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अबकी बार 14 को खाइए दही-चूड़ा, इसी दिन उत्तरायन होंगे सूर्य, जानिए मकर-संक्रांति के दिन क्या करें

मकर-संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा। मकर संक्राति के दिन के महत्‍व तथा इस दिन क्‍या करें यह जानने के लिए पढ़ें यह खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 04:05 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 04:05 PM (IST)
अबकी बार 14 को खाइए दही-चूड़ा, इसी दिन उत्तरायन होंगे सूर्य, जानिए मकर-संक्रांति के दिन क्या करें
मकर संक्रांति 14 जनवरी को। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

बक्सर, गिरधारी अग्रवाल। हिंदु धर्म का विशेष त्योहार मकर-संक्रांति (खिचड़ी पर्व) पौष शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 14 तारीख दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि इस दिन दोपहर 2:03 बजे भगवान भास्कर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर उत्तर पथगामी हो जाएंगे। इसके साथ ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा। परंतु, गुरु और शुक्र ग्रह के कारण विवाह योग की तिथि नहीं होने से वैशाखी पर्व (सतुआन) के बाद ही शादी विवाह सम्पन्न होंगे। मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना का खास महत्‍व है।

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मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान करना पुण्यफलदायक

इस बाबत कर्मकांड केसरी आचार्य (प्रो.) मुक्तेश्वर नाथ शास्त्री ने बताया की गुरुवार को मकर-संक्रांति का मान पूरे दिन है। इस दिन गंगा नदी समेत अन्य नदी तीर्थ, कुआं आदि सरोवर में स्नान,दान करना पुण्यफलदायक है। मान्यता है कि इस त्योहार पर सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं। सूर्य और शनि का संबंध इस पर्व से होने के कारण यह त्योहार और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। आचार्य ने बताया कि आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है, इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। परंतु, इस बार 15 तारीख तक शुक्र के अस्त रहने और इसके अगले दिन से पश्चिम दिशा में गुरु के अस्त हो जाने के कारण विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन (जनेऊ), मुंडन आदि जैसे मांगलिक कार्य मकर संक्रांति के बाद भी नहीं हो सकेंगे।

मकर-संक्रांति के दिन क्या करें

इस दिन सुबह दैनिक क्रियाकलाप के बाद स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्‍य दें। सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें। इस दिन भगवान सूर्य के साथ साथ भगवान गणेश, माता लक्ष्मी व भगवान शिव की भी पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और मनुष्य का सोया भाग भी खुल जाता है। आचार्य ने बताया कि इस दिन श्रीमद्भागवत का एक अध्याय या गीता का पाठ करें। नए अन्न, कम्बल, तिल, घी आदि का दान करना अति शुभ है। साथ ही, भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं और सर्वप्रथम इस भोजन को भगवान को समर्पित करके तत्पश्चात प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। आचार्य श्री ने बताया कि इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

क्या है मकर-संक्रांति और इसका महत्व

मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है। इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है। ङ्क्षहदू पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार मकर-संक्रांति के दिन जब भगवान सूर्य अपने पुत्र भगवान शनि के पास जाते हैं। उस समय भगवान शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। अत: शनि मकर राशि के देवता है। इसलिए इस दिन को मकर-संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाता है तो उसकी सारी समस्याएं दूर हो जाती है। इस दिन सूर्य के उत्तरायण होने को लेकर महाभारत में एक अन्य कथा भीष्म पितामह के जीवन से भी जुड़ी हुई है।


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