पढ़ें : बिहार में 2200 डॉक्टरों की नियुक्ति का रास्ता साफ, रोक हटी
सरकारी मेडिकल कालेज में पढ़ाई करने वाले उन छात्रों को झटका लगा है जिन्होंने पीजी डिप्लोमा कोर्स तो कर लिया लेकिन उनके कालेजों को मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) से मान्यता नहीं मिली थी। पटना हाईकोर्ट ने ऐसी दो दर्जन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर उन्हें खारिज कर दिया।
पटना। सरकारी मेडिकल कालेज में पढ़ाई करने वाले उन छात्रों को झटका लगा है जिन्होंने पीजी डिप्लोमा कोर्स तो कर लिया लेकिन उनके कालेजों को मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) से मान्यता नहीं मिली थी।
पटना हाईकोर्ट ने ऐसी दो दर्जन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर उन्हें खारिज कर दिया।
राज्य सरकार ने करीब 2200 विशेषज्ञ एवं सामान्य डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए पिछले साल विज्ञापन निकाला था। अब उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
याचिका वैसे अभ्यर्थियों ने दायर की थी, जो बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा निकाले गये रिजल्ट से नाराज थे। इन्हें चिकित्सकों की नियुक्ति में वेटेज नहीं दिया गया था। जबकि, राज्य सरकार द्वारा निकाले गये विज्ञापन में कहा गया था कि पीजी डिप्लोमाधारी को नियुक्ति में 10 अंक का अधिभार दिया जाएगा। लेकिन, इन्हें 10 अंक का लाभ नहीं दिया गया। सरकार की ओर से कहा गया कि उनके संस्थानों में जिन विषयों की पढ़ाई हुई, उन्हें एमसीआइ की मान्यता नहीं मिली थी।
डॉ. अनिल कुमार सिंह सहित 26 डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने रिजेक्ट कर दिया। अदालत का कहना था कि भले ही उन्होंने काफी समय लगाकर पढ़ाई की, किन्तु उनके कोर्स को मान्यता नहीं मिली थी। यहां तक कि पीएमसीएच मे भी ऐसे कुछ कोर्स कराये जाते हैं, लेकिन इन्हें मान्यता नहीं है।
बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से संजय पांडेय ने कहा था कि रिजल्ट निकालने में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की गई थी।