तेजस्वी यादव के इस दांव से भाजपा और कांग्रेस दोनों की बढ़ेगी चिंता, क्या है लालू यादव की पार्टी का गेम प्लान
Bihar Politics राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अब शायद कांग्रेस से पीछा छुड़ाने की कोशिश में जुट गए हैं। उनकी नई रणनीति से भाजपा भी परेशान होगी।
पटना, आनलाइन डेस्क। Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अब शायद कांग्रेस से पीछा छुड़ाने की कोशिश में जुट गए हैं। पहले बिहार विधानसभा के उप चुनाव और विधान परिषद के उप चुनाव में उनके रवैये से बिहार में कांग्रेस परेशान है। लालू यादव ने कहा था कि बिहार में राजद और केंद्र में कांग्रेस मजबूत विकल्प है। हालांकि, अब तेजस्वी के रवैये से यह सवाल उठ रहा है कि क्या सही में राजद केंद्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ रहेगा? तेजस्वी मंगलवार को तेलंगाना के दौरे पर थे।
विपक्षी एकता की पहल के मायने क्या
बताया जा रहा है कि तेजस्वी यादव केंद्र में मजबूत विकल्प के लिए विपक्षी एकता की कड़ी मजबूत करने तेलंगाना गए थे। उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर के साथ मुलाकात की। कहा कि भाजपा के खिलाफ मजबूत विकल्प देना तत्काल जरूरी है। तेजस्वी यादव के साथ उनके खास विधान पार्षद सुनील सिंह भी थे। दोनों नेताओं ने मंगलवार को दिन का भोजन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के साथ किया। शाम होते-होते दोनों पटना भी लौट आए।
चार्टर्ड फ्लाइट का लिया सहारा
तेजस्वी यादव का यह दौरा कितना अहम था, इसे इस बात से समझा जाना चाहिए कि उन्होंने हैदराबाद जाने के लिए चार्टर्ड फ्लाइट का सहारा लिया। यानी वे विशेष विमान से तेलंगाना गए और लौटे। हाल के दिनों में वे कई बार दिल्ली आए-गए, लेकिन आम तौर पर वे नियमित विमान सेवा का ही उपयोग करते हैं।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नजदीक
उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। इन राज्यों में भाजपा के खिलाफ एकजुट विपक्ष नहीं दिख रहा। कांग्रेस अपने दम पर जबकि दूसरी पार्टियां अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। राजद ने उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को समर्थन देने की बात कही है। ऐसे में तेजस्वी का विपक्षी एकता की गोलबंदी करना अहम है। दीगर बात यह भी है कि उत्तर प्रदेश में विपक्षी एकता की कवायद पूरी तरह धराशाई दिख रही है। यहां कांग्रेस, सपा और बसपा के अलावा एआइएमआइएम जैसी पार्टियां भी अकेले खम ठोंक रही हैं।