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Muzaffarpurpur Shelter Home Case में आज सबसे बड़ा दिन, दिल्‍ली का साकेत कोर्ट देगा फैसला

Muzaffarpurpur Shelter Home Case में आज फैसले का दिन है। इस मुकदमे में दिल्‍ली का साकेत कोर्ट क्‍यश सजा देता है इसपर सबों की निगाहें टिकीं हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 09:18 AM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 09:40 AM (IST)
Muzaffarpurpur Shelter Home Case में आज सबसे बड़ा दिन, दिल्‍ली का साकेत कोर्ट देगा फैसला
Muzaffarpurpur Shelter Home Case में आज सबसे बड़ा दिन, दिल्‍ली का साकेत कोर्ट देगा फैसला

पटना [जेएनएन]। बिहार के मुजफ्फरपुर के चर्चित बालिका गृह यौन उत्‍पीड़न में दिल्‍ली का साकेत कोर्ट (Saket Court) आज फैसला देगा। सीबीआइ और आरोपित पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद कोर्ट ने इस मामले में बीते एक अक्‍टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस हाई-प्रोफाइल मामले में कांड के मास्‍टरमाइंड ब्रजेश ठाकुर सहित 21 अन्‍य पर दुष्‍कर्म व अन्‍य यौन दुर्व्‍यवहार तथा आपराधिक षडयंत्र आदि के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। दोषी पाए जाने पर कोर्ट उन्‍हें 10 साल से उम्रकैद तक की सजा दे सकती है।

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इस बीच ब्रजेश ठाकुर के मुजफ्फरपुर स्थित आवास पर सन्‍नाटा पसरा है। संभवत: उसके स्‍वजन कोर्ट के फैसले को लेकर दिल्‍ली गए हैं।

'टिस' की रिपोर्ट से हुआ था खुलासा

बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह सहित कई अन्‍य बालिका गृहों में नागालिग लड़कियों के उत्‍पीड़न का खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की एक रिपोर्ट से हुआ था। 'टिस' से यह रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, लेकिन तत्‍काल कार्रवाई नहीं हो सकी। मामले ने जब तूल पकड़ा तो इस रिपोर्ट के आधार पर बाल संरक्षण इकाई ने मई 2018 में महिला थाना में एफआइआर दर्ज किया। इस मामले में मुजफ्फरपर बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 21 को आरोपित बनाया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्‍वत: संज्ञान

ब्रजेश ठाकुर की बड़ी हैसियत को देखते हुए विपक्ष ने उसपर सत्‍ता के संरक्षण का आरोप लगाया। मामले ने तूल पकड़ा तो इसकी जांच सीबीआइ के हवाले कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका स्‍वत: संज्ञान लिया। ब्रजेश को कड़ी सुरक्षा में बिहार के बाहर पंजाब के जेल में शिफ्ट कर दिया गया।

साकेत कोर्ट में मुकदमा स्‍थानांतरित

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बीते 7 फरवरी को य‍ह मुकदमा बिहार से दिल्ली के साकेत कोर्ट में स्‍थानांतरित करते हुए छह महीने के भीतर ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया था। साकेत कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 23 फरवरी से नियमित चल रही थी। इसके लिए आरोपितों को दिल्ली लाया गया।

अब फैसले पर टिकी निगाहें

अब आज साकेत कोर्ट क्‍या फौसला देता है, इसपर सबों की निगाहें टिकी हैं। वैसे कानून के जानकारों की मानें तो ऐसे अपराध में कम-से-कम 10 साल की सजा का प्रावधान है, जो उम्रकैद तक बढ़ सकती है। 


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