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पटना के बच्‍चों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, 94% काे नहीं मिल रहा सही पोषण, 43.5% बौनेपन के शिकार

यह पटना में बच्‍चों के कुपोषण की चिंताजनक तस्‍वीर है। राजधानी के केवल छह फीसद बच्चों काे ही सही पोषण मिल रहा है। अमीर घरों के भी 30 फीसद बच्चे भी कुपोषण के शिकार हो रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 09:44 AM (IST)
पटना के बच्‍चों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, 94% काे नहीं मिल रहा सही पोषण, 43.5% बौनेपन के शिकार
पटना के बच्‍चों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, 94% काे नहीं मिल रहा सही पोषण, 43.5% बौनेपन के शिकार

पटना, पवन कुमार मिश्र। पटना के बच्चों काे लेकर यह चौंकाने वाला खुलासा है। यहां के केवल छह फीसद बच्‍चों का ही सही पोषण हो रहा है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो पटना के 94 फीसद बच्‍चाें को सही पोषण नहीं मिल रहा है। गरीब तो गरीब, जानकारी के अभाव में अमीर घरों के भी 30 फीसद बच्चे भी कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। नतीजतन, बच्चे का कम लंबाई व वजन के साथ बच्चों के मस्तिष्क का भी विकास नहीं हो पाता है। आंख, त्वचा, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता समेत दर्जनभर गंभीर रोग की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। 

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आंकड़ों की बात करें तो 43.5 फीसद बच्चे बौनपन के शिकार हैं।

अमीर वर्ग के 30 फीसद बच्चे भी कुपोषण के शिकार

नेशनल हेल्थ एंड फैमिली सर्वे- 4 के अनुसार पटना जिले में छह से 23 माह के केवल छह फीसद बच्चों को सही पोषण मिल रहा है। 30 फीसद अमीर वर्ग के बच्चे जानकारी के अभाव में कुपोषण के शिकार के शिकार हो रहे हैं। राजधानी के पांच वर्ष से कम उम्र के 43.5 फीसद बच्चे बौनपन के शिकार हैं। करीब 43.3 फीसद बच्चों का वजन उम्र के अनुपात में औसत से कम है तो 11.5 फीसद का वजन उम्र के अनुसार बहुत ही कम है। 34.7 फीसद शहरी बच्चों की लंबाई उम्र के अनुसार कम है। ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा 51.4 फीसद है। 29.9 फीसद शहरी तथा 27.2 फीसद ग्रामीण बच्चों का वजन लंबाई से कम है। 10.9 फीसद शहरी बच्चों का वजन उम्र की अनुसार बहुत ही कम है। ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा 12.1 फीसद है।

छह से 59 माह के 51 फीसद बच्चों में खून की कमी

आंकड़ों के अनुसार छह से 59 माह के 51 फीसद बच्चों में खून की कमी है। शहरी इलाके में 8.2 फीसद मो ग्रामीण क्षेत्र में 1.1 फीसद बच्चों को ही सही पोषण मिल रहा है। केपल 34 फीसद शहरी बच्चों को ही जन्म के प्रथम घंटे में मां का दूध मिलता है। ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 42 फीसद है।

समुचित पोषण देने में अधिक खर्च नहीं

इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के उप निदेशक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बीरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार, बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान जरूर कराना चाहिए। यह बच्चे का पहला टीका होता है जो उसे रोगों से सुरक्षित करता है। इसके बाद छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए। सातवें माह से घर में बना खाना जैसे दाल का पानी, चावल का पानी, सब्जी का सूप व फलों का रस, पतला हलवा, साबूदाने की खीर, रागी, खिचड़ी आदि खिलानी चाहिए।

कुपोषण से जंग में चाहिए सहयोग

समेकित बाल विकास सेवाएं (आइसीडीएस) के समन्वयक मयंक के अनुसार, आंगनबाड़ी केंद्रों में वजन व पोषण की पूरी जांच की जाती है। लोग ग्रो ट्रैकर एप से खुद भी बच्चे के विकास की निगरानी कर सकते हैं। गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के लिए मसौढ़ी, पीएमसीएच और एनएमसीएच में विशेष वार्ड की व्यवस्था की गई है।


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