मिशन 2019: अभी डींग पैंतरा का मजा लीजिए, 11 के बाद होगा सीट शेयरिंग पर फैसला
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पक्ष विपक्ष के गठबंधनों में सीट शेयरिंग फिलहाल होता नहीं दिख रहा। क्या है मामला, जानने के लिए पढ़ें यह खबर।
By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 09:12 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 10:39 AM (IST)
पटना [राज्य ब्यूरो]। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के मसले पर फिलहाल कुछ फैसला नहीं होगा। टाइम पास करने के लिए 11 दिसंबर तक सिर्फ डींग-पैंतरा चलेगा। उस दिन हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। उसके बाद सीटों के बंटवारे पर असली बातचीत होगी।
राज्य में दो बड़े राजनीतिक गठबंधन
राज्य में दो बड़े राजनीतिक गठबंधन हैं। एनडीए में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच बड़े-छोटे भाई का विवाद खत्म हो गया है। दोनों बराबरी पर आ गए हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्ट्रीय लोक समता दल (रालोसपा) को छोटे भाई का अहसास हो रहा है।
धीमी चाल चल रही लोजपा तो फैल रही रालोसपा, भाजपा खामोश
लोजपा धीमी चाल चल रही है। रालोसपा फैल रही है। भाजपा खामोश है। दर्शक इंतजार कर रहे हैं- रालोसपा किधर जाएगी। उसने 30 नवंबर का अल्टीमेटम दिया है। अल्टीमेटम की तारीख बढ़ सकती है।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव नतीजों का इंतजार
एनडीए के घटक दलों को भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव नतीजों का इंतजार है। नतीजे अगर भाजपा के अनुकूल नहीं आए तो रालोसपा और लोजपा का मुंह और खुलेगा। नतीजे हक में आ गए तो मुंह बंद हो जाएगा।
गठबंधनों के अपने-अपने अनुमान
महागठबंधन में फिलहाल राजद को बड़े भाई का दर्जा हासिल है। कांग्रेस पशोपेश में है। वह भी 11 तारीख का इंतजार कर रही है। परिणाम उसके पक्ष में आया तो उसी दिन एलान हो जाएगा कि महागठबंधन में कांग्रेेस की हैसियत बड़े भाई नहीं तो कम से राजद की बराबरी की है। वह एनडीए के जदयू की तरह राजद से बराबरी की हैसियत मांगेगी। उस समय हम के जीतनराम मांझी और शरद यादव की स्थिति वही होगी, जो एनडीए में लोजपा और रालोसपा की है। संभावनाएं और भी हैं।
महागठबंधन का आकलन है कि तीन राज्य के विधानसभा चुनावों में भाजपा पिछड़ती है तो उसके परिवार में सदस्यों की संख्या बढ़ जाएगी। उस स्थिति की कल्पना में वह मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है।
एनडीए से कम छीना झपटी महागठबंधन में नहीं है। एक संभावना रालोसपा और लोकतांत्रिक जनता दल के बीच विलय की भी बन रही है। मुकेश सहनी को भी इसमें शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। तीनों मिलकर अधिक सीटों की मांग कर सकते हैं। यह एक तरह का प्रेशर ग्रुप बनेगा, जो राजद और कांग्रेस के साथ मोल भाव कर सीटों की संख्या बढ़ाने की कोशिश करेगा।
राज्य में दो बड़े राजनीतिक गठबंधन
राज्य में दो बड़े राजनीतिक गठबंधन हैं। एनडीए में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच बड़े-छोटे भाई का विवाद खत्म हो गया है। दोनों बराबरी पर आ गए हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्ट्रीय लोक समता दल (रालोसपा) को छोटे भाई का अहसास हो रहा है।
धीमी चाल चल रही लोजपा तो फैल रही रालोसपा, भाजपा खामोश
लोजपा धीमी चाल चल रही है। रालोसपा फैल रही है। भाजपा खामोश है। दर्शक इंतजार कर रहे हैं- रालोसपा किधर जाएगी। उसने 30 नवंबर का अल्टीमेटम दिया है। अल्टीमेटम की तारीख बढ़ सकती है।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव नतीजों का इंतजार
एनडीए के घटक दलों को भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव नतीजों का इंतजार है। नतीजे अगर भाजपा के अनुकूल नहीं आए तो रालोसपा और लोजपा का मुंह और खुलेगा। नतीजे हक में आ गए तो मुंह बंद हो जाएगा।
गठबंधनों के अपने-अपने अनुमान
महागठबंधन में फिलहाल राजद को बड़े भाई का दर्जा हासिल है। कांग्रेस पशोपेश में है। वह भी 11 तारीख का इंतजार कर रही है। परिणाम उसके पक्ष में आया तो उसी दिन एलान हो जाएगा कि महागठबंधन में कांग्रेेस की हैसियत बड़े भाई नहीं तो कम से राजद की बराबरी की है। वह एनडीए के जदयू की तरह राजद से बराबरी की हैसियत मांगेगी। उस समय हम के जीतनराम मांझी और शरद यादव की स्थिति वही होगी, जो एनडीए में लोजपा और रालोसपा की है। संभावनाएं और भी हैं।
महागठबंधन का आकलन है कि तीन राज्य के विधानसभा चुनावों में भाजपा पिछड़ती है तो उसके परिवार में सदस्यों की संख्या बढ़ जाएगी। उस स्थिति की कल्पना में वह मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है।
एनडीए से कम छीना झपटी महागठबंधन में नहीं है। एक संभावना रालोसपा और लोकतांत्रिक जनता दल के बीच विलय की भी बन रही है। मुकेश सहनी को भी इसमें शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। तीनों मिलकर अधिक सीटों की मांग कर सकते हैं। यह एक तरह का प्रेशर ग्रुप बनेगा, जो राजद और कांग्रेस के साथ मोल भाव कर सीटों की संख्या बढ़ाने की कोशिश करेगा।
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