नए वित्तीय वर्ष में बढ़ भी सकते हैं टैक्स, वित्त विभाग ने मांगा प्रस्ताव
वित्त सचिव ने सभी विभागों को पत्र लिखा है कि कोरोना के कारण आई मंदी से से राजस्व में कमी आई है। राज्य में विकास की रफ्तार बनाए रखने के लिए टैक्स के स्रोतों में वृद्धि जरूरी है। इसके लिए टैक्स वसूली वाले विभागों को 15 जनवरी तक ब्योरा मांगा
पटना, राज्य ब्यूरो । कोरोना के कारण आई मंदी से खराब हुई खजाने की हालत को सुधारने के लिए राज्य में कुछ अतिरिक्त टैक्स भी लगाए जा सकते हैं। सोमवार (4 जनवरी) को वित्त विभाग ने एक पत्र के जरिए यह संकेत दिया है।
वित्त सचिव (संसाधन) लोकेश कुमार सिंह का यह पत्र सरकार के सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव एवं सचिव को संबोधित है। विभागों को कहा गया है कि वे अपना प्रस्ताव 15 जनवरी तक भेज दें। ताकि उसे वित्त विधेयक 2021 में शामिल किया जा सके।
टैक्स के स्रोतों में वृद्धि के संकेत
पत्र में कहा गया है कि विकास की मौजूदा रफ्तार को कायम रखने के लिए यह जरूरी है कि राज्य टैक्स के स्रोतों में वृद्धि करे। कुछ मामलों में यह वृद्धि कार्यपालक आदेश के जरिए हो सकती है। लेकिन, कुछ ऐसे भी मद हैं, जिनमें करों की बढ़ोतरी अधिनियम के जरिए ही हो सकती है। समझा जाता है कि बढ़ोतरी के प्रस्तावों की समीक्षा के बाद राज्य सरकार सालाना बजट के दौरान विधानमंडल में नए करों की घोषणा कर सकती है। इसे बजट के साथ-साथ पेश होने वाले वित्त विधेयक में शामिल किया जा सकता है। अगर टैक्स में वृद्धि का प्रस्ताव पारित होता है तो वह अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 से प्रभावी होगा।
विभागों को देना है यह ब्योरा
विभागों को कहा गया है कि वे अपने प्रस्ताव में यह जिक्र भी करें कि इस समय किस दर से और कब से कितने टैक्स की वसूली हो रही है। इसका उल्लेख इसलिए करना जरूरी है ताकि पता चल सके कि टैक्स का पुनरीक्षण कितने दिनों से नहीं किया गया है। अगर कोई विभाग यह कहता है कि उनके यहां फिलहाल टैक्स की दरों में संशोधन की जरूरत नहीं है तो उसका कारण भी बताना होगा। पत्र में कहा गया है कि बढ़ोतरी के प्रस्तावों में विधि विभाग की राय अपेक्षित है तो उसका भी जिक्र करें।
कम है आंतरिक संसाधन से आय
राज्य सरकार के खजाने में आंतरिक संसाधन से काफी कम आय होती है। शराबबंदी के बाद उत्पाद से आय शून्य पर चला गया है। एसजीएसटी, खनन, परिवहन, भू लगाप और जमीन-फ्लैट के निबंधन जैसे कुछ मद हैं, जिनसे आय होती है। लेकिन, कोरोना के चलते आय के ये तमाम स्रोत लगभग सूख गए हैं। चालू वित्तीय वर्ष के नौ महीने गुजर गए हैं। आखिरी तिमाही में राजस्व वसूली के सालाना लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश हो रही है। राहत की बात यह है कि एसजीएसटी और जमीन-फ्लैट के निबंधन से होने वाली आय में कुछ सुधार हुआ है।