बिहार के थाने की देशभर में चर्चा, कभी नक्सलियों का गढ़ था अरवल; सिपाही से थानेदार बने दुर्गानंद ने बदली सूरत
पिकेट से चौकी और फिर पुलिस स्टेशन बना टाप टेन अरवल का रामपुर चौरम थाना सिपाही से थानेदार बने दुर्गानंद मिश्र ने बदल दी सूरत देशभर में चर्चा अपने कुशल प्रबंधन से अपराध पर लगाई लगाम भटके लोगों को दिखाई राह
अरवल, देवेंद्र कुमार। कभी नक्सलियों का रेड जोन रहा छोटा सा अरवल, जिला बनने के बाद अपनी उपलब्धियोंं को लेकर सुर्खियों में है। पहली बार राज्य का कोई थाना देशभर में बेहतर कार्यप्रणाली में टाप टेन में आया है। इस सफलता का श्रेय सिपाही से थानेदार तक का सफर तय करने वाले दुर्गानंद मिश्र को मिला है। आज की तारीख में थाने में एक भी मामला लंबित नहीं है। तीन जनवरी, 1999 को नौ लोगों के नरसंहार के बाद इस पिछड़े इलाके के रामपुर चौरम गांव के विद्यालय में पुलिस पिकेट की स्थापना की गई थी। बाद में पिकेट ओपी में तब्दील हो गई। फिर इसे थाने का दर्जा दिया गया। अब थानेदार दुर्गानंद मिश्र के प्रयास से यह देश का 10वां सर्वश्रेष्ठ थाना बना।
2003 में मिला थाने का दर्जा
रामपुर चौरम चौकी को आठ दिसंबर, 2003 को थाने का दर्जा दिया गया था। थाने का दर्जा मिलने के बाद सर्वप्रथम सुखी बिगहा निवासी राजू चौधरी ने घर में चोरी के आरोप में नन्हक यादव और बिहारी सिंह पर पहली प्राथमिकी दर्ज कराई थी। एक दिसंबर, 2019 को दुर्गानंद मिश्र को थाने की कमान मिली। सरल स्वभाव के दुर्गानंद ने किसी भी समस्या के समाधान के लिए समझौता को अपना अस्त्र बनाया।
गांवों को कराया शराबमुक्त
थाना क्षेत्र के तीन चिह्नित गांवों बालागढ़, ईटवां और खेदरु बिगहा अवैध शराब के गढ़ के रूप में जाने जाते थे। उनके प्रयास से अवैध धंधे में लगे लोगों को दूसरे रोजगार से जोड़ गांव को शराबमुक्त घोषित कराया गया। शराब के धंधे में लगे युवकों को मुर्गी पालन, बकरी पालन, मत्स्य पालन से जोड़ा गया। नक्सल गतिविधियों से जुड़े युवा वर्ग के लोगों को समझाकर मुख्यधारा में लाया गया।
अरवल जिले में हर्ष का माहौल
रामपुर चौरम थाना के टाप-टेन में शामिल होने पर जिले के लोगों में हर्ष का माहौल है। थानाध्यक्ष दुर्गानंद मिश्र को बधाई देने वालों में पुलिस अधीक्षक राजीव रंजन भी हैं। रामपुर चौरम थाना जाकर उन्होंने थानाध्यक्ष को बधाई दी। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि केंद्रीय टीम द्वारा सभी थानों का भौतिक सत्यापन किया जाता है। सभी मापदंडों को पूरा करने वाले थाने को टाप टेन में शामिल किया जाता है।
सिपाही से थानेदार बनने तक का सफर
1990 में बतौर सिपाही बहाल हुए दुर्गानंद मिश्र 2018 में दारोगा बने। उसी साल उन्हें पटना-औरंगाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर मेहंदिया थाने की जिम्मेदारी मिली। 2019 में वे रामपुर चौरम थाने में थानाध्यक्ष पद पर तैनात हुए। उनसे पहले 20 थानेदार यहां थानाध्यक्ष रहे हैं। कोई भी छह माह से अधिक समय तक यहां नहीं रहा। सोशल पुलिसिंग के बल पर उन्होंने इस थाने को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में सफलता पाई।
बोले दुर्गानंद मिश्र
थाना क्षेत्र में होने वाली ही छोटी-बड़ी घटनाओं को गंभीरता से लिया जाता है। सिरिस्ता को हमेशा अपडेट रखने के लिए प्रयास किया गया। थाना परिसर की साफ-सफाई के साथ फाइलों के रखरखाव का भरपूर ख्याल रखा जाता है। केंद्रीय टीम द्वारा रैंडम जांच के बाद फिजिकल जांच भी की गई थी।
तीन वर्षों का दर्ज आपराधिक रिकार्ड
2019 -107
2020- 72
2021- 33
थाने में पुलिस बल : थानाध्यक्ष- प्रशिक्षु अवर निरीक्षक-एक, सअनि- चार, महिला सिपाही- पांच, सशस्त्र पुलिस बल- पांच, सैफ- चार, चौकीदार- नौ, टेक्निकल महिला- एक, टेक्निकल पुरुष- एक, थाना मैनेजर- एक