बंदोबस्त पदाधिकारियों के लिए बगैर जानकारी के संभव नहीं जमीन से जुड़ी समस्याओं का निदान करना
बंदोबस्त पदाधिकारियों के प्रशिक्षण शिविर में बोले राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह । विशेष भूमि सर्वेक्षण वाले 20 जिलों में तैनात किए गए जिला बंदोबस्त पदाधिकारियों का पांच दिनों का सैद्धांतिक प्रशिक्षण चल रहा है। छठे दिन शिविर में व्यावहारिक प्रशिक्षण होगा ।
पटना, राज्य ब्यूरो । विशेष भूमि सर्वेक्षण वाले 20 जिलों में तैनात किए गए लेंगे को राज्य सरकार प्रशिक्षण दे रही है। सोमवार को इसकी शुरुआत हुई। पांच दिन सैद्धांतिक प्रशिक्षण होगा। छठे दिन व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए ये अधिकारी नालंदा जिले के भूमि सर्वेक्षण शिविर का दौरा करेंगे। वे किसी अंचल में भी जाएंगे, ताकि देख सकें कि शिविर और अंचल कार्यालय के बीच कैसे समन्वय बनता है।
प्रशिक्षण के पहले सत्र में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि बंदोबस्त पदाधिकारियों को उनके पद की पुरानी गरिमा के मुताबिक सुख-सुविधा दी जा रही है। वे भूमि सर्वेक्षण के सर्वेसर्वा हैं। जिला पदाधिकारी के समकक्ष होने की वजह से उन्हें उसी स्तर की सुविधाएं दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जमीन से जुड़े मामले बेहद जटिल होते हैं। बगैर जानकारी के भूमि विवादों का ठोस निदान नहीं हो सकता है। सत्र को चकबंदी के संयुक्त सचिव नवल किशोर एवं उप सचिव मनोज कुमार झा ने भी संबोधित किया। शिवहर और बांका को छोड़कर 18 जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारी उपस्थित थे।
प्रशिक्षण में इन विषयों की दी गई जानकारी :
हाईब्रिड तकनीक से भूमि सर्वेक्षण, एजेंसियों की भूमिका, एजेंसियों द्वारा बनाए गए नक्शे का अमीन द्वारा स्थल सत्यापन, गांव की सीमा का निर्धारण, गांवों के मिलान बिंदु पर मोन्यूमेंट की स्थापना, खानापुरी के दौरान रैयतों की भूमिका, नक्शा-खतियान बनाने की तकनीक एवं जमीन के प्रारूप प्रकाशन के बाद असंतुष्ट रैयत की आपत्ति का निराकरण।
सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता :
निदेशक, भू-अभिलेख एवं परिमाप जय सिंह ने बताया कि भूमि सर्वेक्षण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। निगरानी के लिए निदेशालय स्तर पर छह नोडल पदाधिकारी बनाए गए हैं, जिनके बीच सभी 20 जिले बंटे हुए है। वे सभी अधिकारी लगातार जिलों का दौरा कर वहां हो रहे कार्यों का जायजा लेते रहते हैं। जिलों के प्रभारी सचिवों को सर्वेक्षण कार्यों की प्रगति का मूल्यांकन करने का दायित्व सौंपा गया है। यह सर्वेक्षण अंतिम भूमि सर्वेक्षण होगा। इसके बाद जमीन के दस्तावेजों एवं नक्शा में निरंतर अपडेशन होता रहेगा। इतने बड़े पैमाने पर अब सर्वेक्षण की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह ऐतिहासिक अभियान है।