अमित शाह से नहीं हुई मुलाकात, उपेंद्र कुशवाहा आज ले सकते हैं बड़ा फैसला!
एनडीए में टिकट शेयरिंग को लेकर रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की अमित शाह से शुक्रवार को भी मुलाकात नहीं हुई और अब वे पटना लौट आए हैं। इसके बाद आज वो बड़ा फैसला ले सकते हैं।
पटना [सुभाष पांडेय]। सीटों के बंटवारे पर बातचीत के लिए दिल्ली पहुंचे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की इस बार भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात नहीं हुई। शाह पिछले तीन चार दिनों से मध्य प्रदेश, राजस्थान के चुनावी दौरे पर हैं। कुशवाहा शनिवार सुबह पटना लौट आए हैं और आज वे पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक अमित शाह से मुलाकात नहीं होने पर कुशवाहा ने आज अपने खाली समय का इस्तेमाल दिल्ली में कुछ नेताओं से मिलने जुलने में किया। कांग्रेस के अशोक गहलौत जैसे कुछ बड़े नेताओं के भी वह संपर्क में हैं। कुशवाहा कल सुबह पटना लौट रहे हैं जहां पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे। कार्यकारिणी की बैठक में वे कुछ महत्वपूर्ण घोषणा भी कर सकते हैं।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कुशवाहा के हाल के बयानों से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व खुश नहीं है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले महीने बिहार में लोकसभा की बराबर बराबर सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा की।
इस पर कुशवाहा ने जिस तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त की वह भाजपा नेताओं को नागवार लगी है। यही वजह है कि अब भाजपा के नेता कुशवाहा से मिलने से कतराने भी लगे है।
वैसे भी रालोसपा अध्यक्ष ने भाजपा से उनका गठबंधन है जदयू से नहीं, यह साफ कर दिया है कि एनडीए में उनके लिए जदयू के साथ चल पाना संभव नहीं है। शायद यही कारण है कि वह रास्ता तलाश रहे हैं। नीतीश कुमार से खार खाए शरद यादव जैसे नेता उनके मददगार बन गए हैं। कांग्रेस के मार्फत महागठबंधन में शामिल होने के अलावा तीसरे विकल्प की भी संभावनाएं तलाशी जा रही है।
कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जितनी हद तक दूरी बढ़ा ली है उससे साफ हो गया है कि रालोसपा के उनके साथ रह गए एकमात्र सांसद राम कुमार सिंह और विधायक सुधांशु शेखर भी अब उनके साथ अधिक दिनों तक चलने वाले नहीं हैं। सुधांशु के नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा है।
ऐसी स्थिति में कुशवाहा अपनी जमीन बचाने की चिंता में लगे हैं। यही वजह है कि उनकी पार्टी जदयू को घेरने के लिए 28 नवंबर को महात्मा फूले की पुण्यतिथि पर हर जिला मुख्यालय में ऊंच-नीच मानसिकता विरोधी दिवस मनाने जा रही है।