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टेराकोटा और फोटोग्राफी वर्कशॉप में कलाकार दिखा रहे हुनर, फूंक रहे मिट्टी में जान

तरुमित्र आश्रम परिसर में 24 मई से आयोजित टेराकोटा और फोटोग्राफी वर्कशॉप में कलाकार मिट्टी में प्राण फूंक रहे हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 09:58 AM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 09:58 AM (IST)
टेराकोटा और फोटोग्राफी वर्कशॉप में कलाकार दिखा रहे हुनर, फूंक रहे मिट्टी में जान
टेराकोटा और फोटोग्राफी वर्कशॉप में कलाकार दिखा रहे हुनर, फूंक रहे मिट्टी में जान

पटना, जेएनएन। प्रकृति और पुरुष का मधुर संबंध हो या देश की सुरक्षा में सैनिकों की एकता को दर्शाती मूर्ति। एक से बढ़कर एक कलाकृतियों की खूबसूरती देखते बन रही है। कलाकार मिट्टी को अलग-अलग स्वरूप में डाल प्राण फूंक उसे जीवंत बनाने में लगे हैं। तरुमित्र आश्रम में बिहार कला मंच के बैनर तले अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूर्तिकार हिम्मत शाह के सम्मान में कला मंच की ओर से टेराकोटा व फोटोग्राफी वर्कशॉप के दौरान हर उम्र के कलाकार एक से बढ़कर एक कलाकृतियों का निर्माण करने में लगे हैं।

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कार्यशाला के दौरान हिम्मत शाह कलाकारों को कला की बारीकियों से अवगत कराने में लगे हैं। 24 मई से आरंभ हुए टेराकोटा व फोटोग्राफी वर्कशॉप का समापन शुक्रवार को होगा। कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों की प्रदर्शनी आश्रम परिसर में लगेगी। वर्कशॉप में मिट्टी में प्राण डालने वाले कलाकारों की संख्या 40 एवं फोटोग्राफी में 30 है।

हर उम्र के कलाकार मिट्टी में डाल रहे जान

कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागी कला की बारीकियों से रूबरू होने के साथ ही प्रकृति, प्रेम, आस्था, रूद्राक्ष, हैरिटेज, गंगा तट, परिवार, खींच-तान, मां और बच्चा, गठरी, सैनिक एकता का अपने कलाकृति के जरिए महत्व बता रहे हैं। वर्कशॉप में भाग लेने वाले कलाकार हर उम्र के हैं। जो एक दूसरे का सहयोग कर सुंदर आकृति का निर्माण करने में लगे हैं। मूर्ति का निर्माण कर रहे नंदन कुमार की मानें तो सैनिकों की एकता देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी बात है। भगवान गणेश की आकृति बनाने वाले पिंटू कुमार ने कहा कि कोई भी शुभ काम आरंभ करने के पहले भगवान गणेश की आराधना होती है। भगवान गणेश बुद्धि और विवेक के स्वामी होने के साथ ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं। ऐसे में गणेश की उपयोगिता अधिक है।




कलाकृतियों का संदेश, प्रेम के बिना जीवन अधूरा

वीरेंद्र भगवान कृष्ण की प्रतिमा गढऩे में मशगूल हैं । वे बताते हैं कि प्रेम के बिना जीवन अधूरा होता है। ऐसे में प्रेम की महत्ता अधिक है। वही मनोज कुमार बच्चन मिट्टी से गठरी की आकृति बना रहे हैं। उनका मानना है कि इंसान सारी जिदंगी मेहनत कर गठरी को भरने में लगा रहता है और उसे सुरक्षित रखने का प्रयास करता है। नेहा अपनी कलाकृतियों में मां और बच्चे के प्रेम को दिखा रही है तो कलाकार सत्या प्रकृति और प्रेम को बयां कर रही है। अमित प्रकृति, संजीव मशरूम, पंक्ति परिवार की महत्ता, नीतेश कुमार रजक खींच-तान, नीतू सिन्हा आत्म मंथन, कामिनी मां की ममता, सचिंद्र नाथ गंगा तट, रश्मि सिंह रूद्राक्ष, रमाकांत हेरिटेज निर्माण कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने में लगे हैं।

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