Move to Jagran APP

राजद के कायदे से ऊपर होता जा रहा है तेजप्रताप का कद, पार्टी उन्‍हें संभाल नहीं पा रही

तेजप्रताप ने पहली बार लालू के करीबी के खिलाफ मुंह नहीं खोला है। कई बड़े आरोपों के बावजूद वे पार्टी के अनुशासन के दायरे में नहीं आ पाते हैं। लालू परिवार के सदस्य होने का उन्‍हें फायदा मिलता है। कोई उनके खिलाफ शिकायत करने का साहस नहीं कर पाता।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 03:42 PM (IST)Updated: Mon, 15 Feb 2021 02:15 PM (IST)
राजद के कायदे से ऊपर होता जा रहा है तेजप्रताप का कद, पार्टी उन्‍हें संभाल नहीं पा रही
लालू यादव के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव की तस्‍वीर ।

पटना, राज्‍य ब्‍यूरो । राजद विधायक तेजप्रताप यादव (RJD MLA Tej Pratap Yadav) ने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (State President Jagdanand Singh) पर तानाशाही का इल्जाम लगाकर पहली बार पार्टी के दायरे और कायदे (rules and discipline) से बाहर नहीं गए हैं, बल्कि इसके पहले भी वह कई बार ऐसा कर चुके हैं। मगर हर बार उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जगदानंद से पहले तेजप्रताप ने अपने दल के वरिष्ठतम नेता रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) की तुलना 'एक लोटा पानी' से कर दी थी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे (Ram Chandra Purve) को भी सार्वजनिक तौर पर कई बार खरी-खोटी सुना चुके हैं। यहां तक कि लोकसभा चुनाव में राजद के खिलाफ प्रत्याशी उतार दिया था। प्रचार भी किया था। फिर भी पार्टी ने उनके खिलाफ कभी कार्रवाई की जरूरत नहीं समझी।

loksabha election banner

राजद में सुलग रहे सवाल, मगर बोलने को कोई तैयार नहीं

तेजप्रताप के तेवर की पुरानी फाइलें पलटी जा रही हैं। सवाल भी उछाले जा रहे हैं। भाजपा-जदयू (BJP-JDU)  हमलावर हैं। राजद के भीतर भी सवाल सुलग रहे हैं। हालांकि लालू परिवार के खिलाफ मुंह खोलने के लिए कोई भी तैयार नहीं है, लेकिन अंदर ही अंदर पूछा जा रहा है कि तेजप्रताप की जगह कोई और होता तो उसके साथ क्या सलूक होता? क्या अबतक कार्रवाई से बच पाता? लालू प्रसाद के वफादारों की पहली कतार के नेता जगदानंद के खिलाफ अगर किसी और ने मुंह खोला होता तो क्या प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद उसे उसी तरह नजरअंदाज कर देते, जैसा उन्होंने तेजप्रताप को किया है।

राजद प्रत्‍याशी को हरवाकर भी बच निकलें

महज तीन महीने पहले विधानसभा चुनाव में जिस तरह के आरोपों में पूर्व सांसद सीताराम यादव (Ex MP Sitaram Yadav) को राजद से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, उससे ज्यादा बड़ा अपराध तो लोकसभा चुनाव में तेजप्रताप ने किया था। जहानाबाद से वह अपने खास के लिए टिकट चाह रहे थे, जहां से राजद ने सुरेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया था। बात नहीं बनी तो तेजप्रताप ने राजद से अलग लालू-राबड़ी नाम से एक मोर्चा बनाया और राजद के अधिकृत के खिलाफ अपना प्रत्याशी उतार दिया। उन्होंने हेलीकाप्टर से प्रचार तो किया ही, राजद प्रत्याशी पर कई तरह के आरोप भी लगाए। लालू के वोट बैंक मेें सेंध लगाई, जिसका नतीजा हुआ कि राजद प्रत्याशी को मामूली वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

तब भी कार्रवाई के दायरे से बाहर रहे

लालू प्रसाद के बाद राजद में दूसरे नंबर के नेता माने जाने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह को भी तेजप्रताप ने कभी ऐसे ही निशाने पर लिया था। रघुवंश की तुलना उन्होंने एक लोटा पानी से करते हुए कहा था कि राजद में उनके रहने या जाने से कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। तब रघुवंश बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे। कुछ ही दिनों के बाद उनका निधन भी हो गया। राजद में बात भी उठी। लालू परिवार के विरोधियों ने भी मुद्दे को उछाला, लेकिन तेजप्रताप कार्रवाई के दायरे से बाहर रहे। हालांकि लालू ने रांची बुलाकर तेजप्रताप को समझाया तो बाद में उन्होंने माफी मांग ली और सफाई दी।

कोई शिकायत तक नहीं कर पाता

तेजप्रताप को राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के पुत्र होने का फायदा मिलता रहा है। कोई शिकायत ही नहीं करता है, जिससे वह कार्रवाई के दायरे में नहीं आ पाते। राजद के संविधान के मुताबिक विधायक होने के कारण वह राजद के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य हैं। इस नाते उनके खिलाफ सिर्फ आलाकमान कार्रवाई कर सकता है। इसके अलावा राष्ट्रीय प्रधान महासचिव के पास भी कार्रवाई की अनुशंसा का अधिकार है, पर शर्त है कि इसके लिए कोई न कोई शिकायत करे। हैरत है कि तेजप्रताप के खिलाफ पार्टी में कोई शिकायत नहीं कर पाता है। इसलिए कार्रवाई भी नहीं होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.