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एमआरटी लैब से बिजली कंपनी को हो रही करोड़ों रुपये की बचत

पटना मीटर रिले टेस्टिंग (एमआरटी) डिवीजन की प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट रिपेय¨रग लैब से विद्युत कंपनी को करोड़ों रुपये की बचत हो रही है। उपकरणाों की मरम्मत करने वाली यह लैब देश में पहली लैब है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 06:04 PM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 06:04 PM (IST)
एमआरटी लैब से बिजली कंपनी को हो रही करोड़ों रुपये की बचत
एमआरटी लैब से बिजली कंपनी को हो रही करोड़ों रुपये की बचत

पटना [मृत्युंजय मानी]। पटना मीटर रिले टेस्टिंग (एमआरटी) डिवीजन की प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट रिपेय¨रग लैब विद्युत कंपनी के लिए दुधारू गाय बन गयी है। वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (वीसीबी) में लगने वाले करंट ट्रासफार्मरों, रिले कंट्रोल पैनल की रिपेय¨रग तथा नये बैट्री चार्जर का निर्माण कर यह करोड़ों रुपये की बचत कर रही है। उपकरणों की मरम्मत करने वाली देश में यह पहली लैब है। अमूमन विद्युत कंपनिया सीधे कंपनियों से उपकरणों की खरीद करती हैं।

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विद्युत कंपनी ने इस लैब को दुधारु गाय बनते देखकर इस तरह की लैब की स्थापना मुंगेर, मुजफ्फपुर, पूर्णिया, गया सहित छह जगहों पर करने का निर्णय लिया है। स्थल चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। विद्युत कंपनी के निदेशक पद से सेवानिवृत्त मो. ग्यासुद्दीन ने अपने ससाधनों से इस लैब की शुरूआत नौकरी के दौरान ही की थी। एक वीसीबी में तीन करंट ट्रासफॉर्मर लगते हैं। एक में खराबी के बाद करंट ट्रासफॉर्मर किसी काम का नहीं रह जाता था। अब इसकी मरम्मत होने लगी। एक वीसीबी का मूल्य तीन लाख रुपये है। इसके निर्माण पर महज चार हजार रुपये खर्च आ रहा है। ड्रम में बालू रखकर तेल को फिल्टर करके इसका इस्तेमाल किया जाता है। ग्यासुद्दीन के कार्यो को कार्यपालक अभियता केके सिह ने सभाल लिया। कार्य को बखूबी आगे बढ़ा दिया है। विद्युत कंपनी के निदेशक (ऑपरेशन) अशोक कुमार इस लैब के सचालन में भरपूर सहयोग कर रहे हैं। विद्युत कंपनी ने इस यूनिट को लैब घोषित कर दिया है। यहा तैयार उपकरण का अब विद्युत कंपनी का क्रय एव भडारण विभाग आवटन करता है। आर. ब्लॉक में स्थित इस लैब के लिए एक भवन का निर्माण करा दिया गया है। लैब के लिए अभियताओं की तैनाती कर दी गई है। अब यह लैब राज्यभर की माग की पूर्ति कर रही है। इस लैब में बैट्री चार्जर का निर्माण होता है। मार्केट में इसका मूल्य 35 हजार रुपये है। यहा महज पाच हजार में एक बैट्री चार्जर बनता है। साथ में दस वर्षो की गारंटी दी जाती है। जबकि मार्केट से खरीदे जाने वाले बैट्री चार्जर की गारंटी नहीं है। अब तक राज्य के सभी पावर सब स्टेशनों में इस लैब से निर्मित बैट्री चार्जर की आपूर्ति हो रही है। पावर सब स्टेशनों के उपकरण को सुरक्षित रखने के लिए बैट्री चार्जर की अहम भूमिका होती है।पावर सब स्टेशनों में वीसीबी को नियत्रित करने वाले पैनल में लगने वाला रिले भी यहा मरम्मत होता है। इसका मूल्य 18 हजार है। इसके रखरखाव पर कोई खर्च नहीं है। बेकार पा‌र्ट्स का इसके निर्माण में इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है।


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