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लालू राज की यादों से उठने वाली सिहरन बनेगी भाजपा की ताकत

'ये बेर मोदिये के देखलै' का जुमला बोलने वालों की बढ़ती तादात कोसी में कमल खिला सकती है। लालू राज की यादों से उठने वाली सिहरन भाजपा की ताकत बन रही है। बगावती नेताओं की लालू के परंपरागत मतों में सेंधमारी के आसार हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2015 09:51 AM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2015 11:29 AM (IST)
लालू राज की यादों से उठने वाली सिहरन बनेगी भाजपा की ताकत

सुपौल [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। 'ये बेर मोदिये के देखलै' का जुमला बोलने वालों की बढ़ती तादात कोसी में कमल खिला सकती है। लालू राज की यादों से उठने वाली सिहरन भाजपा की ताकत बन रही है। बगावती नेताओं की लालू के परंपरागत मतों में सेंधमारी के आसार हैं।

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नीतीश व लालू के परंपरागत समर्थकों के बीच अविश्वास व आशंका बढ़ रही है। इसके मुकाबले में पचपनिया मतदाताओं का रुझान कमल खिलाने की ओर है। दबंग जातियां बनाम पचपनिया (55 जातियों का समूह) की लड़ाई है।

नीतीश राज में लालू के लोगों पर हुई कड़ी कार्रवाई को भला हम कैसे भूल जाएंगे? हम 10 साल खून के घूंट पिये बैठे हैं। सल्लू यादव नाराजगी भरे लहजे में थे। लेकिन हमरा नेता तो लालू हैं। उनके प्रत्याशी चुनाव में उतरेंगे तो देखेंगे, नही तो घर बैठ जाएंगे। शैलेंद्र उर्फ सल्लू के साथ खड़े उनके साथियों ने जोर देकर कहा तो फिर पप्पू भइया के साथ जाएंगे।

इसके विपरीत पचपनिया का वोटर मौन होकर किसी का समर्थन या विरोध करता है। दबंग जातियों और नेताओं के दबाव में ऐसे मतदाता खुलकर आगे नहीं आते हैं। कोसी में इस बार इन जातियों का मतदाता ही चुनाव में किसी के भाग्य का फैसला करेगा। जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और रामविलास पासवान कोसी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के राजग के प्रमुख खेवनहार हैं। ये सभी नेता कई-कई बार यहां का चुनाव पूर्व दौरा कर चुके हैं।

'कोसी क्षेत्र सिर्फ मेरा है' की तर्ज पर चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव को बहुत गुमान है। उनके साथ युवा यादव मतदाताओं की भारी भरकम फौज है, जो उनके लिए कुछ भी कर सकती है। पप्पू यादव को लालू यादव की अराजक शासन प्रणाली की उपज के रूप में देखा जाता है, लेकिन कोसी की इस उर्वर राजनीतिक जमीन में पप्पू ने जबर्दस्त पकड़ बना रखी है। यादवों पर उनके बढ़ते प्रभाव का सीधा मतलब महागठबंधन का पराभव है।

राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कोसी में लालू से अपना राजनीतिक बदला लेने की ठानी है, जिसके लिए उन्होंने दिनरात एक कर दिया है। चुनाव की घोषणा से पहले ही कोसी क्षेत्र में उनका हेलीकॉप्टर गांव-गांव उतरने लगा है।

पिछले चुनाव में कोसी क्षेत्र की कुल 13 विधानसभा सीटों में 10 जदयू, एक भाजपा और दो सीटें राजद ने जीती थीं। लेकिन भाजपा के पक्ष में चल रही परिवर्तन की लहर का उदाहरण यह है कि यहां के प्रमुख जदयू नेता पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम रहे हैं।

सुपौल की सभी पांचों सीटें भाजपा-जदयू गठबंधन ने जीती थी। स्थानीय स्तर पर जदयू के प्रभावी नेता व पूर्व सांसद विश्वमोहन भाजपा के पाले में आ गये हैं। उनकी पत्नी सुजाता जदयू से ही विधायक हैं। छाता के विधायक नीरज कुमार बब्लू नीतीश कुमार से हाथ छुड़ाकर भाजपा के साथ हो लिए। उनकी पत्नी भाजपा गठबंधन के घटक दल लोजपा से विधान परिषद की सदस्य चुन ली गई हैं। राजद के पूर्व मंत्री रविंद्र चरण यादव भी भाजपा में शामिल हो गये।

महागठबंधन के घटक दलों से उनके नेताओं का मोहभंग और पप्पू यादव जैसे लोगों की अति सक्रियता से भाजपा को फायदा तो मिल ही रहा है। इसके साथ ही भाजपा और उसके घटक दल के बीच समन्वय व एकजुटता कोसी में कमल खिलाने की उनकी मंशा को पूरी कर सकता है।


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