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सुभाष चंद्र बोस जयंतीः आजादी की लड़ाई के दौरान बिहार में कई जगह की सभाएं, सुनने को उमड़ता था पटना

नेता जी के नाम से मशहूर सुभाष चंद्र बोस की आज जयंती है। नेता जी ने अपने जीवनकाल में खूब भ्रमण किया। इस दौरान उनका ठिकाना पटना भी रहा।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 09:03 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 05:12 PM (IST)
सुभाष चंद्र बोस जयंतीः आजादी की लड़ाई के दौरान बिहार में कई जगह की सभाएं, सुनने को उमड़ता था पटना
सुभाष चंद्र बोस जयंतीः आजादी की लड़ाई के दौरान बिहार में कई जगह की सभाएं, सुनने को उमड़ता था पटना

प्रभात रंजन, पटना। आजाद हिंद फौज से जुड़े और 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा देने वाले क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बिहार से गहरा लगाव रहा। कांग्रेस में रहने के दौरान वह बार-बार बिहार आए। 23 जनवरी 1897 को जन्मे बोस की बिहार और पटना से काफी स्मृतियां जुड़ी हैं।

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बचपन से रहे मेधावी छात्र

देश की आजादी और अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले बोस बचपन से ही मेधावी छात्र रहे। जानकी नाथ बोस और प्रभावती देवी की संतान के बोस ने सराकरी नौकरी का त्याग कर देश की सेवा के लिए सबकुछ त्यागा। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पश्चिमी ताकतों के विरुद्ध आजाद हिंद फौज का नेतृत्व करने वाले बोस के एक महान क्रांतिकारी थे। आजादी की लड़ाई के दौरान उन्होंने पटना के बांकीपुर, दानापुर, खगौल कच्ची तालाब, आरा, जहानाबाद, बाढ़, मुजफ्फरपुर, पटना सिटी आदि जगहों पर सभाएं की थीं। सभा के दौरान हजारों की संख्या में लोग उनके भाषण को सुनने आते।

1939 में बिहार आए थे बोस

बोस ने बांकीपुर लेन में 29 अगस्त 1939 में सभा की थी। सभा के दौरान दो हजार लोगों की भीड़ उन्हें सुनने आई थी। सभा के दौरान जयप्रकाश नारायण, रामवृक्ष बेनीपुरी और अनिसुर रहमान भी मौजूद थे। सभा के दौरान साम्राज्यवाद विरोधी नारे लगे थे। यहां बेनीपुरी ने बोस का स्वागत करते हुए उन्हें पांच सौ रुपये का एक पर्स उपहार के रूप में दिया था। इसके पहले 27 अगस्त 1939 को बोस ने खगौल स्टेशन के पीछे कच्ची तालाब इलाके में सभा की थी।

दोपहर में हुई सभा में तीन हजार से अधिक लोग उन्हें सुनने आए थे। जब वे दानापुर रेलवे स्टेशन पर आए तो उन्हें सभा तक ले जाने के लिए भीड़ के साथ हाथी और ऊंट के काफिले भी थे। सभा के दौरान डॉ. परशुराम सिंह ने नारा लगाया था। स्वागत कमेटी के अध्यक्ष डॉ. सगीर अहसन ने उनका स्वागत किया और अंग्रेजी में उनके बारे में स्वागत भाषण दिया। बोस ने खगौल के बाद पटना सिटी के मंगल तालाब पर 27 अगस्त 1939 को सभा की थी। यहां 20 हजार की भीड़ में स्वामी सहजानंद सरस्वती भी मंच पर आसीन थे। 26 अगस्त 1939 को उन्होंने मुजफ्फरपुर के तिलक मैदान में एक बड़ी सभा को संबोधित किया था।

आइएमए हॉल में बोस की है प्रतिमा

नेताजी की प्रतिमा गांधी मैदान स्थित आइएमए हॉल में लगाई गई है। प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एवं भवन निर्माण मंत्री राम विलास मिश्र की अध्यक्षता में राज्य मंत्री पूर्णमासी राम की उपस्थिति में 21 अक्टूबर 1992 को  हुआ था। प्रतिमा का शिलान्यास लालू प्रसाद यादव ने छह मई 1990 को किया था।

लोगों ने सुभाष बाबू को हाथी पर था चढ़ाया

28 अगस्त, 1919 को वे आरा पहुंचे। यहां उन्होंने नागरी प्रचारिणी सभा की ओर से आयोजित बैठक को संबोधित किया. इस सभा में चार हजार से अधिक लोगों की भीड़  जमा हुई थी।  उत्साहित लोगों ने सुभाष बाबू को हाथी पर चढा कर सभा स्थल पर ले गई।  करीब दो मील तक पूरे रास्ते को झंडा और बैनर से पटा था।  आठ फरवरी 1940 को सुभाष बाबू जहानाबाद के ठाकुरबाड़ी  आये थे। इस समय उनके साथ स्वामी सहजानंद सरस्वती भी थे। जहानाबाद रेलवे स्टेशन पर उतरने क बाद लोगों ने उनके जयकारे लगाए थे। बोस के स्वागत में बाढ़ के स्थानीय लोगों ने उन्हें प्रशिस्त पत्र दिया था जिसमें उन्हें असहायों का एक मात्र सरंक्षक, युवकों के हृदय सम्राट और अग्रगामी दल के अगुवा से संबोधित किया गया था।


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