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पटना के अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद, कोरोना के इलाज में तय दर से ज्यादा पैसे लेने का था आरोप

सिविल सर्जन ने तीन सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की है। कोरोना के इलाज में सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाने वाले राजधानी के पुष्पांजलि हास्पिटल का क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीयन रद कर दिया गया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 09:34 PM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 09:34 PM (IST)
पटना के अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद, कोरोना के इलाज में तय दर से ज्यादा पैसे लेने का था आरोप
पटना के एक अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद कर दिया गया है। सांकेतिक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, पटना: कोरोना के इलाज में सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाने वाले राजधानी के पुष्पांजलि हास्पिटल का क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीयन रद कर दिया गया है। सिविल सर्जन ने तीन सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की है। साथ ही यहां कोरोना मरीजों के उपचार पर तत्काल रोक लगा दी गई है। अब यह अस्तपाल आयुष्मान भारत, सीजीएचएस, ईएसआइसी समेत अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले सकेगा। यदि अस्पताल कोरोना संक्रमितों को भर्ती कर इलाज करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ प्राथमिकी व सील करने की कार्रवाई की जा सकती है। 

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हार्ट विशेषज्ञ की जगह बुलाता था निश्चेतक को 

राजधानी के भागवत नगर स्थित पुष्पांजलि हास्पिटल में कोरोना का इलाज कराने वाले कई मरीजों के स्वजनों उसके खिलाफ लिखित शिकायत की थी। आरोप था कि अस्पताल सरकार द्वारा निर्धारित दर से कई गुना अधिक पैसे वसूल रहा था। जांच में यह बात भी साबित हुई है कि मरीजों से पैसे हृदय रोग विशेषज्ञ और न्यूरो फिजीशियन से परामर्श के लिए जाते थे लेकिन दिखाया जाता था एनेस्थेटिस्ट, साइकेट्रिस्ट और पैथोलाजिस्ट से। इस फर्जीवाड़े से कई रोगियों की असमय मौत हो गई थी। इस तरह की शिकायतें बढ़ने के बाद सिविल सर्जन डा. विभा कुमारी ने तीन सदस्यीय टीम को मामले की जांच सौंपी थी। जांच में मामला सच पाया गया। इसके बाद समिति की रिपोर्ट के आधार पर सिविल सर्जन ने पुष्पांजलि अस्पताल का निबंधन रद करते हुए कोरोना संक्रमितों के इलाज पर रोक लगा दी। 

एंबुलेंस चालकों की मिलीभगत से होता था खेल 


बताते चलें कि दूसरी लहर में अचानक मामले बढऩे के बाद स्वास्थ्य विभाग ने 91 निजी अस्पतालों को कोरोना संक्रमितों के इलाज की अनुमति दी थी। साथ ही इलाज की दर भी निश्चित की गई थी। निगरानी के लिए मजिस्ट्रेट की तैनाती भी की गई थी। बावजूद इसके एंबुलेंस चालकों की मदद से आक्सीजन, आइसीयू व वेंटिलेटर के नाम पर मरीजों का दोहन किया गया। पूर्व में कई निजी अस्पतालों के खिलाफ प्राथमिकी भी कराई गई है। 


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