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सलमान खान की फिल्म 'दबंग' के चौबेजी ने कहा-मुंबई आकर खो गया था, लॉकडाउन में गांव याद आया

बॉलीवुड स्टार सलमान खान की मशहूर फिल्म दबंग में चौबेजी की भूमिका निभाने वाले रामसुजान सिंह लॉकडाउन के दौरान मुंबई स्थित अपने घर में वक्ता बिता रहे हैं। इल दौरान उन्होंने ये कहा....

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 04:12 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 05:12 PM (IST)
सलमान खान की फिल्म 'दबंग' के चौबेजी ने कहा-मुंबई आकर खो गया था, लॉकडाउन में गांव याद आया
सलमान खान की फिल्म 'दबंग' के चौबेजी ने कहा-मुंबई आकर खो गया था, लॉकडाउन में गांव याद आया

पटना, उमाशंकर गुप्ता। गांव से मुंबई आने के बाद वहां के लोगों से एक तरह से नाता टूट चुका था लेकिन कोरोना के कारण एक बार फिर से अपने गांव, ग्रामीण इलाकों से मेरा जुड़ाव फोन के ही माध्यम से होने लगा है। मेरे लिए ये लॉकडाउन बहुत जरूरी था। यह कहना है मनेर के हल्दी छपरा के निवासी एवं दबंग वन, टू, थ्री के चौबे जी यानि राम सुजान सिंह का।

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राम सुजान सिंह बताते हैं कि मुंबई आने के बाद यहां की दौड़ भाग वाली जिंदगी में अपने गांव को मैं भूल ही गया था। लेकिन कोरोना के कारण इस लॉकडाउन ने मेरी बहुत सी यादें मुझे वापस लौटा दी हैं। कभी चौबीस घंटे की हलचल वाला मुंबई आज कोरोना के कारण पूरी तरह से शांत और गांव की तरह लग रहा है। अभी  मैं मुंबई में हूं और मुंबई में भी आज चिड़ियों की चहचहाहट एक जमाने के बाद  मुझे सुनने को मिल रही है।

इस शहर में जहां पहले आसमान में तारे नहीं दिखते थे वहां कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन को लेकर प्रदूषण की कमी के कारण आज तारे टिमटिमाते जरूर दिखते हैं, इसके साथ ही ऑक्सीजन भी अच्छी मिल रही है ।

अपनी दिनचर्या के बारे में राम सुजान सिंह बताते हैं कि पहले भी मैं सुबह 6:00 बजे ही उठ जाता था आज भी मेरा समय वही है। आज जिम में या मैदान में एक्सरसाइज करने नहीं जा पाता हूं। लॉक डाउन के कारण घर पर ही  एक्सरसाइज सूर्य नमस्कार आदि करता हूं। मैं शुरू से ही थिएटर से जुड़ा रहा इसलिए घर में बैठकर एक्टिंग की उन बारीकियों को काफी सीखने का प्रयास करता हूं।

वीडियो के माध्यम से और थिएटर में लिए गए प्रशिक्षण के माध्यम से आज मेरे पास समय है तो मैं उसका पूरा सदुपयोग कर रहा हूं। पहले जहां मेरी पत्नी सुबह-सुबह हमें चाय देती थी अब मैं अपने हाथों से खुद बनाकर उन्हें जगाता हूं और घर के खाना बनाने में भी सहयोग करता हूं।  इसका भी एक अलग मजा है।

मुझे अपना गांव और गांव के लोग आज भी काफी याद आते हैं। गांव में परिवार बसता है आप किसी भी घर में चले जाइए चाचा-दादा बाबू कोई ना कोई आपको मिल ही जाएंगे। इज्जत और भाव जो लोग गांव में देते हैं वह शहरों में देखने को नहीं मिलता। राम सुजान बताते हैं कि मैंने अपने जीवन में कई ऐसे  हालात और उतार-चढ़ाव देखे हैं जहां आपके अपने लोग ही काम देते हैं आपका गांव आपके अपने लोग आपके जीवन में जरूरी हैं।


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