आइजीआइएमएस की मदद के लिए केंद्र सरकार तैयार : रविशंकर
पटना। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की मदद के लिए केंद्र सरकार हर समय तैयार
पटना। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की मदद के लिए केंद्र सरकार हर समय तैयार है। इसकी बेहतरी व आवश्यक संसाधनों की प्रतिपूर्ति की जाएगी। यह बातें केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आइजीआइएमएस के आइवीएफ भवन व पीएमआर भवन का वर्चुअल शुभारंभ करने के बाद कहीं।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाडेय ने जल्द ही कृत्रिम अंगों के निर्माण एव अनुसंधान हेतु ऑर्थोटिक प्रोस्थेटिक लैब एवं गेट लैब बनाने की घोषणा की, इससे बिहारवासियों को दिल्ली, जयपुर व मुबंई जाने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही उन्होंने आइजीआइएमएस व राज्य सरकार की सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। विधायक संजीव चौरसिया ने भी सुविधाओं के बारें में बताया। निदेशक प्रो. एनआर विश्वास ने बताया, परिसर में पीएमआर ओपीडी की सुविधा प्रतिदिन कर दी गई है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने ओपीडी में अल्ट्रासाउंड से हो रहे मासपेशी, नसों व जोड़ों की समस्या की सही जांच के साथ गाइडेड इंजेक्शन व रिजनेरेटिव थेरेपी से हो रहे आधुनिकतम व सटीक इलाज की सराहना की। मौके पर प्राचार्य डॉ. रंजीत गुहा, डॉ. कृष्ण गोपाल, इंजीनियर शैलेंद्र कुमार सिंह, अखिलेश प्रसाद, राकेश कुमार भी थे।
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हर सप्ताह पहुंच रहे 130 नि:संतान दंपती :
अधीक्षक ने बताया, लगभग 120 से 130 नि:संतान दंपती प्रति सप्ताह यहां इलाज के लिए आते हैं। पत्नी की हार्मोनल जाच, फाइब्रॉइड, एंडोमेट्रियोसिस, अल्ट्रासाउंड, ट्यूब जाच आदि की सुविधा उपलब्ध है। विभागाध्यक्ष डॉ. कल्पना सिंह ने बताया, पुरुष नि:संतांता के उपचार के लिए हर गुरुवार को क्लीनिक चलाया जा रहा है। अब आइवीएफ की सुविधा मिलेगी। इसमें महज 30 हजार रुपये खर्च करने होंगे। जबकि निजी अस्पतालों में 80 हजार से एक लाख रुपये तक देने पड़ते हैं। जबकि, ईक्सी के लिए 35 हजार रुपये खर्च करने होंगे।
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स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का कल शुभारंभ करेंगे सीएम
पटना। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में बन रहे स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का शुभारंभ 22 सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वीडियो कांफ्रेंसिंग से करेंगे। हालांकि मरीजों को पूरी सुविधाओं के लिए तीन-चार महीने इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल, इसका कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। राज्य सरकार की ओर से अप्रैल 2020 में इसे तैयार कर लेने का लक्ष्य था। लेकिन, तकनीकी पेच व आवश्यक उपकरणों के समय पर नहीं आने के कारण विलंब हो रहा है।
मशीनों में पोजीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पेट स्कैन), एमआरआइ एवं सिटी सीमिलेटर इंस्टॉल हो गए है। लेकिन तकनीकी रूप से इसे चालू करने में दो महीने लगेंगे। इसके अतिरिक्त ब्रैकी थेरेपी, दो एडवांस लिनियर एस्केलेटर को इंस्टॉल करने की प्रक्रिया की जा रही है। यहीं नहीं, इसको व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए तीन शिफ्ट में डॉक्टर व कर्मचारी की नियुक्ति प्रक्रिया भी विचाराधीन है। यहां लगभग 350 डॉक्टर व कर्मी नियुक्त किए जाएंगे। होगी अत्याधुनिक सुविधा :
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के तैयार होने के बाद यहां 100 बेड पर उपचार की पूरी अत्याधुनिक सुविधाएं मरीजों को मिलेगी। यहां बोन मैरो ट्रांसप्लांट से लेकर छह अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर की भी सुविधा होगी। यहां सभी तरह की जांच की अत्याधुनिक मशीन की भी सुविधा होगी। इसके लिए उपकरणों के इंस्ट्रॉल करने का कार्य भी चल रहा है। इसके बाद भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से अनुमति मिलने के बाद जांच प्रक्रिया तेज होगी।
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