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पुलवामा हमले में पटना के संजय ने दी थी शहादत, शहीद के गांव वालों को कुछ चीजों का अफसोस

Pulwama Terror Attack Bihar Martyrs Story आज से ठीक दो साले पहले जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलवामा में आतंकियों के कायराना हमले में बिहार के लाल संजय कुमार सिन्‍हा भी शहीद हुए थे। आज उनके गांव के लोगों को कुछ चीजों के लिए अफसोस है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 09:24 AM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 12:03 PM (IST)
पुलवामा हमले में पटना के संजय ने दी थी शहादत, शहीद के गांव वालों को कुछ चीजों का अफसोस
पुलवामा के शहीद संजय कुमार सिन्‍हा के गांव जाने वाली सड़क। जागरण

मसौढी (पटना), संवाद सहयोगी। Pulwama Terror Attack: जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलवामा का नाम आते ही 14 फरवरी 2019 का वह मनहूस दिन तुरंत जेहन में आता है, जब भारत के 40 जवानों ने देश के लिए अपनी शहादत दे दी। आतंकियों ने धोखे से केंद्रीय रिजर्व पुलिस यानी सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों की बस को निशाना बनाया था। इस हमले में पटना के संजय कुमार सिन्‍हा ने भी अपनी शहादत दी थी। संजय पटना जिले के मसौढ़ी प्रखंड के तारेगना मठ के रहने वाले थे। उनकी शहादत को पटना और बिहार के लोगों ने खूब सम्‍मान दिया।

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शहीद के सम्‍मान के लिए सामने आया था हर तबका

पुलवामा हमले के बाद महीने भर तक अधिक अरसे तक शायद ही कोई ऐसा दिन रहा हो जब राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता शहीद को सम्‍मान अर्पित करने उनके गांव तक नहीं पहुंचे। हर स्‍तर से शहीद के परिवार को आर्थिक और भावनात्‍मक संबल देने की खूब कोशिशें हुईं। शहीद के बेटे-बेटी की शिक्षा के लिए भी सहयोग देने लोग सामने आए। हाला‍ंकि शहीद के गांवों के लोगों को मलाल है कि उनके गांव की सड़क का पक्‍कीकरण आज तक नहीं हो सका।

बड़े कस्‍बे के पास होने पर भी सड़क नहीं बनी

मसौढ़ी एक बड़ा कस्‍बा होने के साथ ही प्रखंड और अनुमंडल मुख्‍यालय भी है। शहीद संजय सिन्‍हा का गांव तारेगना मठ यहां से काफी करीब है, लेकिन उनके घर तक जाने वाली सड़क आज भी कच्‍ची ही है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलवामा के शहीद संजय कुमार सिन्हा के स्वजनों से दो साल पूर्व किए गए अपने वादों को सूबे की सरकार भूल सी गई है।

आतंकी हमले के दो दिन बाद आया था पार्थिव शरीर

गौरतलब है कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आतंकी कार्रवाई में बस पर सवार सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। उन शहीदों में मसौढी के तारेगना मठ निवासी संजय कुमार सिन्हा भी शामिल थे। उनका शव 16 फरवरी को उनके घर पहुंचा था।

मुख्‍यमंत्री ने शहीद के गांव जाकर की थी स्‍वजनों से मुलाकात

प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शहीद के स्वजनों से उनके घर पर मिले थे और स्वजनों व ग्रामीणों की मांग पर उन्होंने शहीद के नाम पर मसौढ़ी में किसी सार्वजनिक जगह पर उनकी एक प्रतिमा स्‍थापित करने व शहीद के घर से तारेगना रेलवे गुमटी पूर्वी तिमुहानी के पास तक एक सड़क निर्माण बनाने की घोषणा की थी, लेकिन दो साल बीत गए। बावजूद अबतक मसौढ़ी में किसी जगह शहीद की ना तो कोई प्रतिमा स्थापित की जा सकी और ना ही सड़क का निर्माण हो सका।

सड़क का शिलान्‍यास कर भूल गई सरकार

ग्रामीण बताते हैं कि तत्कालीन नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने स्थानीय सांसद रामकृपाल यादव की मौजूदगी में 8 मार्च, 2019 को 4 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से उक्त सड़क का शिलान्यास किया था। हालांकि सड़क का निर्माण अब तक शुरू नहीं किया जा सका है।

सरकार की वाद‍ाखिलाफी से पिता भी मायूस

शहीद संजय सिन्हा के पिता महेंद्र सिंह रूआंसे भरे शब्दोंं में कहते हैं कि उन्होंने देश के लिए अपना बेटा खो दिया। लेकिन सरकार उस खोए हुए बेटे के नाम पर वादा करने के बावजूद उसका एक स्मारक तक नहीं स्थापित कर सकी। सड़क का शिलान्यास तो हुआ लेकिन सड़क नहीं बन सकी। वे बताते हैं कि वे व ग्रामीण उस वक्त मुख्यमंत्री से शहीद के नाम पर मसौढी कोर्ट हाल्ट का नामकरण करने की भी मांग किए थे। लेकिन उनकी यह मांग भी पूरी नहीं हो सकी।


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