बक्सर के इस लकी पार्क में आने से मिलती है सरकारी नौकरी, सफल युवाओं के चंदे से होती देखरेख
Sarkari Naukari यहां पढ़ने वाले छात्रों में पिछले सात साल में 31 लोगों ने सरकारी नौकरी प्राप्त की। विगत दो साल में यहां तैयारी करने वाले 26 छात्रों ने रेलवे में योगदान दिया है। इसी पार्क में पढ़कर इस साल मनोज कुमार गुप्ता ने एसएससी में सफलता हासिल की है।
बक्सर, शंकर वर्मा। ऐसे तो पार्क शरीर को तंदुरुस्त रखने और खेल एवं मौज-मस्ती की जगह माने जाते हैं। लेकिन, बक्सर के नया बाजार के चिल्ड्रेन पार्क की पहचान इससे अलग है। यह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों को सफलता के लिए लकी पार्क के रूप में जाना जाता है। पिछले सात साल में पार्क में सामूहिक तैयारी कर दर्जनों होनहार रेलवे, ईपीएफओ और बैंक समेत अन्य सरकारी विभागों में चयनित हुए हैं। पार्क में रोजाना युवा जुटते हैं और घेरा बनाकर जीके-जीएस की तैयारी करते हैं। प्रदर्शन के आधार पर हर दिन छात्र अपने में ही ग्रेडिंग तय करते हैं, हर कोई अगले दिन बेहतर ग्रेडिंग में आने का प्रयास करता है। यहां पढ़ने वाले छात्रों में पिछले सात साल में 31 लोगों ने सरकारी नौकरी प्राप्त की।
26 युवाओं को रेलवे में मिल चुकी है नौकरी
विगत दो साल में यहां तैयारी करने वाले 26 छात्रों ने रेलवे में योगदान दिया है। इसी पार्क में पढ़कर इस साल मनोज कुमार गुप्ता ने एसएससी में सफलता हासिल की है। कहते हैं यहां चारों ओर पेड़-पौधों के बीच सुबह-शाम छात्र जुटते हैं और इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी विषयों पर अलग-अलग टापिक तय कर उस पर सामूहिक चर्चा करते हैं। अंत में आधे घंटे का क्विज सेशन होता है और सबसे ज्यादा अंक लाने वाले का तालियां बजाकर सम्मानित करते हैं।
पार्क के रखरखाव की जिम्मेदारी लेते हैं सफल छात्र
लकी पार्क के रखरखाव की जिम्मेदारी यहां पढ़कर नौकरी पाने वाले छात्र निभाते हैं। समूह में शामिल कौशल किशोर शर्मा और मनीष कुमार बताते हैं कि पिछले पांच सालों से यह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों की पसंदीदा जगह बना हुआ है। पहले यह पार्क बदहाल स्थिति में था। स्थानीय छात्रों ने मिलकर यहां बिजली के तार लगवाए और खंभे पर लाइट की व्यवस्था की।
सफल होने वाले हर माह करते हैं सहयोग
यहां पढ़ाई कर रेलवे में नौकरी करने वाले अशोक कुमार कहते हैं कि आसपास गरीब परिवार रहते हैं। इन परिवारों के छात्र प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए बाहर नहीं जा सकते, ऐसे में पार्क को उन लोगों ने कोचिंग बना लिया है। यहां से सफल अभ्यर्थी पार्क के रखरखाव के लिए हर महीने दो सौ रुपये की सहायता राशि भेजते हैं, जिससे रोशनी और साफ-सफाई का प्रबंध होता है।