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लॉकडाउनः दूसरे दिन बिगड़े पटना के हालात, बंद के बावजूद हवा में बढ़ा प्रदूषण

पटना में सोमवार की तुलना में मंगलवार को प्रदूषण में वृद्धि दर्ज की गई। खासकर सूक्ष्म धूलकण की मात्र बढ़ गई है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 25 Mar 2020 08:48 AM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2020 08:48 AM (IST)
लॉकडाउनः दूसरे दिन बिगड़े पटना के हालात, बंद के बावजूद हवा में बढ़ा प्रदूषण
लॉकडाउनः दूसरे दिन बिगड़े पटना के हालात, बंद के बावजूद हवा में बढ़ा प्रदूषण

पटना, जेएनएन। राजधानी में लॉकडाउन के कारण गाड़ियों का परिचालन काफी कम हुआ है पर इसके बावजूद सोमवार की तुलना में मंगलवार को प्रदूषण में वृद्धि दर्ज की गई। खासकर सूक्ष्म धूलकण की मात्र बढ़ गई है। हालांकि लोगों के सांस लेने योग्य हवा के लिए निर्धारित मानक से सूक्ष्म धूलकण की मात्र कम रही।

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बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार का कहना है कि सोमवार की तुलना में मंगलवार को राजधानी में प्रदूषण की मात्र में थोड़ी वृद्धि हुई है। राजधानी के मुरादपुर में सोमवार को 42.66 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर सूक्ष्म धूलकण की मात्र रिकॉर्ड की गई। मंगलवार को यहां सूक्ष्म धूलकण की मात्र बढ़कर 59.69 रही। यहां पर यह आंकड़ा 17 अधिक रहा।

हवा तेज रहने से धूल की मात्रा रही अधिक

समनपुरा में सोमवार को सूक्ष्म धूलकण की मात्र 48.24 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही। इस जगह मंगलवार को यह आंकड़ा 59.51 था। तारामंडल के पास सोमवार को 53.21 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर सूक्ष्म धूलकण की मात्र रिकॉर्ड की गई। यहां पर मंगलवार को यह रिकॉर्ड नहीं हो पाई। प्रदूषण विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी में सोमवार की तुलना में मंगलवार को हवा की गति तेज रही, इस कारण इसमें धूल की मात्र अधिक रही।

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डॉ. नवीन कुमार के अनुसार सामान्यतः लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा की जरूरत होती है। अगर किसी भी हवा में 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर सूक्ष्म धूलकण की मात्रा रहती है तो मानव स्वास्थ्य पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि स्वस्थ समाज के लिए इससे भी कम हो तो ज्यादा बेहतर माना जाता है। पिछले कई वर्षों से राजधानी की हवा में मानक से कई गुना ज्यादा सूक्ष्म धूलकण तैर रहे थे। इसका मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। 

हवा की गुणवत्ता में सुधार होने पर स्वस्थ होगा हार्ट

पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक एवं हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार के अनुसार किसी भी वातावरण में धूलकण एवं रासायनिक गैसों की मात्रा बढ़ने से सांस संबंधी समस्याएं काफी बढ़ जाती हैं। इसके अलावा सांस की परेशानी होने पर तनाव बढ़ने लगता है। बीपी की समस्या गंभीर होने लगती है। बीपी बढ़ना हार्ट के मरीजों के लिए अत्यंत खतरनाक है। 


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