दिया।


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