भागलपुर हिंसा: अर्जित को लेकर बिहार की सियासत तेज, जानिए किसने क्या कहा
भागलपुर सांप्रदायिक उपद्रव मामले में आरापित केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत ने पटना में पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया। इस मामले में सियासत गरमा गई है।
By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 01 Apr 2018 08:52 AM (IST)Updated: Sun, 01 Apr 2018 11:57 PM (IST)
style="text-align: justify;">पटना [जेएनएन]। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के पुत्र व भाजपा नेता अर्जित शाश्वत चौबे ने शनिवार की देर रात महावीर मंदिर के पास अपने समर्थकों की मौजूदगी में पटना पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया। इसके बाद सोमवार को भागलपुर के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) के सामने उन्हें पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
इससे पहले शनिवार को भागलपुर की अदालत ने अर्जित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अर्जित पर बीते दिनों भागलपुर में हुए सांप्रदायिक उपद्रव मामले में आरोप लगाए गए हैं। इस सरेंडर के बाद राजनीति भी गरमा गई है।
सरेंडर के दौरान ये बोले अर्जित
सरेंडर करने के ठीक पहले मीडिया से बातचीत करते हुए अर्जित ने कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया, उन्हें इस मामले में फंसाया गया है। भागलपुर के नाथनगर उपद्रव मामले का ठीकरा उन्होंने भागलपुर पुलिस के मत्थे फोड़ा। उन्होंने भागलपुर के विधायक पर भी निशाना साधा।
वहीं, अर्जित के पिता अश्विनी चौबे ने कहा कि शाश्वत के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने झूठी FIR दर्ज करवाई थी। जब उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई तो शाश्वत ने कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए सरेंडर कर दिया। हम मांग करते हैं कि मामले की केंद्र और राज्य की एजेंसियों द्वारा निष्पक्ष जांच करवाएं।
सरेंडर पर गरमाई सियासत
अर्जित के सरेंडर के बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासत गर्म है। विपक्ष इसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विफलता तो जदयू कानून का राज बता रहा है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि दंगा आरोपी केंद्रीय मंत्री का बेटा मुख्यमंत्री आवास से चंद कदम दूर मंदिर में सरेंडर करता है। उसके सरेंडर को नीतीश कुमार की पार्टी गिरफ़्तारी कह रही है।
राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि कानून ने अपना काम किया। ये गिरफ्तारी पहले होनी चाहिए थी। उन्होंने सवाल उठाया कि अर्जित शाश्वत की गिरफ्तारी हुई या समर्पण हुआ, ये बताना पुलिस का काम है।
जदयू नेता श्याम रजक ने कहा कि नीतीश कुमार का शासन कानून का शासन होता है। दोषी कितना भी रसूखदार हो कार्रवाई होती है। सरकार दोषी को पाताल से भी खोज लेती है। आत्मसमर्पण पुलिस प्रशासन का दबाव का ही नतीजा है।
अर्जित के सरेंडर मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्र ने कहा कि इस घटना ने सुशासन का चेहरा बेनकाब कर दिया है। अर्जित खुलेआम घूम रहा था, उसके खिलाफ वारंट था। इसके बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई। यह नीतीश कुमार की प्रशासनिक क्षमता की पराजय है। उन्होंने कहा कि भाजपा के समाने नीतीश कुमार विवश होकर रह गए हैं। दूसरी ओर अश्विनी चौबे ने अपने बेटा को नेता बना दिया।
प्रेमचंद मिश्र के बयान से अलग जदयू प्रवकत नीरज ने इसे कानू का राज करार दिया। उन्होंने इशारों में भाजपा को भी निशोन पर ले लिया। कहा कि लोग इस मामले में दर्ज एफआइआर को रद्दी की टोकरी में फेंकने लायक बता रहे थे। लेकिन, कार्रवरई हुई। विदित हो कि भागलपुर हिंसा मामले में अर्जित को आरोपित बनाने पर भाजपा भड़क गई थी। अर्जित के पिता व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने एफआइआर को रद्दी की टोकरी मेें फेंकने लायक बताया था।
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने माना कि इधर सद्भाव में खराबी का वातावरण बना है, लेकिन बिहार में तत्परता से काम हुआ है। काननू का राज है। इस मामले में भाजपा से किसी तरह के मतभेद को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जदयू व भाजपा में बेहतर तालमेल है और जदयू राजग का घटक दल है।
इस बीच जीतनराम मांझी ने अर्जित पर तंज किया कि नीतीश कुमार को सुशासन की परिभाषा बदलनी चाहिए। उनका कथित सुशासन पूरी तरह फेल हो गया है।
वहीं, रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कानून अपना काम कर रही है। एफआइआर हुआ है तो गिरफ्तारी तो होगी ही। कानून का पालन सबको करना चाहिए। वहीं, दूसरी ओर जहानाबाद के सांसद और रालोसपा (अरूण गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण कुमार ने कहा कि अर्जित शाश्वत ने कोई अपराध नहीं किया है और न वे अपराधी हैं। विपक्ष इसको बेवजह मुद्दा बना रहा है।
कोर्ट ने खारिज कर दी थी अग्रिम जमानत अर्जी
वहीं इससे पहले भागलपुर में प्रभारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंह की अदालत में शनिवार को अर्जित शाश्वत चौबे समेत नौ आरोपितों की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के वकीलों की दलील सुनने के बाद अदालत ने अर्जित शाश्वत चौबे की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
जबकि, अन्य आठ आरोपितों अभय कुमार घोष सोनू, प्रमोद वर्मा पम्मी, देव कुमार पांडेय, निरंजन सिंह, सुरेंद्र पाठक, अनूप लाल साह, संजय भट्ट, प्रणव साह उर्फ प्रणव दास के जमानत मामले पर अदालत सोमवार को आदेश सुना सकती है।
यह है मामला
विदित हो कि 17 मार्च को नववर्ष के जुलूस में विवाद के बाद भागलपुर के नाथनगर स्थित चंपानगर में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी। शनिवार को जमानत याचिका खारिज होने के बाद भागलपुर पुलिस उनके खिलाफ अदालत कुर्की-जब्ती का वारंट लेने की तैयारी कर रही थी।
इससे पहले शनिवार को भागलपुर की अदालत ने अर्जित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अर्जित पर बीते दिनों भागलपुर में हुए सांप्रदायिक उपद्रव मामले में आरोप लगाए गए हैं। इस सरेंडर के बाद राजनीति भी गरमा गई है।
सरेंडर के दौरान ये बोले अर्जित
सरेंडर करने के ठीक पहले मीडिया से बातचीत करते हुए अर्जित ने कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया, उन्हें इस मामले में फंसाया गया है। भागलपुर के नाथनगर उपद्रव मामले का ठीकरा उन्होंने भागलपुर पुलिस के मत्थे फोड़ा। उन्होंने भागलपुर के विधायक पर भी निशाना साधा।
वहीं, अर्जित के पिता अश्विनी चौबे ने कहा कि शाश्वत के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने झूठी FIR दर्ज करवाई थी। जब उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई तो शाश्वत ने कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए सरेंडर कर दिया। हम मांग करते हैं कि मामले की केंद्र और राज्य की एजेंसियों द्वारा निष्पक्ष जांच करवाएं।
सरेंडर पर गरमाई सियासत
अर्जित के सरेंडर के बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासत गर्म है। विपक्ष इसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विफलता तो जदयू कानून का राज बता रहा है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि दंगा आरोपी केंद्रीय मंत्री का बेटा मुख्यमंत्री आवास से चंद कदम दूर मंदिर में सरेंडर करता है। उसके सरेंडर को नीतीश कुमार की पार्टी गिरफ़्तारी कह रही है।
राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि कानून ने अपना काम किया। ये गिरफ्तारी पहले होनी चाहिए थी। उन्होंने सवाल उठाया कि अर्जित शाश्वत की गिरफ्तारी हुई या समर्पण हुआ, ये बताना पुलिस का काम है।
जदयू नेता श्याम रजक ने कहा कि नीतीश कुमार का शासन कानून का शासन होता है। दोषी कितना भी रसूखदार हो कार्रवाई होती है। सरकार दोषी को पाताल से भी खोज लेती है। आत्मसमर्पण पुलिस प्रशासन का दबाव का ही नतीजा है।
अर्जित के सरेंडर मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्र ने कहा कि इस घटना ने सुशासन का चेहरा बेनकाब कर दिया है। अर्जित खुलेआम घूम रहा था, उसके खिलाफ वारंट था। इसके बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई। यह नीतीश कुमार की प्रशासनिक क्षमता की पराजय है। उन्होंने कहा कि भाजपा के समाने नीतीश कुमार विवश होकर रह गए हैं। दूसरी ओर अश्विनी चौबे ने अपने बेटा को नेता बना दिया।
प्रेमचंद मिश्र के बयान से अलग जदयू प्रवकत नीरज ने इसे कानू का राज करार दिया। उन्होंने इशारों में भाजपा को भी निशोन पर ले लिया। कहा कि लोग इस मामले में दर्ज एफआइआर को रद्दी की टोकरी में फेंकने लायक बता रहे थे। लेकिन, कार्रवरई हुई। विदित हो कि भागलपुर हिंसा मामले में अर्जित को आरोपित बनाने पर भाजपा भड़क गई थी। अर्जित के पिता व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने एफआइआर को रद्दी की टोकरी मेें फेंकने लायक बताया था।
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने माना कि इधर सद्भाव में खराबी का वातावरण बना है, लेकिन बिहार में तत्परता से काम हुआ है। काननू का राज है। इस मामले में भाजपा से किसी तरह के मतभेद को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जदयू व भाजपा में बेहतर तालमेल है और जदयू राजग का घटक दल है।
इस बीच जीतनराम मांझी ने अर्जित पर तंज किया कि नीतीश कुमार को सुशासन की परिभाषा बदलनी चाहिए। उनका कथित सुशासन पूरी तरह फेल हो गया है।
वहीं, रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कानून अपना काम कर रही है। एफआइआर हुआ है तो गिरफ्तारी तो होगी ही। कानून का पालन सबको करना चाहिए। वहीं, दूसरी ओर जहानाबाद के सांसद और रालोसपा (अरूण गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण कुमार ने कहा कि अर्जित शाश्वत ने कोई अपराध नहीं किया है और न वे अपराधी हैं। विपक्ष इसको बेवजह मुद्दा बना रहा है।
कोर्ट ने खारिज कर दी थी अग्रिम जमानत अर्जी
वहीं इससे पहले भागलपुर में प्रभारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंह की अदालत में शनिवार को अर्जित शाश्वत चौबे समेत नौ आरोपितों की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के वकीलों की दलील सुनने के बाद अदालत ने अर्जित शाश्वत चौबे की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
जबकि, अन्य आठ आरोपितों अभय कुमार घोष सोनू, प्रमोद वर्मा पम्मी, देव कुमार पांडेय, निरंजन सिंह, सुरेंद्र पाठक, अनूप लाल साह, संजय भट्ट, प्रणव साह उर्फ प्रणव दास के जमानत मामले पर अदालत सोमवार को आदेश सुना सकती है।
यह है मामला
विदित हो कि 17 मार्च को नववर्ष के जुलूस में विवाद के बाद भागलपुर के नाथनगर स्थित चंपानगर में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी। शनिवार को जमानत याचिका खारिज होने के बाद भागलपुर पुलिस उनके खिलाफ अदालत कुर्की-जब्ती का वारंट लेने की तैयारी कर रही थी।
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