पटना HC का जस्टिस राकेश कुमार विवाद सुलझा, तीन दिनों बाद उनकी बेंच गठित, दिए न्यायिक कार्य
पटना हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार को तीन दिनों बाद सोमवार को न्यायिक कार्य से जोड़ा गया। जस्टिस राकेश कुमार न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर टिप्पणी को लेकर चर्चा में आए थे।
By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 10:16 AM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 04:15 PM (IST)
पटना [राज्य ब्यूरो]। पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में जस्टिस राकेश कुमार का विवाद सुलझता नजर आ रहा है। तीन दिन काम से अलग रखने के बाद उनकी बेंच पुन: गठित कर दी गई है। रविवार को अधिसूचना जारी कर बेंच गठन की दी गई जानकारी दी गई। जस्टिस राकेश कुमार न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर टिप्पणी को लेकर चर्चा में आए थे।
फिर मिला न्यायिक कार्य
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर फैसला देकर चर्चा में आने वाले पटना हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार को फिर न्यायिक कार्य मिल गया है। हालांकि, अब वे उस समूह के केस की सुनवाई नहीं कर सकेंगे, जिनकी पहले करते थे। कौन जज किस ग्रुप के मामले की सुनवाई करेंगे, यह मुख्य न्यायाधीश के विवेकाधिकार का मामला है।
रविवार को ही हाई कोर्ट प्रशासन ने फैसला किया और एक अधिसूचना जारी कर बताया कि जस्टिस राकेश कुमार की बेंच का गठन कर दिया है। सोमवार को पहली पाली में राकेश कुमार को एकल पीठ और दूसरी पाली में डिवीजन बेंच का दायित्व सौंपा गया है।
चर्चा में रहीं ये बातें
शनिवार की जारी सूची के मुताबिक हाईकोर्ट की दैनिक सूची में सोमवार के मुकदमों की सुनवाई में उनका नाम नहीं था। शनिवार को खबर आई थी कि मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रसाद शाही ने सोमवार को भी जस्टिस राकेश कुमार को काम से अलग रखा है। वैसे शनिवार को मुख्य न्यायाधीश शाही और न्यायाधीश कुमार दिल्ली में थे। चर्चा इस बात की है कि दोनों को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने विवाद सुलझाने के लिए बुलाया। चर्चा इस बात की भी रही कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने जस्टिस राकेश कुमार एवं स्पेशल कोर्ट का फैसला मंगाया था।
इसे भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार न्यायपालिका पर तल्ख टिप्पणी, जानें पूरा मामला
न्यायपालिका पर तल्ख टिप्पणी
विदित हो कि बुधवार को पटना हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार ने न्यायपालिका पर तल्ख टिप्पणी की थी। उन्होंने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था- 'भ्रष्टाचारियों को न्यायपालिका से भी संरक्षण मिलता है।' यह भी कहा था- 'जबसे न्यायाधीश पद की शपथ ली है, तब से देख रहा हूं कि सीनियर जज भी मुख्य न्यायाधीश के आगे पीछे घूमते हैं, ताकि उनसे 'फेवर' लिया जा सके।' जस्टिस कुमार ने हाईकोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला उठाकर उसकी जांच का भी आदेश दिया। उन्होंने आदेश की कॉपी, देश के चीफ जस्टिस, सीबीआइ और पीएमओ भेजने को कहा था।
आदेश को कर दिया निलंबित
उनकी इस टिप्पणी पर गुरुवार को पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा था, 'ऐसा लगता है कि पूरे देश में वही सबसे ईमानदार जज हैं। संभव है कि वे व्यक्तिगत कारणों से क्षुब्ध हों, जिस कारण उन्होंने पूरी न्यायपालिका की गरिमा पर सवाल खड़ा कर दिया।' इसके बाद पटना हाई कोर्ट की 11 न्यायाधीशों की एक बड़ी बेंच ने जस्टिस कुमार के कृत्य की भर्त्सना करते हुए उनके आदेश को निलंबित कर दिया। इसके बाद से उन्हें किसी एकल या डबल बेंच में शामिल नहीं किया जा रहा था।
जस्टिस राकेश ने कही ये बात
इस प्रकरण पर जस्टिस राकेश कुमार ने कहा था, ‘अगर भ्रष्टाचार को उजागर करना अपराध है, तो मैंने अपराध किया है।’ कहा कि उन्हें जो सही लगा, वही किया। वे अपने स्टैंड पर कायम हैं और किसी भी स्थिति में भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करेंगे।
बनाए गए पुलिस मामलों पर एडवाइजरी बोर्ड के अध्यक्ष
इस बीच बिहार सरकार ( Bihar government) ने पुलिस मामलों पर एडवाइजरी बोर्ड का पुनर्गठन करते हुए जस्टिस राकेश कुमार को उसका अध्यक्ष बना दिया है। यह एडवाइजरी बोर्ड बिहार कंट्रोल ऑफ क्राइम एक्ट 1981, नेशनल सिक्युरिटी एक्ट 1980 और कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटी एक्ट 1974 से जुड़े मामलों पर सरकार को सलाह देता है।
इसे भी पढ़ें : बिहार में दो NDA नेताओं की हत्या: समस्तीपुर में JDU तो सिवान में LJP नेता को भून डाला
फिर मिला न्यायिक कार्य
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर फैसला देकर चर्चा में आने वाले पटना हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार को फिर न्यायिक कार्य मिल गया है। हालांकि, अब वे उस समूह के केस की सुनवाई नहीं कर सकेंगे, जिनकी पहले करते थे। कौन जज किस ग्रुप के मामले की सुनवाई करेंगे, यह मुख्य न्यायाधीश के विवेकाधिकार का मामला है।
रविवार को ही हाई कोर्ट प्रशासन ने फैसला किया और एक अधिसूचना जारी कर बताया कि जस्टिस राकेश कुमार की बेंच का गठन कर दिया है। सोमवार को पहली पाली में राकेश कुमार को एकल पीठ और दूसरी पाली में डिवीजन बेंच का दायित्व सौंपा गया है।
चर्चा में रहीं ये बातें
शनिवार की जारी सूची के मुताबिक हाईकोर्ट की दैनिक सूची में सोमवार के मुकदमों की सुनवाई में उनका नाम नहीं था। शनिवार को खबर आई थी कि मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रसाद शाही ने सोमवार को भी जस्टिस राकेश कुमार को काम से अलग रखा है। वैसे शनिवार को मुख्य न्यायाधीश शाही और न्यायाधीश कुमार दिल्ली में थे। चर्चा इस बात की है कि दोनों को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने विवाद सुलझाने के लिए बुलाया। चर्चा इस बात की भी रही कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने जस्टिस राकेश कुमार एवं स्पेशल कोर्ट का फैसला मंगाया था।
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न्यायपालिका पर तल्ख टिप्पणी
विदित हो कि बुधवार को पटना हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार ने न्यायपालिका पर तल्ख टिप्पणी की थी। उन्होंने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था- 'भ्रष्टाचारियों को न्यायपालिका से भी संरक्षण मिलता है।' यह भी कहा था- 'जबसे न्यायाधीश पद की शपथ ली है, तब से देख रहा हूं कि सीनियर जज भी मुख्य न्यायाधीश के आगे पीछे घूमते हैं, ताकि उनसे 'फेवर' लिया जा सके।' जस्टिस कुमार ने हाईकोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला उठाकर उसकी जांच का भी आदेश दिया। उन्होंने आदेश की कॉपी, देश के चीफ जस्टिस, सीबीआइ और पीएमओ भेजने को कहा था।
आदेश को कर दिया निलंबित
उनकी इस टिप्पणी पर गुरुवार को पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा था, 'ऐसा लगता है कि पूरे देश में वही सबसे ईमानदार जज हैं। संभव है कि वे व्यक्तिगत कारणों से क्षुब्ध हों, जिस कारण उन्होंने पूरी न्यायपालिका की गरिमा पर सवाल खड़ा कर दिया।' इसके बाद पटना हाई कोर्ट की 11 न्यायाधीशों की एक बड़ी बेंच ने जस्टिस कुमार के कृत्य की भर्त्सना करते हुए उनके आदेश को निलंबित कर दिया। इसके बाद से उन्हें किसी एकल या डबल बेंच में शामिल नहीं किया जा रहा था।
जस्टिस राकेश ने कही ये बात
इस प्रकरण पर जस्टिस राकेश कुमार ने कहा था, ‘अगर भ्रष्टाचार को उजागर करना अपराध है, तो मैंने अपराध किया है।’ कहा कि उन्हें जो सही लगा, वही किया। वे अपने स्टैंड पर कायम हैं और किसी भी स्थिति में भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करेंगे।
बनाए गए पुलिस मामलों पर एडवाइजरी बोर्ड के अध्यक्ष
इस बीच बिहार सरकार ( Bihar government) ने पुलिस मामलों पर एडवाइजरी बोर्ड का पुनर्गठन करते हुए जस्टिस राकेश कुमार को उसका अध्यक्ष बना दिया है। यह एडवाइजरी बोर्ड बिहार कंट्रोल ऑफ क्राइम एक्ट 1981, नेशनल सिक्युरिटी एक्ट 1980 और कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटी एक्ट 1974 से जुड़े मामलों पर सरकार को सलाह देता है।
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