गांधी मैदान के धरने में कुर्सी पर बैठ चर्चा में आए तेजस्वी यादव, जदयू ने उठाया संस्कार पर सवाल
गांधी मैदान में तेजस्वी यादव राजद के धरने के दौरान कुर्सी पर बैठे तो प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदानंद नीचे बैठे। इसपर जदयू ने कटाक्ष किया है। नीरज ने ट्वीट किया-पिता तुल्य जगदा बाबू को अपने कदमों के नीचे बैठाना यही तो आपका पारिवारिक संस्कार है।
राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा है कि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव एक खास सामाजिक समूह के प्रति अपने नजरिये में बदलाव नहीं ला सकते हैं। उन्होंने शनिवार को गांधी मैदान में आयोजित राजद के धरने का जिक्र किया। उसमें तेजस्वी यादव कुर्सी पर और प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदानंद नीचे बैठे हुए हैं। नीरज ने ट्वीट किया-पिता तुल्य जगदा बाबू को अपने कदमों के नीचे बैठाना, यही तो आपका पारिवारिक संस्कार है। सहयोगी दलों के उम्र्र में बड़े नेता डा. मदन मोहन झा और अजित शर्मा जी को जमीन पर बिठा कर आपने (तेजस्वी) अहंकार की सीमा पार कर दी।
खास सामाजिक समूह के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग
नीरज ने कहा कि विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी तेजस्वी यादव ने एक खास सामाजिक समूह के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था। उसकी प्रतिक्रिया हुई और चुनाव परिणाम में राजद औंधे मुंह गिरा। इसके बाद जगदा बाबू को अपने कदमों में बिठाकर तेजस्वी क्या संदेश देना चाहते हैं। इससे पहले तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप ने स्व. रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे सम्मानित नेता को एक लोटा पानी बता कर उनका घोर अपमान किया था। पूर्व मंत्री ने कहा कि तेजस्वी सामाजिक विद्वेष की खेती कर रहे हैं।
धरने में शामिल नहीं हुआ किसान संगठन
जदयू नेता ने कहा कि राजद ने शनिवार के धरना में शामिल होने के लिए किसान संगठनों को आमंत्रित किया था। कोई किसान संगठन उसमें शामिल नहीं हुआ। इससे उन्हें किसानों के बीच अपनी लोकप्रियता का अहसास होना चाहिए। गौरतलब हो कि किसानों के समर्थन में पटना के गांधी मैदान के बाहर धरने पर बैठे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे अन्नदाता बनाम धनदाता की लड़ाई करार दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों के संघर्ष का वह पूरी तरह समर्थन करते हैैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नए कृषि कानूनों को वापस लेना ही पड़ेगा। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने शनिवार को गांधी मैदान के बाहर धरना दिया। पहले मैदान के भीतर गांधी की मूर्ति के पास धरना देने का कार्यक्रम तय था, परंतु प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी और कार्यकर्ताओं को बाहर निकालकर मैदान को सील कर दिया।