Sakat Chauth 2022: सौभाग्य योग में माघ कृष्ण गणेश चतुर्थी व्रत आज, रात 08:39 बजे होगा चंद्रोदय
Moonrise Time Today सकट चौथ 2022 माघ कृष्ण संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत आज शुक्रवार को मघा नक्षत्र व सौभाग्य योग में मनाया जायेगा I आज ही के दिन भगवान गणेश का प्राकट्य हुआ था I इसीलिए इस दिन का खास महत्व होता है I
पटना, जागरण संवाददाता। माघ कृष्ण संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत आज शुक्रवार को मघा नक्षत्र व सौभाग्य योग में मनाया जायेगा I आज ही के दिन भगवान गणेश का प्राकट्य हुआ था I इसीलिए इस दिन का खास महत्व होता है I इस चतुर्थी को तिलकुटी चतुर्थी व वक्रतुण्ड चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है I आज के दिन पवित्र जल से स्नान कर व्रत-उपवास कर भगवान गणेश की विधिवत पूजा के बाद दुर्बा चढ़ाकर मोदक या लड्डू का भोग लगाने से सभी कार्यों में शुभता आती है I आज सौभाग्य योग के अलावा जयद योग भी बन रहा है I इस पक्ष में द्वितीया तिथि दो दिन होने से आज सुबह 07:38 तक तृतीया तिथि थी I उसके बाद पूरे दिन और रात्रि काल में चतुर्थी तिथि के होने से गणेश चतुर्थी का व्रत आज ही मनाया जा रहा है I
संतान की दीर्घायु के लिए होता है यह व्रत
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि आज माघ कृष्ण चतुर्थी को ही विघ्नहर्ता भगवान गणेश का अवतरण हुआ था I आज माताएं अपने संतान की सलामती व दीर्घायुष्य की कामना से श्रद्धा एवं विश्वास के साथ गणेश चौथ का व्रत करेंगी I धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस व्रत को करने से संतान पर आने वाली सभी बाधाएं गणपति दूर कर देते हैं I नारद पुराण के अनुसार आज के दिन गजानन की पूजा-आराधना से सुख-सौभाग्य में अपार वृद्धि एवं आने वाली सभी विघ्न -बाधाओं से मुक्ति व रुके हुए मांगलिक कार्य शीघ्र संपन्न होते हैं। आज चंद्रमा के दर्शन करने से गणेश भगवान के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता हैI पंचांगीय गणना के अनुसार आज रात 08:39 बजे चंद्रमा का उदय होगा तथा इसके बाद उनको अर्घ्य दिया जाएगा I
गणेश चतुर्थी पर बना शुभ संयोग
आज गणेश चतुर्थी पर दो शुभ संयोग बन रहा है I आज चंद्रमा पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र व बव करण में उदित होगा। इसके अलावा आज सौभाग्य योग का भी संयोग बना है। इससे इसकी महत्ता और बढ़ गई है। आज शुक्रवार दिन तथा शुक्र के नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी के योग से व्रत व पूजन फलदायी होगा I
इन मंत्रों से करें गणेश पूजा
- श्री गणेशाय नम:II
- ॐ गं गणपतये नमः II
- ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात II
- ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ: निर्विघ्नं कुरूमे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा II