लालू के 'कन्हैया' तेजप्रताप ने बजायी बांसुरी, फिर पिता को याद कर कही ये बात, जानिए
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने गाय का दूध दुहने के बाद अब मुरली की तान छेड़ी है जिसे सुनकर लोगों ने उनकी खूब तारीफ की। तेजप्रताप ने लालू को याद किया।
पटना, जेएनएन। राजद सु्प्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) किसी ना किसी बात को लेकर हर समय मीडिया में चर्चा का विषय बने ही रहते हैं। कुछ दिनों पहले ही उनका गाय का दूध दुहने वाला वीडियो वायरल हुआ था और अब उन्होंने एेसी बांसुरी बजायी है कि सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
गाय का दूध निकालने वाले वीडियो में उन्होंने कहा था कि ये गुर उन्होंने अपने पिता लालू यादव से सीखा है। उन्होंने कहा था कि वो ग्वाले हैं और गौ माता की सेवा करना उनका धर्म है। उन्होंने अपनी गाय का नाम सुरभि बताया था और कहा था कि वो खुद सुरभि की सेवा करते हैं।
एक कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे तेजप्रपातप ने सड़क किनारे चाय की दुकान में कुल्हड़ में चाय पी और कहा कि प्लास्टिक के कप की जगह मिट्टी के कुल्हड़ का प्रयोग करना चाहिए और उसी में चाय पीनी चाहिए। उन्होंने अपने पिता की तरह ही कुल्हड़ के प्रयोग करने पर जोर दिया। लालू ने भी रेलमंत्री रहते हुए रेलवे प्लेटफॉर्म पर कुल्हड़ में चाय पिलाने का नियम बनाया था।
तेजप्रताप ने भी कुल्हड़ में चाय पी और कहा कि कुल्हड़ खांटी है और देश की माटी है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के कप में चाय पीने से आपको खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में यदि आप कुल्हड़ में चाय पीएंगे तो बीमारियों से बचेंगे। साथ ही मिट्टी की खुशबू आपको इसमें मिलेगी। इन सभी से ऊपर गरीब कुम्हारों को भी इससे फायदा होगा उनकी आर्थिक हालत सुधरेगी।
दरअसल तेजप्रताप यादव नालन्दा में आयोजित घुड़सवारी प्रतियोगिता में शिरकत करने गए थे। तेजप्रताप ने चाय पीने के दौरान अपने पिता लालू को यादव किया और कहा कि आज की सरकारें प्लास्टिक बैन और प्लास्टिक से लोगों को होने वाले खतरे के बारे में बताती तो हैं फिर भी लोग इस प्लास्टिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि आज से कई साल पहले जब लालू जी देश के रेलमंत्री थे तभी उन्होंने कुल्हड़ को प्राथमिकता दी थी।
नालन्दा के तेघड़ा में एक घुड़सवारी प्रतियोगिता में शामिल हुए तेजप्रताप यादव ने अपने खास अंदाज कभी कृष्ण बनकर बांसुरी बजाई तो कभी सारथी बनकर रथ चलाने लगे।