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शिक्षा व्‍यवस्‍था में क्‍लास डिफरेंस का मुद्दा उठाती 'परीक्षा', इसमें गरीब सपनों के हौसले की भी उड़ान

प्रकाश झा की हाल में रिलीज फिल्‍म परीक्षा बिहार-झारखंड की शिक्षा व्‍यवस्‍था का अक्‍स उकेरती है। इसमें शिक्षक व छात्र की भूमिकाओं में नजर आए कई कलाकार बिहार के हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 11:46 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 09:29 AM (IST)
शिक्षा व्‍यवस्‍था में क्‍लास डिफरेंस का मुद्दा उठाती 'परीक्षा', इसमें गरीब सपनों के हौसले की भी उड़ान
शिक्षा व्‍यवस्‍था में क्‍लास डिफरेंस का मुद्दा उठाती 'परीक्षा', इसमें गरीब सपनों के हौसले की भी उड़ान

पटना, जेएनएन। प्रकाश झा ने बिहार के कोचिंग संस्‍थान 'सुपर 30' पर एक फिल्‍म बनाई थी- आरक्षण। फिल्‍म में अमिताभ बच्‍चन सुपर 30 के संचालक आनंद के किरदार में नजर आए थे। व्‍यवसाय बन चुकी शिक्षा व्‍यवस्‍था के बीच दम तोड़ते गरीब सपनों को उड़ान देने की आंनद की कोशिशों को उकेरती उस फिल्‍म के कई साल बाद 2020 में प्रकाश झा शिक्षा व्‍यवस्‍था पर एक और फिल्‍म 'परीक्षा' लेकर सामने आए हैं। यह गरीब तबके के एक होनहार बच्चे की कहानी है, जो शिक्षा में क्लास डिफरेंस के अहम मुद्दे को उठाती है। शिक्षक दिवस के अवसर पर हमने इसके कुछ कलाकारों से बात की।

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फिल्‍म में बुच्ची पासवान (आदिल हुसैन ) एक रिक्शा चालक है। उसका बेटा बुलबुल कुमार (शुभम झा) पढ़-लिख कर भविष्य में अच्छा करना चाहता है। गरीब बुच्‍ची अपने बेटे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहता है। इत्‍तफाक से उसके पास इसके लिए पैसे आ जाते हैं, लेकिन खत्‍म भी हो जाते हैं। बेटे को अच्‍छे स्‍कूल में पढ़ाने के लिए बुच्‍ची चोर बनने के लिए मजबूर हो जाता है। हालांकि, बेटे की मेहनत रंग लाती है और वह स्कूल टॉपर बनता है। फिल्‍म में बुलबुल की मां राधिका (प्रिंयका बोस) एक गरीब व मजदूर मां की दुनिया में ले जाती है। वह अपने सपनों को छोटा कर बेटे की उड़ान को पंख लगाती है।

बेटे के लिए निर्धन माता-पिता का संघर्ष

पूरी फिल्‍म बुलबुल (शुभम) के इर्द-गिर्द घूमती है। वह एक शांत और सौम्य छात्र है, जिसे अपने परिवार की मजबूरी के बीच अपनी मेहनत पर भरोसा है। फिल्‍म में बुलबुल की भूमिका निभाने वाले शुभम झा बिहार के दरभंगा के मूल निवासी हैं। वे इसके पहले कई टीवी सीरियल में लीड बाल कलाकार की भूमिका में अपनी पहचान बना चुके हैं। लॉकडाउन के दौरान दरभंगा आए शुभम ने बताया कि इस फिल्‍म में काम करना उसके लिए चुनौती भरा अनुभव रहा। फिल्म अपने बेटे के लिए एक निर्धन माता-पिता के संघर्ष को दर्शाती है।

शिक्षा व्‍यवस्‍था पर चोट करती फिल्‍म

फिल्‍म में प्राइवेट स्‍कूल की प्रिंसिपल की भूमिका में नजर आईं सीमा सिंह रांची विश्‍वविद्यालय में असिस्‍टेंट प्रोफेसर हैं। मूल रूप से वे बिहार के मोतिहारी की हैं। सीमा के अनुसार प्रकाश झा के साथ काम करने का अनुभव शानदार रहा। उन्‍होंने बताया कि फिल्‍म हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था पर चोट करते हुए बताती है कि प्रतिभाशाली गरीब बच्चों के सामने अच्छी शिक्षा पाने में कैसी-कैसी मुश्किलें आती हैं।

फिल्‍म में पूर्व डीजीपी अभयानंद के अनुभव भी शामिल

शिक्षा व्‍यवस्‍था की कड़वी हकीकत को उजागर करती यह फिल्‍म पुलिस वर्दी वाले एक शिक्षाविद व बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद के अनुभवों पर भी आधारित है। इस भूमिका में नजर आए कैलाश आनंद (संजय सूरी) रांची के एसपी बने हैं। फिल्‍म में वे पुलिस ड्यूटी से समय निकालकर बुच्‍ची पासवान की बस्ती में बुलबुल सहित अन्य गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं। रियल लाइफ में अभयानंद भी बिहार में गरीब मेधावी बच्‍चों

को आइआइटी प्रवेश परीक्षा के लिए तयारी कराते रहे हैं। निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा के अनुसार अभयानंद ने उन्‍हें नक्सल एक प्रभावित इलाके के बच्चों को फिजिक्स पढ़ाने के दौरान उनकी अधासारण मेधा से प्रभावित होने की बात बताई थी। बकौल प्रकाश झा, फिल्‍म में इससे जुड़ा एक पात्र है। फिल्‍म में दूसरी कहानियों से दूसरे पात्र भी शामिल हैं।


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