टीके को न कहने वालों को मनाएगी रिफ्यूजल रिस्पांस टीम, सात करोड़ का लक्ष्य हासिल करेगा बिहार
बिहार ने महज साढ़े दस महीने में सात करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया। बावजूद तीन से चार लाख लोग इस प्रदेश में ऐसे भी हैं जिन्हें टीके की विश्वसनीयता पर संदेह है। इनकी टीके को सीधे-सीधे न है।
सुनील राज, पटना। बिहार ने महज साढ़े दस महीने में सात करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया। बावजूद तीन से चार लाख लोग इस प्रदेश में ऐसे भी हैं, जिन्हें टीके की विश्वसनीयता पर संदेह है। इनकी टीके को सीधे-सीधे न है। ऐसे लोगों का मार्गदर्शन करने और उनकी टीके की ना को हां में बदलने की जिम्मेदारी सरकार ने रिफ्यूजल रिस्पांस टीम को सौंपी है। स्वास्थ्य विभाग ने टीके को ना कहने वालों की बड़ी संख्या को देखते हुए करीब साढ़े सात सौ रिफ्यूजल रिस्पांस टीमें बनाई हैं।
सर्वे में मिली ना कहने वालों की जानकारी
स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण अभियान को गति देने के इरादे से पिछले दिनों एक सर्वे कराया। जिसमें देखा गया कि कितनों ने अब तक टीके की दूसरी डोज नहीं ली है और कितनों लोग अब तक टीके से वंचित हैं। प्रखंड स्तर पर किए गए इस सर्वे में यह जानकारी सामने आई कि तीन से चार लाख लोग टीका लेना ही नहीं चाहते हैं।
कुछ को है टीके से डर, कुछ को भरोसा ही नहीं
सर्वे टीम की रिपोर्ट बताती है कि जो टीका नहीं लेना चाहते उनकी न कहने की अपनी ही वजह है। कुछ इस बात से डरतेे हैं कि टीका लेने से उन्हें कोई दूसरी बीमारी हो सकती है। जबकि कुछ को टीके पर भरोसा नहीं। इन्हें साइड इफेक्ट की आशंका सता रही है। कुछ मानते हैं कोरोना खुद चला जाएगा टीके की जरूरत ही नहीं।
टीके को राजी करने के लिए प्रखंड स्तर पर बनी टीमें
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने टीके को न कहने वालों की बड़ी संख्या को देखते हुए प्रखंड स्तर पर रिफ्यूजल रिस्पांस टीमें बनाने के निर्देश दिए थे जिनका गठन किया जा चुका है। टीम में सिविल सर्जन, डाक्टर, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी व पारा मेडिक्स रखे गए हैं।
प्रखंडों में बिताएंगी रात, कैंप लगा समस्या समाधान
ये टीमें रात प्रखंड में जाएंगी और जिन्होंने टीके को न कहा है उन्हें राजी करेंगी। आवश्यकता पड़ने पर टीम प्रखंड में ही रात बिताएगी और कैंप लगाकर लोगों को राजी किया जाएगा। टीके से कोई नुकसान नहीं यह तो बताया ही जाएगा साथ ही यह भी कि नहीं लिया टीका तो हो सकता है क्या-क्या नुकसान। बनाई गई टीमें छठ महापर्व के बीच अपना काम शुरू कर देंगी। कोशिश है ना कहने वालों की सोच को हां में बदलने की।
एक नजर में
- सर्वे शुरू हुआ - 17 अक्टूबर से और चला पांच नवंबर तक
- 49.50 लाख की हुई पहचान जिन्होंने नहीं ली वैक्सीन की एक भी डोज
- करीब 90 हजार ऐसे भी ना टीकाकरण सूची में जो राज्य के बाहर करते हैं रोजगार
- 52 हजार लोग ऐसे भी सर्वे में सामने आए जिनके नाम टीकाकरण सूची में पर वे जीवित नहीं
- इसी कड़ी में तीन-चार लाख ऐसे भी मिले जो नहीं लेना चाहते हैं टीके की एक डोज
- वोटर लिस्ट को आधार बनाकर किया गया था यह सर्वे
बिहार में अब तक किए गए टीकाकरण पर रिपोर्ट
- कुछ टीकाकरण - 70828260
- टीके की पहली डोज - 50851351
- टीके की दूसरी डोज - 19976829
आयुवार टीकाकरण
60 वर्ष से अधिक - 12081779
45-60 वर्ष वाले - 16119296
18-45 आयु वाले - 42627097