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NIT पटना के छात्रों एक और कमाल, डिवाइस से होगी खेतों में फसल की सुरक्षा; चट नहीं कर सकेंगे जानवर

अब किसानों की मेहनत पर जानवर पानी नहीं फेर सकेंगे। फसलों को बचाने के लिए एनआइटी पटना के छात्रों ने डिवाइस बनाया है। इस डिवाइस से खेतों में फसल की सुरक्षा होगी।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 06:39 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 08:48 AM (IST)
NIT पटना के छात्रों एक और कमाल, डिवाइस से होगी खेतों में फसल की सुरक्षा; चट नहीं कर सकेंगे जानवर
NIT पटना के छात्रों एक और कमाल, डिवाइस से होगी खेतों में फसल की सुरक्षा; चट नहीं कर सकेंगे जानवर

पटना, जयशंकर बिहारी। अब किसानों की मेहनत पर जानवर पानी नहीं फेर सकेंगे। फसलों को बचाने के लिए पटना स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) के छात्रों ने अल्ट्रासाउंड आधारित डिवाइस बनाई है, जो खेत में जानवर के पहुंचते ही सक्रिय हो जाती है। डिवाइस के पेटेंट की प्रकिया शुरू कर दी गई है। इसके बड़े स्तर पर उत्पादन में कई इंक्यूबेशन सेंटर ने रुचि दिखाई है। 

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इस तरह से करता है काम

हरेक जानवर के सुनने की क्षमता अलग-अलग होती है। सीमा से अधिक अल्ट्रा साउंड से जानवर परेशान होते हैं। डिवाइस सेंसर के माध्यम से सुनने की क्षमता से अधिक अल्ट्रा साउंड उत्पन्न करती है। जानवर खेत के पास जितने समय रहेगा, उतनी देर तक डिवाइस सक्रिय रहेगी। हटने पर इनएक्टिव (निष्क्रिय) हो जाएगी। इनोवेशन टीम का कहना है कि बैटरी आधारित डिवाइस सक्रिय रखने के लिए काफी कम ऊर्जा की आवश्कता होती है। सौर ऊर्जा से भी रिचार्ज की जा सकती है।

सम्मिलित उपलब्धि

डिवाइस को इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन ब्रांच के तृतीय वर्ष के छात्रों ने ईजाद किया है। टीम में मुजफ्फरपुर के सुमित कुमार, लखीसराय के सुमित कुमार सिंह, कानपुर के ज्ञान प्रताप सिंह, गाजीपुर के आलोक प्रधान और कोलकाता के अनुराग गुप्ता शामिल हैं। एनआइटी पटना के डीन प्रो. प्रकाश चंद्रा ने बताया कि डिवाइस देसी तकनीक पर आधारित और काफी किफायती है।  

इंसान व जानवर की करती पहचान

इंसान और जानवर के शरीर का इंफ्रारेड विकिरण अलग-अलग होता है। किसी के खेत के पास पहुंचने पर डिवाइस का सेंसर सक्रिय हो जाएगा। कैमरे द्वारा भेजे गए फोटो को मशीन लर्निंग व डिप लर्निंग के माध्यम से स्टडी किया जाता है। इंफ्रोरेड विकिरण के आधार पर डिवाइस पता कर लेती है कि खेत के आसपास इंसान है या जानवर। इंसान होने पर डिवाइस इनएक्टिव हो जाती है। जानवर होने पर फोटो से उसकी प्रजाति की पहचान हो जाती है। उसी आधार पर शोर की स्थिति बनती है। 

फसल के साथ जानवर भी रहेंगे सुरक्षित

पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित हार्डवेयर हैकाथन में उत्तराखंड सरकार ने किसान और जानवर के बीच लड़ाई नहीं हो, इसका ईको फ्रेंडली समाधान मांगा था। छात्रों के दिमाग में उसके बाद इस डिवाइस को बनाने का आइडिया आया। डिवाइस फसल के साथ जानवर का जीवन भी बचाएगी। वन्य जीव वाले क्षेत्रों में जानवर फेसिंग में प्रवाहित करंट से घायल होते हैं। एक हेक्टेयर की फेंसिंग की लागत 20 से 25 हजार रुपये आती है, जबकि इतने क्षेत्रफल के लिए सात हजार रुपये में यह सिस्टम उपलब्ध हो जाएगा। 


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