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अपनी इच्छाओं को वश में करना सबसे बड़ा तप

कदमकुआं स्थित जैन मंदिर में श्रद्धालुओं ने की पूजा अर्चना व सत्संग का उठाया आनंद। उत्तम तप क

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 06:41 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 06:41 PM (IST)
अपनी इच्छाओं को वश में करना सबसे बड़ा तप
अपनी इच्छाओं को वश में करना सबसे बड़ा तप

कदमकुआं स्थित जैन मंदिर में श्रद्धालुओं ने की पूजा अर्चना व सत्संग का उठाया आनंद उत्तम तप का अभिप्राय अपने आप को तपाना है। अपनी इच्छाओं को अपने वश में करना इंसान के सबसे बड़ा तप होता है। तप द्वारा सांसारिक विषय भोगों की अभिलाषा से विरक्त हुआ जा सकता है। ये बातें गुरुवार को कांग्रेस मैदान स्थित दिगंबर जैन मंदिर में सुनने को मिली। मौका था पाटलिपुत्र दिगंबर जैन समिति की ओर से आयोजित पर्युषण पर्व के अवसर पर सत्संग का आयोजन का। सत्संग के दौरान आचार्य भद्रबाहु महाराज ने 'उत्तम धर्म' के बारे में विस्तार से चर्चा की। शांतिधारा पूजा करने का सौभाग्य आचार्य विपुलसागर महाराज की उपस्थिति में निर्मल बड़जात्या, मनोज बड़जात्या को प्राप्त हुआ। वही पूजन के दौरान गौतम जैन परिवार ने महाआरती किया।

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आत्मिक दोषों को दूर करता है तप

जैन मंदिर में आए श्रद्धालुओं के बीच जैन मुनि ने तप के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि तप का अर्थ शरीर को कष्ट देना, शरीर की पीड़ा का सहन करना होता है। जो शारीरिक और आत्मिक दोनों हो सकता है। जैन मुनि ने कहा कि तप का उद्देश्य समस्त कामनाओं का नाश करने के साथ वासना का हवन करना है। जो तप भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए किया जाता है वह कुतप यानि श्राद्ध काम में आने वाली वस्तु की तरह होता है। तप का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्तर पड़ता है। बिना साधना एवं तपस्या के कुछ प्राप्त नहीं होता। यहां भोग को नहीं योग और त्याग को स्थान मिलता है।

आत्म शोधन का परम साधन है तप

जैन मुनि ने कहा कि तप आत्म शोधन करने का परम साधन है। अग्नि में तपने पर ही स्वर्ण में शुद्धता प्रकट होती है ऐसे में हरेक इंसान के लिए तप बहुत जरूरी है। मुनि ने कहा कि तप लौकिक दृष्टि से साधना में मन की एकाग्रता है तो आध्यात्मिक दृष्टि से यह अग्नि है। जिसमें काम, क्रोध, माया, लोभ वासनाएं जल जाती हैं तथा आत्मा का शुद्ध चैतन्य स्वभाव प्रदीप्त हो उठता है। साधना और धर्म का मार्ग ही हमारे लिए कल्याण कराने वाला है। कार्यक्रम के दौरान शांति लाल जैन, जिनेश जैन, नया टोला के अजित गंगवाल, सुनील जैन, सुनील झांझरी, संदीप जैन, सुनील गंगवाल, रीता बजाज, रीना सेठी, सोनू गंगवाल, अनीता पहाड़िया, पूनम रारा, रेणु जैन, सरला छाबड़ा, साधना जैन, नीतू सेठी सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।


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