हाहाकार : पानी के लिए मां देवी की विशेष पूजा, प्रसाद के नाम पर किसानों ने बनाई खीर
पटना से सटे पालीगंज में मानसून बारिश के लिए किसानों ने मां देवी की विशेष पूजा अर्चना की। इस पूजा में मां देवी के लिए भोग के तौर पर खीर बनाई गई।
पटना [जेएनएन]। आधा आषाढ़ का महीना बीत गया। आद्रा नक्षत्र भी खत्म हो गया। लेकिन मानसून की बारिश नहीं होने से किसानों के बीच हाहाकार मचा हुआ है। खेतों में दरार पड़ गए है। पटना, नालंदा और शाहाबाद क्षेत्र में करीब 99 फीसद खेतों में धान की रोपाई नहीं हो सकी है। नालंदा और भोजपुर के किसान तो धान का एक पौधा तक नहीं लगा सके हैं। जून और जुलाई में मानसून की बारिश सामान्य से करीब 65 फीसद कम रिकॉर्ड की गई। इस कारण गर्मी और आर्द्रता में अधिकता से धान के बिचड़े तक झुलस गए हैं। खेतों में नमी बची ही नहीं है।
मानसून बारिश नहीं होने की वजह से पटना से सटे पालीगंज के बिजुलिया चक,पोस्ट-सेहरा, थाना-सिगोड़ी पालीगंज (पटना) में पानी एवं बारिश के अभाव में देवी मां की विशेष पूजा अर्चना की गई। इस पूजा में खासकर कर प्रसाद के तौर पर खीर बनाया गया। इसी खीर को देवी को भोग लगाया गया और देवी को भोग लगाने के बाद लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।
गौर हो कि धान की खेती के लिए कृषि नक्षत्र रोहिणी (25 मई से छह जून) दीर्घ कालीन प्रभेद के धान का बिचड़ा लगाने के लिए उपयुक्त था। धान की रोपाई के लिए महत्वपूर्ण माना जाने वाला आद्रा नक्षत्र (22 जून से पांच जुलाई) बीत गया लेकिन बारिश के बिना रोपाई शुरू नहीं हो सकी। जून में 115 एमएम सामान्य बारिश होनी चाहिए थी लेकिन हुई मात्र 4X.44 एमएम। पटना में 62.X2 फीसद कम बारिश हुई। जुलाई का हाल बारिश के मामले में और बुरा है। मध्यम और अल्प अवधि प्रभेद के धान की रोपाई के लिए कृषि नक्षत्र पुनर्वसु (6 से 19 जुलाई) और पुष्य (20 जुलाई से 2 अगस्त) तक किसान चांस ले सकते हैं। अगले 20 दिनों के भीतर धान की रोपाई के लिए जोरदार बारिश की जरूरत है। सबसे बड़ी समस्या धान का बिचड़ा झुलसने के कारण है। तेज गर्मी और आर्द्रता में अधिकता के कारण खेतों में नमी समाप्त हो गई है। धान के बिचड़े झुलसने लगे हैं। वहीं, आषाढ़ का महीना भी आधा बीत गया मगर बादल हैं कि बरसने का नाम नहीं ले रहे। मानसून की बेरुखी से राजधानी पटना समेत पूरे सूबे में सूखे जैसे हालात हैं। मौसम विभाग के अनुसार, अभी दो-तीन दिन गर्मी और उमस यूं ही सताएगी। इसके बाद मौसम बदला भी तो रिमझिम फुहारें ही पड़ेंगीं। झमाझम बारिश की अभी कोई उम्मीद नहीं दिख रही।