बिहार में शोध कार्य को मिलेगा बढ़ावा, वजीफे की राशि में हुई वृद्धि, अब मिलेंगे इतने पैसे Patna News
बिहार के उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध कार्य को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए यूजीसी ने शोध की गुणवत्ता को लेकर शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है।
पटना, जेएनएन। बिहार के उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध कार्य को बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने शोध की गुणवत्ता को लेकर भी शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है। यूजीसी ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि शोध की गुणवत्ता में चयन, प्रमोशन, क्रेडिट-आवंटन और शोध डिग्री प्रदान करने के मामले में तय प्रावधानों का सख्ती से अनुपालन कराएं।
गुणवत्ता पर मिलेगी फेलोशिप की राशि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन को लिखे पत्र में कहा गया है कि यूजीसी ने शोधार्थियों के लिए वजीफे की राशि में वृद्धि की है। शोधार्थी को अब हर महीने छह से सात हजार रुपए ज्यादा मिलेंगे। इस बढ़ोत्तरी के बाद जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) को अब हर महीने 31 हजार रुपए मिलेंगे, जबकि सीनियर रिसर्च फेलो (एसआरएफ) को 35 हजार रुपये मिलेंगे। इसलिए शोध कार्य में गुणवत्ता को भी नये सिरे से पारिभाषित करना होगा।
यूजीसी ने स्पष्ट कर दिया है कि क्रेडिट प्वाइंट, प्रमोशन या शोध डिग्री प्रदान करने का उनका फैसला किसी व्यक्ति द्वारा 'प्रकाशित कार्य की गुणवत्ता' पर आधारित होना चाहिए न कि उसकी संख्या पर। शोध कार्य की गुणवत्ता का मूल्यांकन और आकलन पर फेलोशिप की राशि दी जाएगी। स्क्रीनिंग कमेटी का होगा मूल्यांकन पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रासबिहारी सिंह के मुताबिक यूजीसी ने चयन समितियों, स्क्रीनिंग समितियों और शैक्षिक प्रदर्शन के मूल्याकन और आकलन में शामिल शोध पर्यवेक्षकों तथा विशेषज्ञों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि चयन, प्रमोशन, क्रेडिट-आवंटन और शोध डिग्री प्रदान करने के मामले में उनके निर्णय प्रकाशित कार्य की संख्या के बजाय गुणवत्ता पर आधारित होने चाहिए।
शोध कराने वाले शिक्षकों की होगी रैकिंग शिक्षा विभाग का कहना है कि यूजीसी की यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर बढ़ती वैश्विक चुनौतियों से पार पाने के लिए सही है क्योंकि इससे शिक्षण, शोध और गुणवत्ता में निरंतर सुधार लाना आसान होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्तता बनाए रखने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना होगा। इसके आधार पर ही संस्थानों की रैकिंग की जाएगी।
साथ ही उसकी स्वायत्तता को आगे जारी रखने का फैसला होगा। वैसे भी मौजूदा समय में बिहार में उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को जांचने और कामकाज को परखने के लिए कोई तंत्र नहीं है। लेकिन, अब यूजीसी ने भी उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता परख के लिए टीम भेजने का फैसला किया है।