बिहार में बंद स्कूलों ने रोका किशोर टीकाकरण का रास्ता, अब तक 45 फीसद को लग सकी वैक्सीन
कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए आपदा प्रबंधन समूह के निर्णय के अनुरूप राज्य के सरकारी और निजी स्कूल फिलहाल बंद हैं। स्कूल बंदी का सर्वाधिक असर किशोर टीकाकरण पर पड़ा है। तमाम प्रयासों के बाद भी अब तक करीब 45 प्रतिशत किशोरों का टीकाकरण ही हो पाया है।
पटना, राज्य ब्यूरो। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए आपदा प्रबंधन समूह के निर्णय के अनुरूप राज्य के सरकारी और निजी स्कूल फिलहाल बंद हैं। स्कूल बंदी का सर्वाधिक असर किशोर टीकाकरण पर पड़ा है। स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों के बाद भी अब तक करीब 45 प्रतिशत किशोरों का टीकाकरण ही हो पाया है। अब इस कार्य के लिए आंगनबाड़ी नेटवर्क की मदद लेने की तैयारी है। स्वास्थ्य विभाग ने फरवरी महीने में मैट्रिक-इंटरमीडिएट की परीक्षाओं को देखते हुए 15-18 आयु वर्ग के सभी 83.46 लाख किशोरों के टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया था। यह कार्य 26 जनवरी तक पूरा किया जाना था। तमाम कोशिशों के बाद भी तय मियाद में करीब 45 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल हो पाया। कोविन पोर्टल के अनुसार मंगलवार 25 जनवरी तक 83.46 लाख लक्ष्य के विरूद्ध 37,29,119 किशोरों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई है।
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने बताया कि इस लक्ष्य को हासिल करने में सबसे बड़ी बाधा आई स्कूलों की बंदी। कोविड की तीसरी लहर की वजह से प्रदेश के अन्य स्कूलों के साथ 10-12 वीं तक के स्कूल भी हैं। कुछ स्कूलों में प्रैक्टिकल भी चल रहे थे। इस वजह से भी लक्ष्य हासिल करने में कठिनाई आई।
कार्यपालक निदेशक ने बताया कि अब विभाग ने किशोर टीकाकरण में आंगनबाड़ी नेटवर्क की मदद लेने का फैसला किया है। आंगनबाड़ी सेविकाएं किशोरों के टीकाकरण के लिए उनके घर तक जाएंगी। इस दौरान वे 60 से अधिक आयु वाले बीमार बुजुर्गों की पहचान भी करेंगी और उन्हें भी सतर्कता डोज दी जाएगी। उन्होंने कहा, हमारी कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द लक्ष्य को हासिल कर लिया जाए।