फ्लैट खरीदारों को राहत: बिल्डर ने समय से नहीं सौंपा आशियाना, अब सूद समेत देना होगा किराया
बिहार रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल ने दो फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत दी है। कहा है कि दो माह में फ्लैट मालिकों के नुकसान की हो भरपाई। इससे उन खरीदारों को भी हौसला मिलेगा जिन्हें पूरा भुगतान के बावजूद लंबे समय से फ्लैट हैंडओवर नहीं किया जा रहा।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल (Bihar Real Estate Appellate Tribunal)ने अपने आदेश में कहा है कि अगर बिल्डर या डेवलपर निश्चित समय सीमा से फ्लैट देने में देर करते हैं, तो यह रेरा अधिनियम के दायरे में आता है। ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर बिल्डर या डेवलपर्स को फ्लैट खरीदने वाले को ब्याज और किराया देकर नुकसान की भरपाई करनी पड़ सकती है। ट्रिब्यूनल ने यह निर्देश अनुपम कुमार और यदुनंदन प्रसाद सिंह बनाम आधारशिला हाउसिंग बिल्डकान प्राइवेट लिमिटेड, मुजफ्फरपुर मामले की सुनवाई करते हुए दिया। उन्होंने दो माह के अंदर रियल एस्टेट कंपनी को दोनों फ्लैट मालिकों को हुए नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया है।
2013 में सेंट्रल सिटी प्रोजेक्ट में खरीदा था दो फ्लैट
अनुपम कुमार और यदुनंदन प्रसाद ने टू बीएचके फ्लैट (2 BHK Flat) सेंट्रल सिटी प्रोजेक्ट में 2013 में खरीदा। फ्लैट सौंपने की डेडलाइन वर्ष 2016 में थी, लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं होने से उक्त तिथि को यह फ्लैट मालिकों को सौंपा नहीं जा सका। वर्ष 2018 में फ्लैट खरीदारों ने डेवलपर को लीगल नोटिस देकर चेताया कि बार-बार हो रही देरी के कारण वे मामले को न्यायिक प्राधिकरण के समक्ष ले जाएंगे। लेकिन डेवलपर बार-बार नए बहाने बना कर मामले को टालते रहे। अंतत: खरीदारों ने डेवलपर के खिलाफ शिकायत फाइल कर फ्लैट के स्वामित्व के विरुद्ध जमा की गई राशि का ब्याज और किराया देने की मांग कर दी।
ट्रिब्यूनल ने कहा-ये रेरा अधिनियम के अंतर्गत
हालांकि प्राधिकरण से भी उन्हें राहत नहीं मिली। प्राधिकरण ने डेवलपर की खामियों को नजरअंदाज करते हुए अपीलार्थियों को सक्षम अदालत के सामने मामला प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। तब इन लोगों ने ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया। ट्रिब्यूनल ने अपीलार्थियों की मांग को जायज मानते हुए डेवलपर द्वारा किए गए कानून के उल्लंघन को सही पाते हुए न्याय निर्णायक अधिकारी को आदेश दिया कि ब्याज, मुआवजे और किराये से संबंधित बकाये का दावा का दो महीने के भीतर निपटारा करें। यह भी साफ कर दिया कि नुकसान की भरपाई, ब्याज संबंधित मामले रेरा अधिनियम के अंतर्गत आते हैं।