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बिहार में विपक्षी एकता बनाना बड़ी चुनौती, समन्‍वयक की भूमिका में आगे आए उपेंद्र कुशवाहा

बिहार में विपक्षी महागठबंधन के घटक दलों में तालमेल का अभाव साफ दिखता है। इस बीच उनके बीच समन्‍वय का बीड़ा उठाया है उपेंद्र कुशवाहा ने।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 07:20 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 10:13 PM (IST)
बिहार में विपक्षी एकता बनाना बड़ी चुनौती, समन्‍वयक की भूमिका में आगे आए उपेंद्र कुशवाहा
बिहार में विपक्षी एकता बनाना बड़ी चुनौती, समन्‍वयक की भूमिका में आगे आए उपेंद्र कुशवाहा

पटना [एसए शाद]। बिहार में विपक्षी दलों को एकजुट रखने में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) आगे आए हैं। यहां विपक्ष को एकजुट रखना नई चुनौती है। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) परिणाम सामने आने के बाद महागठबंधन (Grand Alliance) में शामिल दलों के कुछ नेताओं के व्यक्तिगत बयानों ने आपसी तालमेल को प्रभावित करना आरंभ कर दिया, मगर डॉ. लोहिया की पुण्यतिथि और फिर पिछले दिनों केंद्र एवं राज्य सरकारों के खिलाफ संयुक्त आक्रोश मार्च में विपक्षी दलों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया। इन दोनों ही कार्यक्रमों में आरएलएसपी ने समन्वयक की भूमिका निभाई।

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लालू से समन्‍वय को ले हुई बात

सूत्रों ने बताया कि सितंबर माह में आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने रांची जेल में बंद राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad yadav) से मुलाकात की थी। उस मुलाकात में ही लालू प्रसाद ने उन्हें डॉ. लोहिया की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में समन्वयक की भूमिका निभाने कहा था। डॉ. लोहिया के घोर कांग्रेस विरोधी रहने के बावजूद 12 अक्टूबर को बापू सभागार में आयोजित महागठबंधन के इस कार्यक्रम में कांग्रेस शामिल हुई। कार्यक्रम को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने अन्य दलों के नेताओं को साथ लेकर कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम (Sadaquat Asham) में संवाददाता सम्मेलन भी किया था।

आक्रोश मार्च में एकजुट दिखा विपक्ष

फिर 13 नवंबर को महागठबंधन ने केंद्र एवं राज्य सरकारों की नीतियों के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला। कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी की असहमति, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की नाराजगी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की चुप्पी के बावजूद महागठबंधन के सभी दल आक्रोश मार्च में शरीक हुए।

वाम दलों ने भी की शिरकत

जीतन राम मांझी को मनाने खुद उपेंद्र कुशवाहा उनके आवास पर एक दिन पूर्व गए थे। मांझी अपने सहयोगियों के साथ आक्रोश मार्च में शामिल हुए थे। खास बात यह रही कि इस कार्यक्रम में दो वाम दलों- भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (CPI) और मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (CPM) के नेताओं ने भी शिरकत की थी।

आसान नहीं एकजुटता की राह

आगे की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि विधानसभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में विपक्षी दलों को जनता की अपेक्षा के अनुरूप एकजुट करना आवश्यक है। यह काम बहुत आसान नहीं है, क्योंकि विभिन्न दलों के बीच सीट बंटवारा भी होना है। वाम दलों ने भी अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है।

अहंकार से परहेज करना जरूरी

सबसे बड़ी चुनौती तो विपक्षी एकता को रोकने के लिए होने वाली साजिश से निपटना है। साझा कार्यक्रम पर सभी की सहमति बनानी है। उन्होंने कहा कि नेताओं को व्यक्तिगत बयान देने और अहंकार से परहेज करना होगा। मैंने अपना 'ईगो' पूरी तरह से त्याग दिया है।

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