शोर को कसने की तैयारी : ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए साउंड लेवल मीटर का होना जरूरी, नहीं होगी परेशानी
ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए साउंड लेवल मीटर का होना जरूरी है। इससे यह पता चलता है कि किन शहरों में कितने स्तर पर ध्वनि प्रदूषम हो रहा है।
पटना [जेएनएन]। देश दुनिया में ध्वनि प्रदूषण इतनी फैल चुकी है यदि समय रहते इसे नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले समय में गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे। गौर हो कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा शोर के स्त्रोत परिवहन प्रणालियों, मोटर वाहनों के शोर से है। लेकिन इसमें वैमानिक शोर-शराबा तथा (एयर क्रॉफ्ट) रेल से होने वाला शोर भी शामिल है।
खराब शहरी नियोजन भी ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में अपनी खास भूमिका निभाता है। साथ ही साथ औद्योगिक और आवासीय इमारतें आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण का कारण बनते हैं। अन्य स्त्रोतों में कार्यालय के उपकरण, फैक्टरी मशीनरी, निर्माण कार्य, उपकरण, बिजली उपकरण, प्रकाश व्यवस्था, गुनगुनाना एवं ऑडियो मनोरंजन आदि सिस्टम आते है। ध्वनि प्रदूषण या अत्यधिक शोर किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव जन्तुओं को परेशानी होती है। इसमें यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण है। जनसंख्या और विकास के साथ ही यातायात और वाहनों की संख्या में भी वृद्धि होती जिसके कारण यातायात के दौरान होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ने लगता है। अत्यधिक शोर से सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है।
इसी के मद्देनजर राजधानी पटना में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए राज्य सरकार ने साउंड लेवल मीटर लगाने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार द्वारा ध्वनि के स्तर को मापने के लिए 271 शहरों में साउंड लेवल मीटर लगाए जाएंगे। इसके साथ ही ध्वनि के स्तर का आकड़ा एकत्रित करने के लिए मशीन भी लगाई जाएगी। इस साल 41 शहरों में यत्र लगाने पर दो करोड़ 91 लाख रुपये की लागत आएगी। 2020 तक सभी शहरों में ध्वनि स्तर मापक यत्र लगाने का लक्ष्य है। राज्य प्रदूषण नियत्रण बोर्ड को यत्र लगाने की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले कुछ सालों में बढ़ती जनसख्या, शहरीकरण और वाहनों की बढ़ती सख्या की वजह से पटना समेत कई शहर ध्वनि प्रदूषण के घातक स्तर पर पहुंच गए हैं। ध्वनि प्रदूषण को रोकने की दिशा में राज्य सरकार की लापरवाही पर पटना हाई कोर्ट भी नाराजगी जाहिर कर चुका है। हाई कोर्ट के तेवर को देखकर सरकार द्वारा 2006 में नौ प्रमडल मुख्यालय समेत 271 शहरों में ध्वनि के स्तर को मापने के लिए यत्र एव ध्वनि के स्तर का डाटा एकत्रित करने के लिए मशीन लगाने का फैसला किया गया था। एकसाथ सभी जगह पर साउंड लेवल मीटर और स्टॉक मॉनीट¨रग किट्स लगाया जाना सभव नहीं था। इसलिए चार चरणों मे ध्वनि स्तर मापक यत्र और ध्वनि स्तर का डाटा एकत्रित करने को मशीन लगाने का फैसला किया गया। पिछले साल नौ प्रमडल मुख्यालय में मशीने लगा दी गई। उसके बाद दूसरे चरण में 41 शहरों में मशीन लगाने कवायद शुरू हुई। इसमें 29 जिला समेत बारह नगर निकाय शामिल हैं। बोर्ड द्वारा यत्र लगाने के लिए स्थान का चयन तीसरे चरण में 101 अनुमडल और चौथे चरण में 42 नगर निकाय एव 87 नगर पचायत यत्र लगाए जाएंगे। राज्य प्रदूषण नियत्रण बोर्ड को यत्र लगाने की जिम्मेदारी दी गई है।