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हुंकार रैली के छह साल: तब नरेंद्र मोदी के सामने ही होने लगे थे स‍ीरियल बम ब्‍लास्‍ट...

27 अक्टूबर 2013 की सुबह नौ बजे...पटना जंक्शन के करबिगहिया की ओर 10 नंबर प्लेटफाॅर्म पर एक के बाद एक लगातार दो भीषण विस्फोट हुए। उसके बाद गांधी मैदान में सीरियल बम ब्‍लास्‍ट।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 01:50 PM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 10:39 PM (IST)
हुंकार रैली के छह साल: तब नरेंद्र मोदी के सामने ही होने लगे थे स‍ीरियल बम ब्‍लास्‍ट...
हुंकार रैली के छह साल: तब नरेंद्र मोदी के सामने ही होने लगे थे स‍ीरियल बम ब्‍लास्‍ट...

पटना, जागरण टीम। Six years of Hunkar rally: 27 अक्टूबर 2013 की सुबह नौ बजे...पटना जंक्शन के करबिगहिया की ओर 10 नंबर प्लेटफाॅर्म के डीलक्स शौचालय में एक के बाद एक लगातार दो भीषण विस्फोट हुए। विस्फोट इतने तीव्र थे कि मौके पर ही एक व्यक्ति के चीथड़े उड़ गए थे। भागने के दौरान दूसरा व्यक्ति कुली धर्मनाथ यादव की गिरफ्त में आ गया। पकड़े गए व्यक्ति ने बाद में स्वीकार किया कि वह आतंकी इम्तियाज है और उसकी कमर में शक्तिशाली बम बंधा हुआ है। इम्तियाज की गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ चल ही रही थी कि उसी वक्‍त उसके साथी गांधी मैदान में पहुंची तीन लाख की भीड़ में ताबड़तोड़ बम विस्फोट कर रहे थे। उस समय हुंकार रैली को तत्कालीन भाजपा नेता व प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी (वर्तमान प्रधानमंत्री) संबोधित कर रहे थे। इस विस्फोट में पांच लोग मारे गए थे। दर्जनों जख्मी लोगों को इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में भर्ती कराया गया था। 

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बम ब्‍लास्‍ट के हो गए छह साल

हुंकार रैली के दौरान गांधी मैदान में सीरियल बम ब्‍लास्‍ट के रविवार को छह साल हो गए। लेकिन इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत में अभियोजन की ओर से अभी सिर्फ एक दिन ही बहस हुई है। अदालत ने बहस की अगली तारीख पांच नवंबर मुकर्रर की है। इसके पूर्व भी अभियोजन की ओर से अंतिम बहस पूरी हो चुकी थी। बचाव पक्ष की ओर से बहस की जानी थी, लेकिन विशेष जज का स्थानांतरण हो जाने और नए जज की तैनाती के कारण फिर से एनआइए के विशेष लोक अभियोजक ललन प्रसाद सिन्हा को बहस करनी पड़ रही है। अभियोजन की ओर से अब तक 187 गवाहों की गवाही हुई है।

तब नरेंद्र मोदी सभा को कर रहे थे संबोधित 

छह साल पहले 27 अक्टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में आयोजित भाजपा की हुंकार रैली में विस्फोट हुए थे। उस वक्त भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी लोगों को संबोधित कर रहे थे। इसी बीच अचानक सीरियल धमाके होने लगे। इसके पूर्व सुबह में पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दस स्थित शौचालय के पास धमाका हुआ था। पटना जंक्शन धमाका में तौरिक अंसारी घायल हो गया था। बाद में उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य आतंकी इम्तियाज अंसारी को धर्मा कुली ने दबोच लिया था।

छह लोग की हुई थी मौत 

सीरियल बम ब्लास्ट में घटनास्थल पर ही छह लोगों की मौत हो गई थी और 87 लोग घायल हुए थे। घायलों का इलाज पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में चला था। विस्फोट के बाद मैदान पर भगदड़ मच गई थी। हालांकि लोग कुछ समझ पाते, इससे पहले ही पुलिस व सुरक्षाबलों ने त्वरित कार्रवाई कर स्थिति नियंत्रित की थी।

दो आरोप पत्र हुए दायर 

सीरियल ब्लास्ट मामले की जांच के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से दो आरोप पत्र दायर किए गए हैं। एनआइए ने एक को मृत दिखाते हुए 12 आतंकवादियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। उनमें एक नाबालिग था, जिसे गायघाट स्थित किशोर न्याय बोर्ड ने गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट और बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट दोनों मामलों में सजा सुना दी है।

दस कर रहे ट्रायल का सामना

गांधी मैदान सीरियल ब्लास्ट मामले में दस आतंकवादी ट्रायल का सामना कर रहे हैं। एनआइए के अनुसार ये सभी आरोपित प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के सदस्य हैं। ट्रायल का सामना इम्तियाज अंसारी, अजहरउद्दीन, मोजिबुल्लाह, हैदर अली, नुमान अंसारी, फकरूद्दीन, अहमद हुसैन, इफ्तिेकार, फिरोज और असलम कर रहा है। इनमें से इम्तियाज, उमेर, अजहर, मोजिबुल्लाह और हैदर बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट में भी आरोपी था, जिसे बोधगया ब्लास्ट मामले में पटना की अदालत से आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। अजहर और उमेर रायपुर से पकड़ा गया था। जबकि अन्य रांची इलाके से पकड़े गए थे। 

रायपुर में रची गई थी साजिश 

बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट सात जुलाई 2013 को हुआ था, जिसमें कई बौद्ध घायल हो गए थे। इस घटना के बाद छत्तीसगढ़ के रायपुर में गांधी मैदान ब्लास्ट की साजिश रची गई थी। इस ब्लास्ट का मास्टर माइंड हैदर अली और मोजिबुल्लाह था। 

रांची से खरीदा गया विस्फोटक

घटना को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने विस्फोटक पदार्थ की खरीदारी रांची से की थी। सुबह में ही घटना को अंजाम देने के लिए आठ आतंकी बस के जरिए पटना पहुंचे थे। लेकिन हुंकार रैली को असफल बनाने के लिए आतंकियों को कहां से फंडिंग की गई थी, अभी तक वह स्रोत नहीं उजागर हो सका है। एनआइए की अब तक की जांच में इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं हो सका कि हमले को अंजाम देने के लिए आतंकियों को किसने धन मुहैया कराया था?

आतंकवादी को पकड़ने में धर्मा का अहम योगदान

बम धमाके से वह बुरी तरह घबरा उठा था, इसीलिए मौके से भागने की असफल कोशिश की। तब तक पुलिस भी पहुंच गई और उसे दबोच लिया गया था। पूछताछ के दौरान उसने इकबाल-ए-जुर्म किया कि वह अपनी पूरी टीम के साथ गांधी मैदान में आयोजित हुंकार रैली को दहलाने के लिए पहुंचा था। गिरफ्तार आतंकी इम्तियाज से जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की टीम ने सख्ती से पूछताछ करनी शुरू की तो मास्टर माइंड मोनू उर्फ तहसीन समेत दो दर्जन से अधिक आतंकी दबोचे गए। एनआइए ने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन को तहस-नहस कर दिया था। बाद में बोधगया ब्लास्ट मामले का खुलासा भी इसी आतंकी के बयान से हुआ था। एनआइए की टीम भी मानती है कि आतंकी इम्तियाज नहीं पकड़ा जाता तो उन्हें सूत्र तलाशने में परेशानी होती और तब तक आतंकी कई घटनाओं को अंजाम देने में कामयाब हो जाते। वहीं इस घटना में बहादुरी दिखाने वाले कुली धर्मा को इनाम के बजाय दुश्वारियां ही मिलीं। सुरक्षा की गुहार लगाते-लगाते वह दो बार आतंकियों के निशाने पर आने से बचा। एक हमले में वह बुरी तरह जख्मी भी हो गया था। उसे मरा समझकर बदमाशों ने सड़क के किनारे फेंक दिया था। उस घटना के बाद से वह डरवश न तो सही तरीके से ड्यूटी कर पा रहा और न ही अन्य कार्य। परिवार का पेट पालने के लिए बड़ा बोझ उठाने को मजबूर धर्मनाथ यादव ने अब न्याय की आस में उच्च न्यायालय से गुहार लगाई है। 


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