लालू के लाल तेजस्वी यादव ने कहा- आरक्षण खत्म करने के लिए यूपीएससी में हो रही लैटरल इंट्री
राजद के बड़े नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि शीर्ष पदों पर प्रक्रिया से अलग भर्ती करना असंवैधानिक है। उन्होंने और भी कई बड़ी बातें कही हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: बिहार में सबसे बड़े राजनीतिक दल राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद (RJD) के बड़े नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) ने केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा (BJP) पर आरक्षण खत्म करने की साजिश का आरोप लगाया है। उन्होंने सरकार में शीर्ष पदों पर यूपीएससी (UPSC) की बजाय लैटरल इंट्री के जरिये नियुक्तियों (Lateral Entry on top posts on cetral government) पर सवाल खड़े किए हैं।
लोक सेवा आयोग की तैयारी करने वाले युवाओं के साथ नाइंसाफी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने केंद्र की राजग सरकार द्वारा संयुक्त सचिव एवं निदेशक पदों पर लैटरल एंट्री (पिछले दरवाजे) को असंवैधानिक और युवाओं के प्रति अन्याय बताया है। उन्होंने कहा कि इसके जरिए एक खास विचारधारा के चुनिंदा लोगों को भर्ती किया जा रहा है। लाखों युवा लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। किंतु उनकी मेहनत और परीक्षा की प्रक्रिया को धत्ता बताते हुए सरकार पिछले दरवाजे से सत्ता के करीबी लोगों को सिस्टम का हिस्सा बना रही है।
योग्यता है तो संघ लोक सेवा आयोग के रास्ते आने में क्या दिक्कत
तेजस्वी ने कहा कि पिछले दरवाजे से आने वाले लोग सचमुच योग्य हैं तो उन्हें लोकसभा आयोग की परीक्षा से आने में क्या आपत्ति है? केंद्र सरकार ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में ऐसे अभ्यॢथयों को योग्य, तत्पर और राष्ट्र निर्माण को इच्छुक बताया है तो क्या ये अभ्यर्थी राष्ट्र सेवा के लिए एक परीक्षा की तैयारी नहीं कर सकते? इसका मतलब यह भी हो सकता है कि परीक्षा पास कर आने वाले अभ्यॢथयों की योग्यता, राष्ट्र निर्माण करने की इच्छा या लोक सेवा आयोग की प्रक्रिया को लेकर सरकार को शंका है?
कहा आरक्षण खत्म करने का घृणित प्रयास कर रही है सरकार
तेजस्वी ने पूछा कि अगर सरकार के लिए ऐसे लोगों की प्रतिभागिता सचमुच अपरिहार्य है तो क्या सारी योग्यता निजी क्षेत्र के लोगों में ही है? अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के लोगों को व्यवस्था से धीरे-धीरे बाहर करने और आरक्षण को घटाने का इसे केंद्र सरकार का घृणित प्रयास क्यों नहीं माना जाए?