बिहार: महागठबंधन में अब भी सबकुछ ठीक नहीं, खतरे को भांप रहे बड़े नेता, जानिए
महागठबंधन में अभी भी सबकुछ ठीक नहीं लग रहा है। लोकसभा चुनाव के लिए जहां दो चरणों के उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए गए हैं लेकिन पसंद-नापसंद की सीट को लेकर अब भी असमंजस जारी है।
पटना [अरविंद शर्मा ]। सीट बंटवारे में महागठबंधन के सभी घटक दलों की हिस्सेदारी तय होने के बाद भी घमासान थम नहीं रहा है। अब पसंद-नापसंद की सीटों पर तकरार है। बिहार की 40 संसदीय सीटों में बराबर की हिस्सेदारी मांग रही कांग्रेस को राजद ने सिर्फ नौ सीटें थमाई है। बाकी सभी 31 सीटें सहयोगियों के साथ अपने पास रखी है।
वहीं, कांग्रेस अब अपनी पसंद की नौ सीटों के लिए दबाव बना रही है। प्रथम और दूसरे चरण के चुनाव वाली नौ सीटों का मसला किसी तरह सुलझा-सलटा लिया गया है। अब दरभंगा, काराकाट, समस्तीपुर, मधुबनी, वाल्मीकिनगर और बेतिया के लिए झंझट है।
दोनों ओर से दबाव बनाने की कोशिश जारी है। तीसरे-चौथे चरण आते-आते कहानी कोई भी करवट ले सकती है। झारखंड का झगड़ा बिहार पहुंच सकता है। खतरे का अहसास बड़े नेताओं को है। यही कारण है कि मीडिया के सामने पहली पंक्ति के नेता आने से बच रहे हैं।
सीट बंटवारे के एलान के लिए भी दूसरी पंक्ति के नेताओं को सामने किया जा रहा है। सीटों के बंटवारे और कांग्रेस की हिस्सेदारी से राहुल गांधी संतुष्ट नहीं हैं। प्रदेश नेतृत्व को उन्होंने 14 सीटों से कम नहीं लेने की हिदायत दी थी। बाद में 11 सीटों की बात पर भी उन्होंने असहमति जताई थी।
राजद और अन्य सहयोगी दलों के दबाव में मामला जब नौ पर पहुंच गया तो फ्रंटफुट पर खेलने की कांग्रेस की हसरत अधूरी होती नजर आ रही है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा परेशानी दक्षिण बिहार को लेकर है, जहां बक्सर से लेकर नवादा तक के विस्तृत इलाके में उसके पास सिर्फ सासाराम की सीट है। औरंगाबाद सीट भी उसके खाते से खिसक गई। यहां से निखिल कुमार प्रत्याशी हुआ करते थे।
काराकाट का मामला भी औरंगाबाद से कनेक्ट हो रहा है। दोनों आसपास की सीटें हैं और विडंबना यह होगी कि दोनों सीटों पर कोईरी प्रत्याशी दिया जा रहा है। औरंगाबाद से हम के उपेंद्र प्रसाद और काराकाट से रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा मैदान में होंगे। कांग्रेस काराकाट को कौकब कादरी के लिए मांग रहा है।
बात-बात में हो रहा विवाद
महागठबंधन के घटक दलों में गुटबाजी भी साफ तौर पर दिख रही है। राजद-कांग्रेस में बात-बात पर तकरार है। दो दिन पहले प्रथम चरण की सीटें बांटने के लिए जब घटक दलों के नेता एकत्र हुए तो राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा की असहमति मंच पर भी दिखी।
मदनमोहन औरंगाबाद सीट की घोषणा बाद में करने के लिए दबाव बना रहे थे, किंतु मनोज राजी नहीं हुए। कांग्रेस की रणनीति दिल्ली में बन रही है तो बाकी दलों की पटना में।
महागठबंधन ने किया दूसरे चरण के पांच उम्मीदवारों का एलान
विवादों के बीच दूसरे चरण की पांच सीटों के लिए राजद और कांग्रेस ने प्रत्याशियों का एलान कर दिया। कांग्रेस के हिस्से में तीन और राजद के हिस्से में दो सीटें हैं। राजद ने अपने प्रत्याशियों की सूची पटना से जारी की और कांग्रेस ने दिल्ली से एलान किया।
रविवार को राजद कार्यालय में महागठबंधन के घटक दलों ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रंेस करके दूसरे चरण की पांच सीटों की हिस्सेदारी तय कर दी। राजद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे, प्रधान महासचिव आलोक मेहता, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता हरखू झा, हम के प्रदेश अध्यक्ष बीएल वैश्यंत्री और प्रवक्ता दानिश रिजवान, रालोसपा के सत्यानंद दांगी एवं वीआइपी के राजभूषण चौधरी ने संयुक्त रूप से बताया कि भागलपुर और बांका की सीट राजद को मिली है, जबकि कटिहार, पूर्णिया और किशनगंज कांग्रेस के खाते में गई है।
राजद ने भागलपुर से शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल एवं बांका से जयप्रकाश नारायण यादव को मैदान में उतारा है। राजद के प्रत्याशियों के एलान के कुछ घंटे बाद कांग्रेस ने दिल्ली में प्रत्याशियों की सूची जारी करते हुए कटिहार से पूर्व सांसद तारिक अनवर, किशनगंज से मो. जावेद एवं पूर्णिया से उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को मैदान में उतारा है। तारिक पिछली बार राकांपा से सांसद चुने गए थे।
कटिहार के लिए आरपार
राजद ने कांग्रेस नेता तारिक अनवर की पसंदीदा सीट कटिहार को हथियाने के लिए वीआइपी के मुकेश सहनी को आगे कर दिया था। भारी दबाव था। तारिक से किशनगंज जाने के लिए कहा जा रहा था। आखिरी वक्त में कांग्रेस ने दबाव बनाते हुए रविवार को कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया पर एकतरफा एलान का मन बना लिया।
भनक मिलते ही गठबंधन बचाने के लिए राजद की ओर से आनन-फानन प्रेस कान्फ्रेंस बुलाकर उक्त तीनों सीटें कांग्रेस के खाते में डाल दी गई।